कर्नाटक के सीएम पद की रेस में सिद्धारमैया ने बाजी मार ली है। सिद्धारमैया को सीएम बनाने पर डीके शिवकुमार सहमत हो गए हैं। कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का राज्य में बहुत बड़ा सियासी रसूख है। सिद्धारमैया हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में वरुणा निर्वाचन क्षेत्र से जीतकर आए हैं। 13 मई को आए चुनाव नतीजों के बाद 17 मई तक सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच सीएम पद को लेकर मंथन खत्म हुआ और सिद्धारमैया को सीएम बनाया गया। कांग्रेस के कर्नाटक अध्यक्ष डीके शिवकुमार डिप्टी सीएम बनाए जाएंगे। इस खबर में हम आपको सिद्धारमैया के जीवन के बारे में कई सारी अहम बाते बताएंगे।
छोटे से गांव में हुआ सिद्धारमैया का जन्म
सिद्धारमैया का जन्म 12 अगस्त 1948 को हुआ था। उनका जन्म मैसूर के एक छोटे से गांव सिद्धारमनहुंडी में हुआ था। उनकी शुरुआती शिक्षा अपने होम टाउन में ही हुई है। सिद्धारमैया का बचपन गरीबी में ही बीता। जैसे तैसे अपनी पढ़ाई खत्म करके वह मैसूर विश्वविद्यालय में बी.एससी और बैचलर ऑफ लॉ करने आ गए। समाज में रुचि होने की वजह से उन्होंने लॉ की पढ़ाई की। ऐसा कहा जाता है कि 10 साल की उम्र तक कोई औपचारिक शिक्षा नही ले पाए थे।
सिद्धारमैया का कैसा है परिवार
सिद्धारमैया कुरुबा जाति से आते हैं। उनके पिता का नाम सिद्धारमे गौड़ा और मां का नाम बोरम्मा गौड़ा था। उनके दो छोटे भाई हैं जिनका नाम रामे गौड़ा और सिद्दे गौड़ा है। उनकी तीन बड़ी बहनें हैं जिनका नाम थम्मय्यान्ना, चिक्कम्मा और पुत्राम्मा है। सिद्धारमैया की पत्नी का नाम पार्वती सिद्धारमैया है। सिद्धारमैया और उनकी पत्नी का एक बेटा जिसका नाम राकेश था उनका 2016 में निधन हो गया था। वह पेशे से एक कन्नड़ अभिनेता थे। सिद्धारमैया और उनकी पत्नी के दूसरे बेटे का नाम यतींद्र है जो पेशे से एक डॉक्टर है।
कांग्रेस के विपक्षी दल से राजनीति का आगाज
साल 1978 तक एक जूनियर वकील के रूप में काम करने वाले सिद्धारमैया ने अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत कांग्रेस के विपक्षी दल से शुरू की थी। वह कुरुबा गौड़ा समुदाय से हैं और कर्नाटक में ऐसा पहली बार हुआ था जब इस समुदाय से मुख्यमंत्री के रूप में किसी व्यक्ति को चुना गया हो।
भारतीय लोक दल के टिकट पर जीते
सिद्धारमैया का राजनीतिक जीवन 1978 में एक आपातकाल के बाद शुरू हुआ। साल 1983 में वह राजनीति में आए और उन्हें चामुंडेश्वरी से भारतीय लोक दल द्वारा टिकट मिला और जीते। लेकिन साल 1989 के विधानसभा चुनावों में हारने के बाद वे और मजबूत हो गए। इसके बाद वे 1994 में फिर से जीते और एच.डी. सरकार में वित्त मंत्री घोषित किए गए।
जब हुआ था पार्टी से निष्कासन
साल 2004 में जब कांग्रेस और जेडीएस ने गठबंधन किया तो उन्हें 1996 के बाद फिर से डिप्टी सीएम बनाया गया। हालांकि, उनके और देवेगौड़ा के बीच मतभेदों के बाद उन्हें पार्टी से निष्कासन का सामना करना पड़ा था।
2013 में कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने
इसके बाद सिद्धारमैया साल 2005 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए। 2013 के विधानसभा चुनावों में वह कांग्रेस के मुख्यमंत्री का चेहरा थे और कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने। 2018 में कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें एक बार फिर कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में आगे बढ़ाया गया था।
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