सनातन धर्म पर विवादित बयान देकर विरोध झेल रहे तमिलनाडु सरकार में मंत्री उदयनिधी स्टालिन द्वारा उलटे-सीधे बयान देने का सिलसिला जारी है। सनातन का विरोध करते-करते स्टालिन ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भी इस मामले में खींच लिया है। स्टालिन ने ये तक कह दिया कि विधवा और आदिवासी समुदाय से होने के कारण राष्ट्रपति मुर्मू के साथ भेदभाव होता है। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला...
क्या दिया बयान?
दरअसल, नए संसद भवन में प्रवेश के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति धनखड़, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला आदि मौजूद थे लेकिन इस समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू नहीं दिखीं। अब उदयनिधी स्टालिन ने इसी मामले को लेकर सनातन धर्म पर फिर से टिप्पणी कर दी है। स्टालिन ने कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को न तो पहले नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में और न ही अब आमंत्रित किया गया क्योंकि वह विधवा हैं और आदिवासी समुदाय से आती हैं। स्टालिन ने कहा कि इसी को हम सनातन धर्म कहते हैं।
सनातन पर टिप्पणी
उदयनिधि स्टालिन ने पार्टी के एक कार्यक्रम में कहा कि राष्ट्रपति को कुछ महीने पहले संसद भवन के उद्घाटन में आमंत्रित नहीं किया गया था। न ही उन्हें वर्तमान में इसके पहले सत्र में बुलाया गया है। पांच दिनों का सत्र बुलाया गया जिसमें महिला आरक्षण विधेयक पारित किया गया। स्टालिन ने कहा कि हमारे देश में प्रथम नागरिक राष्ट्रपति हैं और उनका नाम द्रौपदी मुर्मू है। उन्हें नए संसद भवन के उद्घाटन में आमंत्रित नहीं किया गया। क्या यही सनातन है।
पहले भी कर चुके विवाद
उदयनिधी स्टालिन बीते कुछ समय से सनातन पर लगातार विवादित बयान देते जा रहे हैं। उन्होंने इसकी शुरुआत सनातन की तुलना डेंगू व कोरोना से करते हुए की थी और लोगों से इसे खत्म करने की अपील की थी। स्टालिन के बाद उनके पार्टी के नेता ए राजा ने भी सनातन पर कई विवादित बयान दिए थे। उदयनिधी स्टालिन पर विवादित बयान देने के कारण कई राज्यों केस भी दर्ज किया गया है।
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