अरविंद केजरीवाल के पीए विभव कुमार पर राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने बदसलूकी और मारपीट करने का आरोप लगाया है। पहले आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने इसपर कहा कि कार्रवाई की जाएगी। लेकिन अब आम आदमी पार्टी ने यू टर्न ले लिया है। दरअसल आम आदमी पार्टी ने बयान जारी करते हुए कहा है कि स्वाति मालीवाल से मारपीट का केस अरविंद केजरीवाल को फंसाने के लिए की गई, जिसे भाजपा रच रही है। स्वाति मालीवाल तो चेहरा मात्र हैं। विभव कुमार के ऊपर लगे आरोपों को पार्टी ने निराधार बताया है। ऐसे में स्वाति मालीवाल अब इशारों-इशारों में पार्टी के बड़े चेहरों और आम आदमी पार्टी को ही घेरने लगी हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या आम आदमी पार्टी से इस लड़ाई के कारण स्वाति मालीवाल की राज्यसभा की सांसदी जा सकती है?
क्या स्वाति मालीवाल की सांसदी हो जाएगी खत्म
स्वाति मालीवाल आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद हैं। आम आदमी पार्टी से लड़ाई के बीच क्या उनकी कुर्सी जा सकती है। इस सवाल का सीधा सा जवाब है कि बिल्कुल नहीं। दरअसल आम आदमी पार्टी से सीधी लड़ाई का असर उनकी सांसदी परनहीं पडे़गा। दरअसल भारतीय संविधान की दसवीं अनुसूची के नियमों के मुताबिक, एक सांसद को केवल दो ही परिस्थितियों में अयोग्य ठहराया जा सकता है। पहला कि वह सांसद स्वेच्छा से पार्टी से या अपनी सांसदी से इस्तीफा दे। दूसरा कि वह सांसद किसी पार्टी के व्हिप या निर्देशों के खिलाफ वोटिंग या कां करे या फिर मतदान के दौरान सदन में अनुपस्थित रहे। इन दो कारणों को ध्यान में रखते हुए सांसदों को अयोग्य ठहराया जा सकता है।
नियम क्या कहता है?
हालांकि आम आदमी पार्टी चाहे तो स्वाति मालीवाल को पार्टी से निलंबित कर सकती है। अगर पार्टी उन्हें निलंबित कर दे, तभ भी स्वाति मालीवाल सांसद बनी रह सकती है। हालांकि इस दौरान भी उन्हें सदन में वोटिंग के दौरान आम आदमी पार्टी के निर्देशों का पालन करना होगा। अगर पार्टी से स्वाति मालीवाल को निकाल भी दिया जाता है तब भी स्वतंत्र सांसद बनी रहेंगी। दरअसल यहां भारतीय संविधान की 10वीं अनुसूची का निमय जिसे "दल बदल विरोधी कानून" कहते हैं वह लागू नहीं होगा। इस कानून को 1985 में 52वें संशोधन के द्वारा लाया गया था। इसके तहत सांसदों की अयोग्यता के प्रावधान दिए गए हैं। हालांकि खबर बनाने तक ऐसे कोई संकेत नहीं मिले हैं कि आम आदमी पार्टी स्वाति मालीवाल के खिलाफ कोई कार्रवाई करने वाली है।