यूपी में योगी का जादू ऐसा चला कि ना आज़म का गढ़ रामपुर बचा और ना यादव परिवार का गढ़ आजमगढ़ बचा। रामपुर टू आजमगढ़ साइकिल पंक्चर हो गई और सपा और आजम खान को जिन मुस्लिम वोटों पर घमंड था उसमें भी बीजेपी ने बड़ी सेंध लगा दी। ये जीत बीजेपी के लिए इसिलए अहम है क्योंकि रामपुर लोकसभा में कुल 16 लाख से ज्यादा वोटर्स हैं। मुस्लिम आबादी 50 फीसदी से ज्यादा है और हिंदु 46 फीसदी के आसपास हैं।
अब मुकाबला 80/20 का नहीं, 90/10 का है
बावजूद रामपुर के वोटर्स ने बीजेपी को चुना। रामपुर के उपचुनाव का मैदान बीजेपी के घनश्याम लोधी ने 52% फीसदी वोट के साथ मारा और समाजवादी पार्टी के आसिम रजा को 42 हजार से ज्यादा वोटों से हार का सामना करना पड़ा। मतलब साफ है कि अब मुकाबला 80/20 का नहीं बल्कि 90/10 का हो गया है। जानकारों की माने तो बीजेपी को हिंदुओं का वोट तो मिला ही। लेकिन मुस्लिमों के वोट बैंक में भी सेंध लगाने में बीजेपी को कामयाबी हाथ लगी लेकिन ये बात आजम खान को हजम नहीं हो रही और वो सरकार पर चुनाव को हाइजैक करने का आरोप मढ़ रहे हैं। मीडिया से बात करते हुए आजम खान ने कहा, "नतीजे कहां हैं, चुनाव था ही कहां, इसे आप ना चुनाव कह सकते हैं ना चुनावी नतीजे कह सकते हैं, 900 पोल का पोलिंग स्टेशन और 6 वोट"
जाहिर है कि उपचुनाव के परिणामों के बाद आज़म खान के हालात खिसयानी बिल्ली खंबा नोचे जैसे हैं। आज़म को टेंशन इस बात की है कि जिस मुस्लिम वोट बैंक को वो अपनी मिल्कियत समझते थे वो उनके हाथ से निकल रहा है। लेकिन बीजेपी को ये वोट कैसे मिला? सीएम योगी ने इस सवाल का जवाब दिया। योगी आदित्यनाथ ने कहा, “ये दोनों चुनाव के परिणाम बीजेपी पीएम मोदी के सबका साथ, सबका विश्वास, सबका प्रयास और सबका विकास इन सभी को लेकर चलने की जो बीजेपी की घोषित नीति रही है कि हमने सबका साथ भी लिखा सबका विकास भी किया सबका साथ और सबके विकास के माध्यम से ही सबके विश्वास को अर्जित किया, ये जनादेश उस विश्वास का प्रतीक है”
रामपुर और आजमगढ़ सीटों का सियासी गणित
समाजवादी पार्टी ने रामपुर की जिम्मेदारी आजम खान के कंधों पर सौंपी थी। उम्मीदवार भी आजम खान की पसंद का था, असीम रजा को जिताने के लिए आजम खान ने दिन रात एक भी कर दिया था। लेकिन रामपुर की जनता के जनादेश ने आज़म और उनके उम्मीदवार दोनों को नकार दिया। वहीं आजमगढ़ उपचुनाव में बीजेपी के दिनेश लाल निरहुआ को 34.37 फीसदी वोट मिला। यादव परिवार के धर्मेंद्र यादव 33 फीसदी पर ही सिमट गए। जबकि इसी सीट पर 2019 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने निरहुआ को हराया था। अखिलेश को 60 फीसदी वोट मिले थे। निरहुआ को 35 फीसदी वोट मिले थे। जबकि 2014 में इस सीट पर मुलायम सिंह यादव जीते थे। 2019 में अखिलेश यादव जीते थे लेकिन 2022 में समाजवादी पार्टी के इस गढ़ में बीजेपी सेंध लगाने में कामयाब साबित हुई। कामयाबी इसलिए बड़ी है क्योंकि आजमगढ़ में MY समीकरण बहुत मजबूत माना जाता रहा है। आज़मगढ़ में 26 फीसदी से ज्यादा यादव वोट बैंक है, 24 फीसदी के आसपास मुस्लिम वोट बैंक है और 20 फीसदी के आसपास दलित वोट बैंक है।
तो क्या 2024 की पिक्चर क्लियर है?
इस जीत के बाद सीएम योगी ने 2024 की पिक्चर क्लियर होने की बात भी कह दी है। यूपी के मुख्यमंत्री योगी ने कहा, "जनता के आशीर्वाद ने इस जीत के माध्यम से यूपी के अंदर 2024 की विजय के लिए दूरगामी संदेश दिया है। 2024 में बीजेपी यूपी के अंदर प्रचंड बहुमत के साथ 80 लोकसभा सीटों में से 80 पर विजयश्री की ओर अग्रसर हो गई। आज की विजय ने यह संदेश बड़ा स्पष्ट रूप से सभी के सामने प्रस्तुत किया है’’
यूपी में लोकसभा उपचुनाव में सपा को करारी हार के बाद बीजेपी में जश्न का माहौल है। पीएम मोदी ने भी ट्वीट कर इसे ऐतिहासिक जीत बताया है। पीएम ने ट्वीट में लिखा, "आजमगढ़ और रामपुर उपचुनाव में जीत ऐतिहासिक है। यह केंद्र और यूपी में डबल इंजन सरकार के लिए व्यापक पैमाने पर स्वीकृति और समर्थन का संकेत है। समर्थन के लिए लोगों का आभारी हूं। मैं हमारी पार्टी कार्यकर्ताओं के प्रयासों की सराहना करता हूं।"
बीजेपी इस जीत को 2024 के ट्रेलर के तौर पर देख रही है। जाहिर सी बात है कि जिस तरह के नतीजे रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में सामने आए उससे बीजेपी उत्साहित है। खास कर ऐसे माहौल में जब पूरे देश में एंटी बीजेपी नैरेटिव जोर शोर से चलाया जा रहा है। अग्निवीर स्कीम को लेकर प्रदर्शन हुए हैं, नूपुर शर्मा के विवादित बयान को लेकर सियासी माहौल बनाया गया, उत्तर प्रदेश के कई हलकों में दो शुक्रवार को लगातार हिंसा हुई और फिर उपचुनाव में बीजेपी को जीत। लाजमी है कि बीजेपी को भी इस तरह के एकतरफा परिणाम की उम्मीद नहीं रही होगी।
डिसक्लेमर: ऊपर व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं