मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीति में उठा सियासी तूफ़ान ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले एक साल में सियासी तस्वीर पूरी तरह से बदल चुकी है। उद्धव ठाकरे के हाथ से सीएम पद के साथ-साथ उनकी पार्टी शिवसेना भी जा चुकी है। एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बन चुके हैं। वहीं एनसीपी में हुई बगावत के बाद अब अजित पवार उपमुख्यमंत्री की कुर्सी पर सवार हैं और पार्टी पर भी दावा कर रहे हैं। वहीं इसी बीच उद्धव ठाकरे अब जमीन पर उतरकर कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर रहे हैं और अगले साल होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं। इसी क्रम में उद्धव ने रविवार को महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के दो दिवसीय दौरे का आगाज किया।
अमित शाह ने ढाई-ढाई साल के सीएम का किया था वादा
इस दौरान उन्होंने रविवार को पोहरादेवी के दर्शन व पूजन करके अपने दौरे की शुरुआत की। यहां उन्होंने साल 2019 शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन टूटने और उस दौरान हुए विवाद को लेकर खुलकर बात की। ठाकरे ने कहा, "पोहरादेवी की शपथ खाकर कहता हूं कि 2019 में अमित शाह ने वादा किया था कि बहुमत मिलने पर शिवसेना और बीजेपी का ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री रहेगा, लेकिन वह वादा करके अपनी जुबान से पलट गए।" उद्धव ठाकरे ने कहा कि एक बैठक के दौरान अमित शाह और मेरी यह बातचीत हुई थी। मैं माता-पिता की शपथ लेकर कह रहा हूं। उन्होंने शिवाजी पार्क में भी यही बोला था कि ढाई वर्ष मुख्यमंत्री शिवसेना का और ढाई वर्ष का मुख्यमंत्री बीजेपी का होगा।
अगर बात मानी गई होती तो आज बीजेपी का सीएम होता
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर यह होता तो शिवसेना का ढाई वर्ष और ढाई वर्ष का मुख्यमंत्री बीजेपी का होता और अब तक शिवसेना का सीएम का पद कार्यकाल खत्म हो जाता और बीजेपी का मुख्यमंत्री होता। अगर अमित शाह अपनी बात से नहीं मुकरते तो आज बीजेपी के कार्यकर्ताओं पर दूसरी पार्टियों के नेताओं के लिए दरी बिछाने की नौबत वह नहीं आती। जिन कार्यकर्ताओं ने अपनी पूरी जिंदगी पार्टी के लिए मेहनत की, वह वरिष्ठ बीजेपी कार्यकर्ता बाहरी लोगों की आवभगत में लग गए हैं। उन्होंने कहा कि आज बीजेपी कुछ भी बोलने के लायक नहीं है।वह दूसरों पर आरोप लगाना छोड़े और उनके घर में जो लोग घुस गए हैं उन्हें वह संभाले।
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