Saturday, September 07, 2024
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कांवड़ यात्रा मार्ग नेमप्लेट विवाद; सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर नेताओं की राय, महुआ मोइत्रा से दिनेश शर्मा तक जानें किसने क्या कहा

सुप्रीम कोर्ट ने कहा "हम सरकार के आदेश पर अंतरिम रोक लगाना उचित समझते हैं। रेस्टोरेंट, होटलों या खाद्य विक्रेताओं को अपने यहां खाने की वैरायटी की लिस्ट लगाने की आवश्यकता है, लेकिन उन्हें मालिकों या काम करने वाले कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।"

Edited By: Shakti Singh
Published on: July 22, 2024 16:53 IST
Dinesh Sharma And Mahua Moitra- India TV Hindi
Image Source : PTI दिनेश शर्मा और महुआ मोइत्रा

यूपी सरकार ने कांवड़ यात्रा के रास्ते पर पड़ने वाली दुकानों के मालिकों को नाम लिखने का आदेश दिया था। सरकार के इस आदेश पर जमकर बवाल हुआ था। टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने इसके खिलाफ याचिका भी दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर सभी राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया सामने आई है। महुआ मोइत्रा ने कहा कि वह कोर्ट के फैसले से बेहद खुश हैं। वहीं, बीजेपी नेता दिनेश शर्मा ने कहा कि लोगों को अपनी पहचान बताने में आपत्ति नहीं होनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने महुआ मोइत्रा की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि क्या कांवड़िए यह उम्मीद करते हैं कि उसका खाना किसी खास श्रेणी के मालिकों या लोगों द्वारा तैयार किया जा रहा है? पीठ ने कहा,  'हम सरकार के आदेश पर अंतरिम रोक लगाना उचित समझते हैं। रेस्टोरेंट, होटलों या खाद्य विक्रेताओं को अपने यहां खाने की वैरायटी की लिस्ट लगाने की आवश्यकता है, लेकिन उन्हें मालिकों या काम करने वाले कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।'

महुआ मोइत्रा का बयान

महुआ मोइत्रा ने कहा "मुझे खुशी है कि हमने कल याचिका दायर की थी और आज सुप्रीम कोर्ट में यह मामला आया। यह हमारे संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ एक पूरी तरह से असंवैधानिक आदेश है। इस आदेश पर रोक है और मालिकों और कर्मचारियों की पहचान और नाम प्रदर्शित करने की कोई आवश्यकता नहीं है। दुकानों में केवल शाकाहारी/मांसाहारी चिह्न ही लगाया जाना है।"

दिनेश शर्मा का बयान

कांवड़ यात्रा मार्ग पर नेमप्लेट लगाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भाजपा सांसद और यूपी के पूर्व उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कोई आपत्ति नहीं है, सुप्रीम कोर्ट जो भी फैसला सुनाएगा, उसे स्वीकार किया जाएगा। लेकिन यह एक सामान्य प्रक्रिया है, लोगों को अपनी पहचान बताने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। जब हम प्रतियोगी परीक्षा पास करते हैं और आईएएस अधिकारी बनते हैं, तो हम अपने नाम के साथ आईएएस लिखते हैं। जब हम डॉक्टर बनते हैं तो हम अपने नाम के साथ डॉक्टर लिखते हैं। वैसे भी 40-50 फीसदी लोग दुकानों में अपना नाम लिखते हैं। मुझे लगता है कि लोगों को इस पर आपत्ति नहीं होनी चाहिए। लेकिन हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्वीकार करते हैं। सरकार की प्राथमिकता है कि कांवड़ यात्रा अच्छी तरह से चले, उपद्रवी इसकी पवित्रता को नुकसान न पहुंचाएं।" 

सौरभ भारद्वाज का बयान

सौरभ भारद्वाज ने कहा "भारतीय नामों में व्यक्ति की जाति छिपी होती है। छुआछूत और कुछ जातियों के खिलाफ भेदभाव की यह कुप्रथा भारतीय समाज में हमेशा से मौजूद रही है। इस आदेश ने एक तरह से जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव के लिए आधार तैयार किया। सरकार को ऐसी चीजों से दूर रहना चाहिए। हम सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाई गई अंतरिम रोक का स्वागत करते हैं।" 

संजय सिंह का बयान

"यह एक असंवैधानिक आदेश था। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला भारतीय लोकतंत्र के पक्ष में एक अच्छा फैसला है। इस आदेश के पीछे की मंशा दलितों, ओबीसी, एससी/एसटी और अल्पसंख्यकों के बीच सामाजिक विभाजन पैदा करना था।"

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