Telangana News: तेलंगाना के सूचना प्रौद्योगिकी एवं उद्योग मंत्री के टी रामाराव ने शनिवार को यह कहते हुए केंद्रीय गृहमंत्री पर निशाना साधा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने राज्य के लोगों का भारतीय संघ में एकीकरण एवं विलय किया, जबकि वर्तमान केंद्रीय गृहमंत्री 'बांटने और रौब जमाने' की कोशिश कर रहे हैं।
रामाराव ने ट्वीट किया, "74 साल पहले एक केंद्रीय गृहमंत्री (सरदार वल्लभभाई पटेल) तेलंगाना के लोगों का भारतीय संघ में एकीकरण एवं विलय के लिए आए थे। आज एक केंद्रीय गृहमंत्री तेलंगाना के लोगों एवं उनकी सरकार को बांटने एवं उन पर रौब जताने के लिए आए हैं, इसलिए मैं कहता हूं कि भारत को विभाजनकारी राजनीति नहीं, बल्कि निर्णायक नीतियों की जरुरत है।"
शाह ने हैदराबाद में परेड ग्राउंड में राष्ट्रध्वज फहराया
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने केंद्र सरकार के 'हैदराबाद मुक्ति दिवस' आधिकारिक कार्यक्रम के मौके पर हैदराबाद में परेड ग्राउंड में राष्ट्रध्वज फहराया। निजाम शासन के अंतर्गत आने वाले तत्कालीन हैदराबाद राज्य का 17 सितंबर, 1948 में भारतीय संघ में विलय हुआ था। शाह ने कार्यक्रम में देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ पटेल को हैदराबाद की मुक्ति का श्रेय दिया है।
गृहमंत्री ने कहा है कि यदि सरदार पटेल नहीं होते, तो हैदराबाद को मुक्त कराने में कई और साल लग जाते। उन्होंने कहा कि पटेल जानते थे कि जब तक निजाम के रजाकारों को नहीं हराया जाता, तब तक अखंड भारत का सपना साकार नहीं होगा। मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने तेलंगाना राष्ट्रीय एकीकरण दिवस मनाने के लिए यहां हैदराबाद में एक कार्यक्रम में ध्वजारोहण किया।
'हैदराबाद मुक्ति दिवस' अभी तक आधिकारिक तौर पर नहीं मनाया गया था- शाह
वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तेलंगाना में सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) पर परोक्ष हमला करते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि तेलंगाना में 'वोट बैंक की राजनीति' के कारण 'हैदराबाद मुक्ति दिवस' अभी तक आधिकारिक तौर पर नहीं मनाया गया था, जबकि कुछ नेताओं ने ऐसा करने का वादा किया था।
शाह ने कहा कि वह यह दिवस मनाने का फैसला करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई देना चाहते हैं। वह 'हैदराबाद मुक्ति दिवस' पर यहां आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे। हैदराबाद राज्य निजाम शासन के अधीन था और पुलिस ने भारत में इसका विलय कराने के लिए 'ऑपरेशन पोलो' नाम से अभियान चलाया था, जो 17 सितंबर, 1948 को पूरा हुआ था।
शाह ने कहा, "क्षेत्र के लोगों की मांग थी कि सरकार की भागीदारी से 'हैदराबाद मुक्ति दिवस' मनाया जाए, लेकिन यह दुर्भाग्य की बात है कि 75 साल बीत गए, मगर सत्ता संभालने वाले लोग वोट बैंक की राजनीति के कारण 'हैदराबाद मुक्ति दिवस' मनाने का साहस नहीं जुटा पाए।" उन्होंने मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव का स्पष्ट रूप से जिक्र करते हुए कहा, "कई लोगों ने चुनावों और विरोध प्रदर्शनों के दौरान मुक्ति दिवस मनाने का वादा किया, लेकिन जब वे सत्ता में आए, तो रजाकारों (निजाम शासन के सशस्त्र समर्थकों) के भय से अपने वादों से मुकर गए।"