Sunday, December 22, 2024
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'दिल्ली के हॉस्पिटलों में हो रही घटिया दवाओं की डिलीवरी', उपराज्यपाल ने CBI जांच की सिफारिश की

दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने सीबीआई से जांच की सिफारिश की है। उन्होंने दिल्ली के हॉस्पिटलों में हो रही घटिया दवाओं की डिलीवरी मामले में ये सिफारिश की है।

Edited By: Rituraj Tripathi @riturajfbd
Published : Dec 23, 2023 17:39 IST, Updated : Dec 23, 2023 17:41 IST
Lieutenant Governor
Image Source : FILE दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने की सीबीआई जांच की सिफारिश

नई दिल्ली: दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने दिल्ली सरकार के अस्पतालों के लिए गुणवत्ता मानकों पर खरा नहीं उतरने वाली घटिया दवाओं की कथित खरीद और आपूर्ति की सीबीआई से जांच की सिफारिश की है। राज निवास के अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के दिल्ली प्रदेश संयोजक गोपाल राय ने इस मामले पर कहा है कि सरकार विस्तृत प्रतिक्रिया देगी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस तरह की जांच के जरिए सरकार के काम में बाधा डालने की कोशिश की जा रही है। 

उपराज्यपाल ने क्या कहा?

राज निवास के अधिकारियों ने कहा कि मुख्य सचिव नरेश कुमार को लिखे एक नोट में उपराज्यपाल ने उल्लेख किया है कि यह चिंताजनक है कि ये दवाएं लाखों मरीजों को दी जा रही हैं। कुमार को लिखे नोट में कहा गया है, ‘‘मैंने फाइल का अध्ययन किया है। यह गहरी चिंता की बात है। मैं इस तथ्य से व्यथित हूं कि लाखों असहाय लोगों और रोगियों को ऐसी घटिया दवाएं दी जा रही हैं जो गुणवत्ता मानक संबंधी परीक्षणों में विफल रही हैं।’’ 

उपराज्यपाल ने अपने नोट में कहा कि दिल्ली स्वास्थ्य सेवा (डीएचएस) के तहत केंद्रीय खरीद एजेंसी (सीपीए) द्वारा खरीदी गई ये दवाएं दिल्ली सरकार के अस्पतालों को आपूर्ति की गईं और हो सकता है कि इन्हें मोहल्ला क्लीनिक को भी आपूर्ति की गई हो। उन्होंने कहा, ‘‘औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 के तहत नियमों और वैधानिक प्रावधानों के अनुसार सरकार के साथ-साथ निजी विश्लेषकों या प्रयोगशालाओं द्वारा दवाओं का परीक्षण किया गया और परीक्षण में विफल इन दवाओं को ‘मानक गुणवत्ता के अनुरूप नहीं’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है।’’ 

सक्सेना ने और क्या कहा?

सक्सेना ने अपने नोट में यह भी कहा कि ‘भारी बजटीय संसाधनों को खर्च करके खरीदी गई ये दवाएं सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हैं’ और ये ‘लोगों के जीवन को खतरे में डाल सकती हैं। उन्होंने कहा, ‘‘प्रथम दृष्टया, सीपीए-डीएचएस, दिल्ली सरकार के अलावा इस समूची कवायद में अन्य राज्यों में स्थित आपूर्तिकर्ता, निर्माता और उन राज्यों के दवा नियंत्रक शामिल हैं।’’ 

उपराज्यपाल ने कहा कि मोहल्ला क्लीनिक का मामला पहले से ही सीबीआई के पास है। उन्होंने कहा कि इन क्लीनिक में भी ‘गैर मानक गुणवत्ता’ वाली दवाओं की आपूर्ति हो सकती है। ऐसे में इसकी भी जांच केंद्रीय एजेंसी को सौंपी जा सकती है, क्योंकि जांच के दायरे में सीपीए-डीएचएस, दिल्ली सरकार, आपूर्तिकर्ताओं, डीलर, अन्य राज्यों के निर्माताओं और एजेंसियों सहित विभिन्न हितधारक शामिल हैं। 

राज निवास के अधिकारियों ने कहा कि मामले में सतर्कता निदेशालय ने रिपोर्ट सौंपी थी। दिल्ली सरकार के अस्पतालों में घटिया दवाओं की आपूर्ति की शिकायतें मिल रही थीं। इसके बाद, सरकारी अस्पतालों से नमूने एकत्र किए गए। इस मुद्दे पर सवालों के जवाब में राय ने कहा कि उन्होंने मामले का विवरण नहीं देखा है। 

राय ने कहा, ‘‘सरकार विस्तृत अध्ययन के बाद अपनी प्रतिक्रिया देगी। लेकिन मामलों को जांच के लिए सीबीआई को भेजने की ऐसी व्यवस्था सरकार के काम में बाधा डालने का माध्यम बन गई है। अधिकार मामलों पर निर्णय लेना बंद कर देते हैं। लेकिन इस मामले में सरकार इसका अध्ययन करेगी।’’ 

आप नीत सरकार के सूत्रों ने दावा किया कि स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ पहले उपराज्यपाल को शिकायत भेजी गई थी। एक सूत्र ने कहा, ‘‘अब, क्या उपराज्यपाल इस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करेंगे? वही अधिकारी ‘दिल्ली के फरिश्ते’ योजना को रोकने के लिए जिम्मेदार था। हमने पूर्व में उपराज्यपाल से इस अधिकारी को हटाने का अनुरोध किया था।’’ (इनपुट: भाषा)

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