Tuesday, September 17, 2024
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आखिर BJP से कहां हुई चूक? राहुल-अखिलेश की जोड़ी ने कैसे किया कमाल, पढ़ें पूरा विश्लेषण

लोकसभा चुनाव के रिजल्ट आ गए हैं। इस चुनाव में बीजेपी अपने दम पर सरकार बनाने से चूक गई है। हालांकि, एनडीए को बहुमत मिला है। आखिर, क्या वजह रही है कि बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला। आइए जानते हैं।

Written By: Alok Kumar @alocksone
Updated on: June 04, 2024 17:08 IST
Battle for the Prime Minister's seat- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV प्रधानमंत्री की कुर्सी की लड़ाई

Lok Sabha Election: करीब दो महीने तक चले लोकसभा चुनाव का रिजल्ट आ गया है। चुनाव आयोग की ओर से अभी फाइनल आंकड़ें नहीं दिए हैं, लेकिन यह साफ हो गया है कि बीजेपी अपने दम पर बहुमत में नहीं आ रही है। इस बार सरकार बनाने के लिए बीजेपी को अपने सहयोगी दल पर निर्भर रहना होगा। इस बीच बड़ा सवाल कि 400 के पार के नारे देने वाली बीजेपी से कहां चूक हो गई? वहीं, राहुल गांधी और अखिलेश यादव की जोड़ी ने देश के सबसे अधिक लोकसभा वाले राज्य उत्तर प्रदेश में कैसे कमाल कर दिया, जिससे देश की राजनीति ही बदल गई? आइए इस बदले राजनीति को सिलसिलेवार समझने की कोशिश करते हैं। 

बीजेपी क्यों बहुमत के आंकड़े से दूर रह गई? 

1. आरएसएस का साथ नहीं मिलना: बीजेपी के वोटरों को बूथ तक लाने में आरएसएस की अहम भूमिका रही है। इस बार के चुनाव में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने चुनाव के बीच में कहा था कि जब हम कमजोर थे तो आरएसएस की जरूरत थी। आज हम खुद सक्षम है। पॉलिटिकल पंडितों का मनना है कि यह बयान बीजेपी के विरोध में गया और आरएसएस के जुड़े लोगों को बुरा लगा। उन्होंने इस चुनाव में बढ़-चढ़ कर भाग नहीं लिया। इसका खामियाजा महाराष्ट्र से लेकर उत्तर प्रदेश में बीजेपी को हुआ। 

2. स्थानीय मुद्दों को दरकिनार करना: बीजेपी ने इस बार अपने चुनावी एजेंडे में स्थानीय मुद्दों को दरकिनार किया। प्रधानमंत्री विकसित राष्ट्र और तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने का नारा देते रहे। इससे आम जनता अटैक्ट्र नहीं हुई। बीजेपी ने उम्मीदवार के चयन में भी गलती की। कई ऐसे उम्मीदवार को टिकट दिया गया, जिनको लेकर क्षेत्र में भारी नराजगी थी। वे अब चुनाव हार गए हैं। 

3. 400 के पार का नारा पड़ा उल्टा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से 400 के पार का नारा दिया गया था। यह नारा बीजेपी के लिए उल्टा पड़ गया। कांग्रेस और 'इंडिया' गठबंधन में शामिल राजनीतिक पार्टी दलित वोटरों को यह समझाने में कामयाब रही कि अगर बीजेपी को 400 सीटें मिलेंगी तो मिलेगा तो हम संविधान बदल देगी। यानी दलितों और ओबीसी को मिलने वाला आरक्षण खत्म हो जाएगा। इसका बड़ा नुकसान बीजेपी को हुआ है। उत्तर प्रदेश में BSP का वोट बैंक मायवती से हटकर सपा और कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में चला गया।

4. सांसदों का टिकट नहीं काटना: बीजेपी में पीएम मोदी से वोटरों को कोई दिक्कत नहीं थी लेकिन उन्हें अपने क्षेत्र के सांसदों से नाराजगी जरूर थी। दो बार से जीत रहे सांसदों को फिर से टिकट दिया गया। जनता में उनको लेकर नाराजगी थी कि वो मोदी के नाम पर जीत तो जाते हैं लेकिन काम नहीं करते हैं। इस बार फिर से पार्टी की ओर से जब टिकट दिया गया तो यह नाराजगी बढ़ गई। इसके चलते भी कई उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा है। दिल्ली में पार्टी ने अपने 6 सांसदों का टिकट काटा और रिजल्ट सबके सामने है। 

5. वोटों का ध्रुवीकरण नहीं होना: पिछले दो चुनाव में हिन्दु और मुस्लिम वोटों का जबरदस्त ध्रुवीकरण देखने को मिला था। इस बार यह देखने को नहीं मिला। इसका नुकसान सीधे बीजेपी को हुआ है। बीजेपी को उत्तर प्रदेश से लेकर महाराष्ट्र में इसका बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। 

राहुल-अखिलेश की जोड़ी ने कैसे किया धमाल 

1. महंगाई, बेरोजगारी को मुद्दा बनाने में सफल: राहुल गांधी, अखिलेश यादव और तेजस्वी यादव इस बार के चुनाव में महंगाई और बेरोजगारी को अहम मुद्दा बनाने में सफल रहे। इसका असर उनकी रैलियों में दिखाई दिया। लाखों की संख्या में युवा उनकी रैलियों में जुटे। इसका फायदा कांग्रेस, सपा को उत्तर प्रदेश में मिला। 

2. लोकलुभावन घोषणाओं का हुआ फायदा: राहुल गांधी ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा कि अगर उनकी सरकार आएगी तो 30 लाख सरकारी नौकरियां भरी जाएंगी। पेपर लीक से मुक्ति कराएंगे। देश की करोड़ों गरीब महिलाओं के बैंक खाते में 8,500 रुपये जमा कराएंगे। किसानों के कर्ज माफ करेंगे, किसानों को सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य ( MSP ) की कानूनी गारंटी देंगे। इसका फायदा 'इंडिया' गठबंधन को मिला। 

3. अग्निवीर योजना खत्म करने का ऐलान: देश के छोटे शहरों में युवाओं के बीच अग्निवीर योजना को लेकर भारी रोष है। इसको भांपते हुए राहुल गांधी ने ऐलान किया कि अगर उनकी सरकार आएगी तो वह इस योजना को खत्म कर देंगे। इसका फायदा 'इंडिया' गठबंधन को मिला। 

4. जातिगत राजनीति साधने में सफल: राहुल और अखिलेश की जोड़ी साथ आने से कांग्रेस और सपा उत्तर प्रदेश में जातिगत राजनीति साधने में सफल हुए। मुस्लिम और यादवों ने सपा और कांग्रेस उम्मीदवार को एकतरफा वोट किया। वहीं, मायवटी के वोट बैंक ने भी बीएसपी से हट कर 'इंडिया' गठबंधन के उम्मीदवार को वोट किया। इसका फायदा मिला। 

5. राहुल की छवि का फायदा: राहुल गांधी अपनी छवि 'भारत जोड़ो यात्रा' और न्याय यात्रा से बदलने में कामयाब रहे। उन्होंने अपनी लंबी यात्रा से जनता के बीच में एक जगह बनाई। लोगों के बीच में उनको लेकर बनी अवधारणा खत्म हुई। इसका भी फायदा राहुल गांधी और कांग्रेस को हुआ है। 

 

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