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Vice President Jagdeep Dhankhar Swearing-in ceremony : जगदीप धनखड़ की आज होगी ताजपोशी, देश के 14 वें उपराष्ट्पति बनेंगे

Vice President Jagdeep Dhankhar Swearing-in ceremony : जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को हराया था। जगदीप धनखड़ को कुल 528 वोट मिले जबकि मार्गरेट अल्वा को 182 वोट ही मिल पाए थे।

Edited By: Niraj Kumar
Published : Aug 11, 2022 8:06 IST, Updated : Aug 11, 2022 12:50 IST
Vice President Jagdeep Dhankhar
Image Source : INDIA TV Vice President Jagdeep Dhankhar

Highlights

  • देश के 14 वें उपराष्ट्रपति बनेंगे धनखड़
  • राष्ट्रपति मुर्मू दिलाएंगी शपथ

Vice President Jagdeep Dhankhar Swearing-in ceremony :  पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankha) की आज ताजपोशी होगी। वे आज देश के 14 वें  उपराष्ट्रपति (Vice President ) बन जाएंगे।राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू नव-निर्वाचित उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएंगी। जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा  को हराया था। उपरारष्ट्रपति चुनाव में कुल 725 वोट डाले गए थे जिनमें 710 वोट वैध मान गए जबकि 15 वोट अवैध करार दिए गए थे। जगदीप धनखड़ को कुल 528 वोट मिले जबकि मार्गरेट अल्वा को 182 वोट ही मिल पाए थे। 

धनखड़ 2008 में भाजपा में शामिल हुए

धनखड़ मूल रूप से राजस्थान के झुंझुनू के एक किसान परिवार से आते हैं। कभी जनता दल के साथ रहे धनखड़ 2008 में भाजपा में शामिल हुए थे। वह अतीत में अधिवक्ता के तौर पर काम कर चुके हैं। उन्होंने राजस्थान में जाट समुदाय को ओबीसी का दर्जा दिलाने की मांग और ओबीसी से जुड़े कई अन्य मुद्दों की जोरदार ढंग से पैरोकारी की। धनखड़ की उम्मीदवारी की घोषणा करते समय भाजपा ने उन्हें ‘किसान पुत्र’ बताया था, जिसे किसानों और खासकर जाट समुदाय के बीच एक संदेश देने के प्रयास के तौर पर देखा गया, क्योंकि तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ हुए आंदोलन में इस समुदाय के लोगों ने अच्छीखासी भागीदारी की थी। पश्चिम बंगाल के तीन वर्षों तक राज्यपाल के रहने के दौरान धनखड़ अक्सर सुर्खियों रहे। ममजा बनर्जी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के साथ उनका कई मौकों पर सीधा टकराव हुआ और यही कारण रहा कि वह कई बार तृणमूल कांग्रेस के निशाने पर आए।

देवीलाल से प्रभावित थे धनखड]

अधिकतर जाट नेताओं की तरह धनखड़ भी मूल रूप से देवीलाल से प्रभावित थे। उस समय युवा वकील रहे धनखड़ का राजनीतिक सफर तब आगे बढ़ना शुरू हुआ, जब देवीलाल ने उन्हें 1989 में कांग्रेस का गढ़ रहे झुंझुनू संसदीय क्षेत्र से विपक्षी उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा था और धनखड़ ने जीत दर्ज की थी। धनखड़ 1990 में विश्वनाथ प्रताप सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में केंद्रीय मंत्री बने। जब पी.वी.नरसिंह राव प्रधानमंत्री बने तो वह कांग्रेस में शामिल हो गए। राजस्थान की राजनीति में अशोक गहलोत का प्रभाव बढ़ने पर धनखड़ भाजपा में शामिल हो गए और कहा जाता है कि वह जल्द वसुंधरा राजे के करीबी बन गए। धनखड़ का राजनीतिक सफर उस समय करीब एक दशक के लिए थम गया, जब उन्होंने अपने कानूनी करियर पर अधिक ध्यान केंद्रित किया। जुलाई 2019 में धनखड़ को पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया था और तब से राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आलोचना करने को लेकर वह अक्सर सुर्खियों में रहे। 

सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ में हुई स्कूली शिक्षा

राजस्थान में झुंझुनू जिले के एक सुदूर गांव में किसान परिवार में जन्मे धनखड़ ने अपनी स्कूली शिक्षा सैनिक स्कूल, चित्तौड़गढ़ से पूरी की। भौतिकी में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से एलएलबी की उपाधि ली। धनखड़ ने राजस्थान हाईकोर्ट और देश के सुप्रीम कोर्ट, दोनों में वकालत की। 1989 के लोकसभा चुनाव में झुंझुनू से सांसद चुने जाने के बाद उन्होंने 1990 में संसदीय कार्य मामलों के राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया। 1993 में वह अजमेर जिले के किशनगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से राजस्थान विधानसभा पहुंचे। धनखड़ को एक खेल प्रेमी के रूप में भी जाना जाता है और वह राजस्थान ओलंपिक संघ तथा राजस्थान टेनिस संघ के अध्यक्ष रह चुके हैं। 

इनपुट-भाषा

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