आगरा: राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का समय नजदीक है। ऐसे में सामाजिक सौहार्द्र की मिशाल पेश करते हुए 2 दोस्त आगरा से अयोध्या के लिए पैदल निकल पड़े हैं। दोनों दोस्तों में एक हिंदू है और दूसरा मुसलमान है। दोनों का कहना है कि राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह तक उनकी अयोध्या पहुंचने की योजना है।
कौन हैं ये दोनों दोस्त?
ताजनगरी आगरा के उस्मान अली (30) और प्रिंस शर्मा सामाजिक सौहार्द की मिसाल पेश करते अयोध्या के लिए पैदल निकल पड़े हैं और इन दोनों दोस्तों को लोग दुआएं और आशीर्वाद दे रहे हैं। उस्मान और प्रिंस का कहना है कि इस समय पूरा देश राममय हो रहा है। दोनों ने कहा कि केवल हिन्दुओं में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को लेकर उत्साह नहीं है, बल्कि मु्स्लिम भी इससे खुश हैं।
उस्मान अली और प्रिंस शर्मा ने बताया कि वे राम नाम के सहारे 480 किलोमीटर की पैदल यात्रा करेंगे और इसके बाद भगवान श्रीराम के दर्शन करेंगे। दोनों दोस्तों के हाथों में भगवा ध्वज और पीठ पर राम मंदिर की तस्वीर है। लोगों के पूछने पर उस्मान अली ने कहा , 'भगवान श्रीराम सबके हैं। मुझे मुस्लिम होने पर गर्व है। लेकिन श्रीराम की पूजा के लिए हिंदू होना जरूरी नहीं। इंसान का दिल साफ होना जरूरी है। राम जी सिर्फ भारत के नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के हैं।'
उस्मान अली ने बताया कि उनकी पत्नी समीरा खातून ने भी उनका मनोबल बढ़ाया है।
ओवैसी ने क्या कहा था?
एक तरफ देश राममय है, दूसरी तरफ एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी लगातार बयानबाजी कर रहे हैं। हालही में उन्होंने कहा था कि कोई भी राजनीतिक दल 6 दिसंबर को सदियों पुरानी मस्जिद को ध्वस्त करने के जघन्य आपराधिक कृत्य के बारे में बात नहीं कर रहा है।
ओवैसी ने कहा, 'शिवसेना यूबीटी के उद्धव ठाकरे ने हालही में कहा था कि अयोध्या में मंदिर का उद्घाटन उनके पिता का सपना था। मंदिर का उद्घाटन राष्ट्रीय गौरव का विषय था। लेकिन कोई भी राजनीतिक दल 6 दिसंबर को सदियों पुरानी मस्जिद को ध्वस्त करने के जघन्य आपराधिक कृत्य के बारे में बात नहीं कर रहा है। अब पूरी बातचीत इस बारे में है कि वे इसमें शामिल होंगे या नहीं।'
ओवैसी ने कहा, 'भारतीय मुसलमानों के लिए संदेश स्पष्ट है। आज के भारत में हमसे अपनी औकात जानने की अपेक्षा की जाती है। हमसे चुपचाप सहमति जताने की उम्मीद की जाती है।'
ओवैसी ने कहा, 'एक-दो पिताओं के सपने बेमानी हैं। हम अपने लाखों पूर्वजों के सपनों और संघर्षों के कारण एक स्वतंत्र गणराज्य बने। यह शर्मनाक है कि एक घोर आपराधिक कृत्य को राष्ट्रीय गौरव के क्षण तक बढ़ा दिया गया है।'
उन्होंने कहा, '6 दिसंबर भारतीय लोकतंत्र के लिए काला दिन है। यह हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के मूल्यों के लिए एक काला दिन है। यह कानून के शासन के लिए काला दिन है।' (इनपुट: भाषा से भी)
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