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ममता बनर्जी 2024 के आम चुनाव में ‘‘गेम-चेंजर’’ साबित होंगी: शत्रुघ्न सिन्हा

'शॉटगन सिन्हा' के नाम से मशहूर शत्रुघ्न सिन्हा ने भारतीय जनता पार्टी के साथ अपनी राजनीतिक पारी शुरू की थी लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले वह कांग्रेस में शामिल हो गए थे और अब टीएमसी उम्मीदवार के रूप में पश्चिम बंगाल की आसनसोल लोकसभा सीट से जीते हैं।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : April 17, 2022 21:28 IST
Shatrughan Sinha
Image Source : PTI Shatrughan Sinha

लखनऊ: तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर आसनसोल लोकसभा सीट तीन लाख से अधिक मतों के अंतर से जीतने के एक दिन बाद शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि पार्टी की प्रमुख ममता बनर्जी 2024 के आम चुनाव में "गेम-चेंजर" साबित होंगी। अभिनेता से नेता बने सिन्हा ने साक्षात्कार में रविवार को कहा कि आसनसोल लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में रिकॉर्ड अंतर से उनकी जीत पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व की वजह से हुई है। सिन्‍हा ने कहा कि वह तृणमूल कांग्रेस (TMC) के साथ ''एक नई और सबसे अच्छी पारी'' शुरू करने को लेकर उत्साहित हैं।

'शॉटगन सिन्हा' के नाम से मशहूर शत्रुघ्‍न सिन्‍हा ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ अपनी राजनीतिक पारी शुरू की थी लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले वह कांग्रेस में शामिल हो गए थे और अब टीएमसी उम्मीदवार के रूप में पश्चिम बंगाल की आसनसोल लोकसभा सीट से जीते हैं। सिन्‍हा ने कहा कि अब उन्‍हें सही दिशा मिल गई है। पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो के लोकसभा की सदस्यता और साथ ही भाजपा से इस्तीफे के कारण आसनसोल में उपचुनाव कराना पड़ा।

सुप्रियो ने खुद टीएमसी के टिकट पर बालीगंज विधानसभा सीट से उपचुनाव जीता है। सिन्हा ने कहा कि भाजपा द्वारा ‘धनशक्ति’ और सत्ता का दुरुपयोग किए जाने के बावजूद, आसनसोल की जीत ममता बनर्जी के सक्षम नेतृत्व और टीएमसी नेताओं और कार्यकर्ताओं द्वारा की गई कड़ी मेहनत के कारण है जिसे 2021 के बंगाल चुनाव में भाजपा को शिकस्त देने के ममता के 'खेला होबे' के विस्तार के रूप में देखा जा सकता है। ममता बनर्जी ने आसनसोल में टीएमसी उम्मीदवार के रूप में सिन्‍हा पर दांव लगाया और यह सीट पहली बार उनकी पार्टी को मिली है।

1957 से 1967 के बीच आसनसोल लोकसभा सीट कांग्रेस के पास रही। 1967 से 1971 तक यह सीट संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के पास थी जबकि 1971 से 1980 तक माकपा ने इस सीट पर कब्जा रखा। 1980 से 1989 तक यह सीट कांग्रेस के कब्जे में रही जबकि 1989 से 2014 तक यह फिर माकपा के पास रही। वर्ष 2014 में पहली बार यहां पर भाजपा के टिकट पर बाबुल सुप्रियो ने विजय पताका फहराई और इसके बाद 2019 में भी उन्होंने अपनी जीत बरकरार रखी। यह सीट सुप्रियो के लोकसभा की सदस्यता और भाजपा से इस्तीफा देने के बाद रिक्त हुई थी तथा उपचुनाव में पहली बार टीएमसी को जीत मिली। सिन्‍हा ने भाजपा की अग्निमित्रा पॉल को 3,03,209 मतों के भारी अंतर से हराकर टीएमसी के लिए आसनसोल का किला फतह कर लिया। उनकी जीत का अंतर बाबुल सुप्रियो की तुलना में बहुत अधिक है, जिन्होंने 2019 के आम चुनाव में फिल्म अभिनेत्री और टीएमसी उम्मीदवार मुनमुन सेन को 1,97,000 वोट से हराकर सीट हासिल की थी।

शत्रुघ्न सिन्हा के 2024 के महत्वपूर्ण लोकसभा चुनाव से पहले बंगाल के बाहर टीएमसी के पदचिह्न के विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, "ममता दीदी अगले आम चुनाव में गेम चेंजर साबित होंगी।" गुजरे जमाने के लोकप्रिय बॉलीवुड नायक भाजपा से तीन बार राज्यसभा सदस्य रहे और पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र का दो बार प्रतिनिधित्व करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल में भी शामिल रहे। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ मोर्चा खोलने के बाद सिन्हा को 2019 में पार्टी ने टिकट नहीं दिया था जिसके बाद उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा। हालांकि वह पिछले आम चुनाव में पटना साहिब से पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद से हार गए थे।

2019 की हार और कांग्रेस द्वारा उन्हें ज्यादा जिम्मेदारी नहीं दिए जाने के बाद राजनीतिक हलकों में यह देखा गया कि नायक से नेता बने सिन्हा की राजनीतिक पारी समाप्त हो गई है। लेकिन, आसनसोल उपचुनाव में सिन्हा को टीएमसी के टिकट पर उतारने के बनर्जी के आश्चर्यजनक फैसले ने उनकी राजनीतिक पारी को फिर से जीवंत कर दिया है। यह पूछे जाने पर कि क्या तृणमूल कांग्रेस राजनीति में उनकी अंतिम मंजिल होगी, सिन्हा ने कहा, "सही दिशा पाने के लिए बहुत यात्रा करनी पड़ती है...इतनी दूर और आगे नहीं। ममता दीदी एक आजमाई हुई और परखी हुई राजनीतिज्ञ हैं। एक स्ट्रीट फाइटर की छवि होने के कारण उनकी लोकप्रियता देश में फैल गई है, खासकर 2021 में पश्चिम बंगाल के चुनाव में भाजपा को हराने के बाद।’’

भाजपा पर आरोप लगाते हुए सिन्‍हा ने कहा कि भगवा ब्रिगेड 'धनशक्ति' का उपयोग कर रही है और केंद्र में सरकार होने के कारण सत्ता का दुरुपयोग कर रही है। उन्होंने कहा, "मेरी भूमिका देश भर में उनके (ममता) संदेश को ले जाने की होगी।" उन्होंने कहा कि अलग-अलग दलों में होने के बावजूद उन्होंने हमेशा टीएमसी प्रमुख के साथ अपने विचार साझा किए। भाजपा सांसद होने के बावजूद 2019 में कोलकाता के ब्रिगेड मैदान में विपक्ष के सम्मेलन में शामिल हुए सिन्हा ने कहा, "ममता बनर्जी ने सबसे पहले नोटबंदी और जीएसटी के खिलाफ आवाज उठाई थी, मैंने भी भाजपा में रहते हुए इनके (नोटबंदी व जीएसटी) खिलाफ बात की थी।" कांग्रेस के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "यह संकट के दौर से गुजर रही है।"

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