Jammu-kashmir: केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने शनिवार को कहा कि वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद का कांग्रेस से इस्तीफा उनकी पार्टी का आंतरिक मामला है, हालांकि यह पार्टी में 'आंतरिक लोकतंत्र की कमी' को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि देश में 'लोकतांत्रिक मूल्यों' के साथ भाजपा ही एकमात्र विकल्प है। केंद्रीय मंत्री सिंह ने कहा, ‘‘यह कांग्रेस का आंतरिक मामला है, लेकिन जैसे हम लोकतांत्रिक मूल्यों का पालन करते हैं, वैसे ही एक लोकतांत्रिक देश के जिम्मेदार नागरिक के रूप में, हर कोई पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र की अपेक्षा करता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अगर पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र का पालन नहीं किया जाता है, तो यह उसके नेताओं के लिए चिंता का विषय है और उन्हें इस पर विचार करना चाहिए।’’
कांग्रेस को भी इस तथ्य पर गर्व होना चाहिए
मंत्री ने कहा कि हाल के एक सर्वेक्षण ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 75 प्रतिशत की अनुमोदन रेटिंग के साथ ‘सबसे लोकप्रिय वैश्विक नेताओं’ की सूची में सबसे ऊपर रखा और कांग्रेस को भी इस तथ्य पर गर्व होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘देश में भाजपा ही एकमात्र विकल्प बचा है। मोदी न केवल देश में लोकप्रिय हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हाल ही में हुए एक सर्वेक्षण ने उन्हें एक बार फिर शीर्ष स्थान पर ला खड़ा किया है, जो हम सभी के लिए गर्व का क्षण है।’’ सिंह ने कहा, ‘‘कांग्रेस को भी इस पर गर्व होना चाहिए, क्योंकि एक भारतीय नेता वैश्विक स्तर पर सबसे लोकप्रिय नेता के रूप में उभरा है।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा आजाद का अपने पाले में स्वागत करेगी, उन्होंने कहा कि यह उनके ऊपर है कि वह अपने अगले कदम का निर्णय किस प्रकार लेते हैं। उन्होंने कहा, ‘आगे क्या करना है यह फैसला उनका होगा।’
तारीख तय करना भारत के चुनाव आयोग का विशेषाधिकार
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने की तारीख के बारे में उन्होंने कहा कि चुनाव की तारीख तय करना भारत के चुनाव आयोग का विशेषाधिकार है और इसमें भाजपा की कोई भूमिका नहीं है। इससे पहले, यहां ‘एक काम देश के नाम’ कार्यक्रम के तहत आयोजित "अपशिष्ट से धन" पर एक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए, उन्होंने कहा कि कई अपशिष्ट उत्पादों के बारे में जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है, जो मामूली प्रयास से लोगों के लिए आय के अवसर पैदा करने में मदद कर सकते हैं। 'अमृत काल' का जिक्र करते हुए मंत्री ने कहा कि आने वाले 25 सालों में भारत की अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी और यह उन संसाधनों के दम पर आएगी, जिनकी अभी तक न तो खोज हुई है और न तकनीक के अभाव में जिनका उपयोग किया जा सका है।