नई दिल्ली: आचार संहिता लगने से पहले भारतीय जनता पार्टी ने अपने 267 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर चुकी है। बीजेपी की पहली लिस्ट 9 मार्च को आई थी। इसमें 195 उम्मीदवारों का नाम था। वहीं दूसरी सूची 13 मार्च को आई, जिसमें 72 उम्मीदवारों के नाम थे। पहली सूची में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत कई बड़े नेताओं के नाम थे। दोनों सूचियों में कई नाम चौंकाने वाले थे। इसके साथ ही इन 267 नामों में कई ऐसे नाम भी हैं, जो पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं।
कई वरिष्ठ नेता उतारे गए मैदान में
पार्टी के वरिष्ठ नेता एक बार फिर से लोकसभा चुनाव के मैदान में उतरे हैं। इनमें से कई नेता तो ऐसे हैं, जिनके बारे में कहा जा रहा था कि शायद इस बार इन्हें टिकट ना मिले। लेकिन सभी कयासों को गलत साबित करते हुए पार्टी ने उन्हें फिर से टिकट दिया। इसमें सबसे बड़ा नाम राजनाथ सिंह का है। माना जा रहा था कि उनकी उम्र को देखते हुए पार्टी इस बार उन्हें शायद लोकसभा चुनाव ना लड़ाए, लेकिन उन्हें एक बार फिर से लखनऊ से मैदान में उतारा गया है।
कई पूर्व सीएम भी लड़ेंगे लोकसभा चुनाव
इस लिस्ट में नितिन गडकरी, पीयूष गोयल, अनुराग ठाकुर, जितेंद्र सिंह, प्रल्हाद जोशी और राव इन्द्रजीत भी शामिल हैं। इसके साथ ही इस बार कई पूर्व मुख्यमंत्रियों को भी लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतारा गया है। इसमें हरियाणा के पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, त्रिपुरा के सीएम बिप्लव देव, कर्नाटक के पूर्व सीएम बसवराज बोम्मई और उत्तराखंड के पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को चुनावी मैदान में उतारा गया है।
कई मौजूदा सांसदों के टिकट कटे
इसके साथ ही पार्टी ने अपने कई सिटिंग सांसदों का टिकट भी काटा है। टिकट काटने में पार्टी ने उन सभी सांसदों को ध्यान में रखा, जिन्होंने अपने बयानों से पार्टी के लिए विषम स्थिति पैदा कर दी थी। इसमें फिर चाहे भोपाल से सांसद प्रज्ञा ठाकुर हों या फिर संसद में विवादित शब्द कहकर चर्चा में रमेश बिधूड़ी हों। पार्टी ने उन सभी सांसदों के टिकट काटे, जिससे पार्टी को बैकफुट पर आना पड़ा था।
पहली सूची में कटा प्रज्ञा ठाकुर का टिकट
पार्टी की जब 195 नामों की पहली सूची तो उसमें कई पुराने नाम गायब थे। इसमें सबसे ज्यादा चर्चा हुई भोपाल से सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर की। उन्होंने 2019 में चुनावी मैदान में उतरते ही महात्मा गांधी और नाथूराम गोडसे को लेकर कई विवादित बयान देने शुरू कर दिए थे। इसके साथ ही उन्होंने अपने एक भाषण में गोडसे को देशभक्त बताया था। यह भाषण उन्होंने संसद में दिया था। इसके बाद उन्हें विपक्षी दलों के विरोध का सामना करना पड़ा था।
इस भाषण के बाद भाजपा ने उनके बयानों की निंदा की और रक्षा पर सलाहकार समिति से भी उन्हें हटा दिया गया था। उन्हें 2019 के शीतकालीन सत्र के दौरान संसदीय दल की बैठकों में भाग लेने से भी रोका गया था। इसके बाद साध्वी प्रज्ञा नहीं मानी और लगातार विवादित बयान देती गईं। और अब इसका परिणाम यह हुआ कि पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए उनका टिकट ही काट दिया।
दिल्ली में हुआ सबसे बड़ा बदलाव
एमपी के बाद दिल्ली का रुख करें तो यहां पार्टी ने सबसे बड़ा बदलाव किया। यहां से पार्टी के सात सीटों पर सांसद थे। इन सात में से पार्टी ने इस बार 6 सांसदों का पत्ता साफ़ कर दिया। सिटिंग सांसदों में में से केवल मनोज तिवारी को दोबारा मौका दिया गया। टिकट काटने वालों में रमेश बिधूड़ी, परवेश वर्मा, मीनाक्षी लेखी, गौतम गंभीर, डॉ. हर्षवर्धन सिंह और हंसराज हंस शामिल हैं। इसमें से बिधूड़ी पर बसपा नेता दानिश अली के खिलाफ संसद में आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर उनपर गाज गिरी है। वहीं परवेश वर्मा भी अपने विवादित बयानों को लेकर विवादों में घिरे थे। इसी क्रम में उनका भी टिकट काट दिया गया है।