पटना: बिहार की सियासत में सस्पेंस और रोमांच का दौर जारी है। राज्य के मुख्यमंत्री एवं जनता दल (यूनाइटेड) के अध्यक्ष नीतीश कुमार के अपना रुख एक बार फिर बदल कर BJP के नेतृत्व वाले एनडीए में वापसी के संकेतों के बीच सत्तारूढ़ महागठबंधन में अनिश्चितता के बादल छाये हुए प्रतीत हो रहे हैं। राज्य में राजनीतिक अनिश्चितता को लेकर जारी अटकलों को उस समय और बल मिला जब नीतीश कुमार ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर यहां राजभवन में आयोजित जलपान समारोह में भाग लिया पर उपमुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव इस समारोह में शामिल नहीं हुए। राजभवन में आयोजित समारोह के दौरान मुख्यमंत्री को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा सहित अन्य आगंतुकों के साथ अभिवादन करते देखा गया।
तेजस्वी के आवास पर बैठक
समारोह से बाहर निकलते हुए नीतीश कुमार ने संवाददाताओं से कहा कि यह यादव और विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी सहित राजद के अन्य नेताओं का काम है कि वे इस पर टिप्पणी करें कि वे (तेजस्वी यादव एवं पार्टी के अन्य नेता) समारोह में क्यों नहीं आये। राजद की ओर से राज्य के शिक्षा मंत्री आलोक मेहता मौजूद थे। हालांकि, न तो मेहता और न ही राजद के किसी अन्य नेता ने यादव की अनुपस्थिति पर कोई टिप्पणी की। बताया जाता है कि तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार के गठबंधन तोड़ने का फैसला करने की स्थिति में सत्ता जाने से रोकने की रणनीति बनाने के लिए अपने आवास पर पार्टी के करीबी नेताओं के साथ बैठक की।
अफवाहों पर स्थिति स्पष्ट करें नीतीश-आरजेडी
राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं राज्यसभा सदस्य मनोज कुमार झा ने यहां संवाददाताओं से कहा कि उन्हें उम्मीद है कि जद(यू) प्रमुख नीतीश कुमार इन अफवाहों के बीच स्थिति स्पष्ट करेंगे कि क्या वह भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में वापस जाने की योजना बना रहे हैं। झा की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर राज्य में जद(यू) के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने पलटवार करते हुए कहा, ‘‘हमारे नेता महागठबंधन के नेता के रूप में मुख्यमंत्री आवास में हैं। भ्रम की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। लेकिन अगर कुछ लोग अभी भी भ्रम में हैं तो हम इसमें कुछ नहीं कर सकते।’’ जद(यू) के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने भी इन खबरों का खंडन किया। कुशवाहा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘बिहार के सत्तारूढ़ महागठबंधन में सब कुछ ठीक है और मीडिया की अटकलें किसी एजेंडे से प्रेरित हैं।’’ उन्होंने यह भी कहा, ‘‘मैं कल और आज भी मुख्यमंत्री से मिला हूं। यह एक नियमित मुलाकात थी। अफवाहों में कोई सच्चाई नहीं है। हम उन अफवाहों को भी खारिज करते हैं कि पार्टी विधायकों को तुरंत पटना आने के लिए कहा गया है।’’
अगस्त 2022 में महागठबंधन में शामिल हुए थे नीतीश
नीतीश अगस्त 2022 में भाजपा से नाता तोड़ने के बाद अपने पूर्व चिर प्रतिद्वंद्वी लालू प्रसाद की पार्टी राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन में शामिल हो गए थे। उस वक्त नीतीश ने भाजपा पर जद(यू) में विभाजन की कोशिश करने का आरोप लगाया था। बिहार में महागठबंधन की नयी सरकार बनाने के बाद यहां सबसे लंबे समय तक सेवारत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा को केंद्र में सत्ता से उखाड फेंकने के लिए देश भर में सभी विपक्षी दलों को एक साथ लाने का अभियान शुरू किया जिसकी परिणति विपक्षी गुट ‘‘इंडिया’’ के गठन के रूप में हुई।
नीतीश ने तेजस्वी को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था
नीतीश ने एक तरह से तेजस्वी यादव को अपना उत्तराधिकारी घोषित करते हुए यह घोषणा की थी कि राजद नेता 2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन का नेतृत्व करेंगे। नीतीश की इस घोषणा के बाद जद(यू) में नाराजगी फैल गई जिसके कारण उपेन्द्र कुशवाहा जैसे उनके करीबी सहयोगी को पार्टी छोड़नी पड़ी। जद(यू) और राजद के बीच अविश्वास के संकेत पिछले महीने उस समय भी मिले थे जब नीतीश ने औपचारिक रूप से पार्टी अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाला। उन्होंने राजद खेमे के करीब समझे जाने वाले राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह की जगह ली थी। ललन ने कहा था कि उन्होंने खुद ही पार्टी का शीर्ष पद छोड़ दिया क्योंकि वह आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अपनी लोकसभा सीट मुंगेर पर ध्यान केंद्रित करना चाहते थे।
इंडिया गठबंधन में नीतीश असहज
पहचान उजागर न करने की शर्त पर महागठबंधन के एक नेता ने कहा, ‘‘जद(यू) को उम्मीद है कि वंचित जातियों के लिए कोटा में बढ़ोतरी और अन्य कल्याणकारी उपायों से जल्दी विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने में उसे मदद मिलेगी, जबकि राजद और अन्य सहयोगी दल विधानसभा का कार्यकाल ख़त्म होने के लगभग दो साल पहले उस जोखिम को उठाने के लिए अनिच्छुक हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा नीतीश ‘इंडिया’ गठबंधन में जिस तरह से चीजें सामने आ रही हैं, उसके साथ-साथ सीट बंटवारे में देरी पर भी अपनी नाराजगी व्यक्त कर चुके हैं।’’ भाजपा, जिसने कुछ समय पहले तक नीतीश के लिए अपने दरवाजे बंद होने की बात कही थी, अपने पत्ते अभी नहीं खोले हैं पर राजग में उनकी संभावित वापसी के पर्याप्त संकेत दिए हैं। हालांकि, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बृहस्पतिवार की शाम दिल्ली में मुलाकात करने वाले भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि यह बैठक आगामी लोकसभा चुनावों को लेकर थी। भाजपा ने 2019 का लोकसभा चुनाव जद(यू) और दिवंगत रामविलास पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के साथ मिलकर लड़ा था। गठबंधन ने राज्य की 40 में से 39 सीटें जीतीं थी। (भाषा)