Thursday, November 21, 2024
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'हमारे 56 इंच के प्रधानमंत्री चीन का नाम लेने से इतना घबराते क्यों हैं?', तवांग मामले पर ओवैसी ने कसा तंज, कही ये बात

अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारतीय और चीनी सैनिकों की झड़प का मामला चर्चा में है। इस मामले पर AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि इतनी मजबूत सेना है हमारी और इतना डरा हुआ नेता, क्यों?'

Written By: Rituraj Tripathi @riturajfbd
Updated on: December 13, 2022 12:53 IST
Asaduddin Owaisi- India TV Hindi
Image Source : PTI/FILE AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी

नई दिल्ली: भारतीय और चीनी सैनिकों की अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में एलएसी पर 9 दिसंबर को झड़प हुई थी। ये मामला पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। अब इस मामले पर AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने पीएम मोदी पर निशाना साधा है। ओवैसी ने ट्वीट कर कहा, 'हमारे 56 इंच के प्रधानमंत्री चीन का नाम लेने से इतना घबराते क्यों हैं? क्या वजह है कि ढाई साल से चीन लद्दाख में हमारी जमीन पर कब्जा करके बैठा है और मोदीजी के मुंह से चूं तक नहीं निकलती? इतनी मजबूत सेना है हमारी और इतना डरा हुआ नेता, क्यों?' ओवैसी ने कहा, 'चीन ने तवांग में जो जुर्रत की है, वो सिर्फ हमारे PM और सरकार की कमजोरी को दर्शाता है।'

तवांग मामले पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में क्या कहा?

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में कहा कि 9 दिसंबर 2022 को PLA गुट ने तवांग सेक्टर के यांग्त्से क्षेत्र में, LAC पर अतिक्रमण कर यथास्थिति को एकतरफा बदलने का प्रयास किया। चीन के इस प्रयास का हमारी सेना ने दृढ़ता के साथ सामना किया। इस झड़प में हाथापाई हुई।

राजनाथ ने कहा कि भारतीय सेना ने बहादुरी से PLA को हमारे क्षेत्र में अतिक्रमण करने से रोका और उन्हें उनकी केंद्र पर वापस जाने के लिए मजबूर कर दिया। इस झड़प में दोनों ओर के कुछ सैनिकों को चोटें आईं। मैं इस सदन को यह बताना चाहता हूं कि हमारे किसी भी सैनिक की मृत्यु नहीं हुई है और न ही कोई गंभीर रूप से घायल हुआ है। भारतीय सैन्य कमांडरों के समय पर हस्तक्षेप के कारण PLA सैनिक अपने स्थानों पर वापस चले गए।

राजनाथ ने कहा, 'इस घटना के बाद क्षेत्र के स्थानीय कमांडर ने 11 दिसंबर 2022 को अपने चीनी समकक्ष के साथ स्थापित व्यवस्था के तहत एक फ्लैग मीटिंग की और इस घटना पर चर्चा की। चीनी पक्ष को इस तरह के एक्शन के लिए मना किया गया और सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए कहा गया। इस मुद्दे को चीनी पक्ष के साथ कूटनीतिक स्तर पर भी उठाया गया है।'

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