मुंबई: महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने रविवार को रत्नागिरी में बीजेपी और सीएम एकनाथ शिंदे गुट पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा, 'क्या गोमूत्र छिड़कने से हमारे देश को आजादी मिली थी? क्या ऐसा हुआ कि गोमूत्र छिड़का गया और हमें आजादी मिली? ऐसा नहीं था, स्वतंत्रता सेनानियों ने बलिदान दिया तब हमें आजादी मिली।' उद्धव ने कहा, 'सरदार पटेल ने आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया, उन्होंने सरदार पटेल का नाम चुराया। इसी तरह, उन्होंने सुभाष चंद्र बोस को चुरा लिया और बाला साहेब ठाकरे के साथ ऐसा ही किया। मैं उन्हें चुनौती देता हूं कि वे मोदी के नाम पर वोट मांगें न कि शिवसेना और बाला साहेब ठाकरे की फोटो के आधार पर।'
जनसभा में संबोधन के दौरान उद्धव ने जनता से अपने लिए समर्थन मांगा। उन्होंने कहा कि आज मेरे पास कुछ नहीं है लेकिन आप लोग हैं। ये मेरे पूर्वजों का मेरे ऊपर आशीर्वाद है। मुझे आपके साथ की जरूरत है। उन्होंने कहा कि गद्दारों को कहना चाहता हूं कि तुम नाम चुरा सकते हो, चिन्ह चुरा सकते हो लेकिन शिवसेना को नहीं चुरा सकते।
उन्होंने कहा कि लोगों को एक बात का ध्यान रखना है कि जो लोग हमारे 'धनुष और तीर' (पार्टी चिन्ह) को चुराकर वोट मांगने आएं, वे चोर हैं। हमें यह तय करना है कि जिनका स्वतंत्रता संग्राम से कोई संबंध नहीं है और पशु प्रवृत्ति है उन्हें 2024 में दफन कर देना चाहिए। हमें शपथ लेनी है कि हम भारत माता को गुलामी के चंगुल में नहीं आने देंगे। अगर हम ऐसा नहीं करेंगे तो 2024 का चुनाव आखिरी होगा।
चुनाव आयोग पर भी साधा निशाना
इस दौरान ठाकरे ने चुनाव आयोग पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अगर आपकी आंखों में मोतियाबिंद नहीं हुआ है तो आओ और देख लो। यही असली शिवसेना है। ये चुनाव आयोग नहीं गुलाम है। शिवसेना का गठन चुनाव आयोग के पिता ने नहीं, मेरे पिता ने किया है।
उद्धव ने ये भी कहा कि चुनाव आयोग का फैसला हमें मंजूर नहीं है, हम सुप्रीम कोर्ट गए हैं। वो कहते थे कि मैं कोविड में घर से बाहर नहीं निकला, मैं कैसे निकलता, मुझे कोविड था। लेकिन मैंने घर बैठे जो कर दिया, वो घर-घर जाकर नहीं कर पा रहे। महाराष्ट्र डूबता जा रहा है लेकिन ये अपना प्रचार कर रहे हैं।
उद्धव के भाषण पर फडणवीस का पलटवार
महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे के भाषण पर पलटवार करते हुए कहा, 'वही शब्द, वही वाक्य, वही नाटक (कमेंट), कुछ भी नया इस सभा में सुनने को नहीं मिला। सच यह है कि उनकी नाक के नीचे से 40 विधायक निकल गए, इसका गुस्सा और निराशा है। इसके अलावा उनके भाषण में हताशा है। यही सुनने को भी मिला। इसके अलावा भाषण में कुछ नहीं था और ऐसी हताशा और टोन कसने वाले भाषण पर कुछ बोलना मैं जरूरी नहीं समझता।'
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