नई दिल्ली: कर्नाटक विधानसभा में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शुक्रवार को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अपनी सरकार का बजट पेश किया। विधानसभा में बजट पेश होने के बाद राज्य सरकार विवादों में घिर गई है। बजट के बाद विधानसभा में ही विपक्षी विधायकों द्वारा इसका विरोध किया जाने लगा और अब इसे कांग्रेस के तुष्टीकरण वाला बजट कहा जा रहा है। इसके पीछे की वजह यह है कि सिद्धारमैया सरकार ने अपने बजट में वक्फ बोर्ड और ईसाइयों के लिए कई बड़े ऐलान किए हैं, जबकि हिंदू मंदिरों को लेकर बजट में कोई खास राशि का जिक्र नहीं किया गया है।
सरकार ने किया मंगलौरप में हज भवन बनाने का ऐलान
कर्नाटक सरकार ने अपने बजट में 100 करोड़ रुपये का प्रावधान वक्फ संपत्तियों के लिए किया है। वहीं, 200 करोड़ रुपये ईसाई समुदाय के लिए और अन्य धार्मिक स्थलों के लिए 20 करोड़ रुपये के फंड का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा 10 करोड़ रुपए की लागत से भव्य हज भवन बनाने की भी घोषणा की गई है जो कि मंगलौर में बनाया जाएगा। अल्पसंख्यक समुदायों खासकर मुस्लिम और ईसाइयों के लिए इस बजट में बड़ी संख्या में घोषणाएं की गई हैं। कर्नाटक विधानसभा में बजट के दौरान विपक्षी दलों ने इसी वजह से कांग्रेस सरकार पर तुष्टिकरण का आरोप लगाया।
सरकारी खजाने में सालाना 450 करोड़ रुपये देते हैं मंदिर
हैरान करने वाली बात यह है कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने अपने बजट में वक्फ संपत्ति और ईसाई समुदाय के लिए 330 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, लेकिन हिंदू समुदाय के लिए बजट में किसी भी तरह का कोई जिक्र न होने की बात कही जा रही है। बता दें कि कर्नाटक एक ऐसा राज्य है, जहां मुजराई (हिंदू धार्मिक बंदोबस्ती) विभाग द्वारा नियंत्रित 'ए और बी' यानी की बड़े और छोटे श्रेणी के 400 के करीब मंदिरों से हिंदू भक्तों द्वारा दिया जाने वाला सालाना औसतन दान 450 करोड़ रुपये सरकार के खजाने में जाता है।
हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण में चाहते हैं सिद्धारमैया
कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार हिंदू मंदिरों को राज्य के नियंत्रण से मुक्त करने वाले किसी भी विधेयक का विरोध करते आई है। इसके साथ ही हिंदू मंदिरों से हर साल इतना धन सरकार के खजाने में जाने के बाद भी सरकार की तरफ से बजट में इन मंदिरों के विकास या अन्य के लिए राशि का कोई प्रावधान नहीं किया गया है। (IANS)