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Sedition Law: देशद्रोह कानून पर राहुल गांधी के ट्वीट पर कानून मंत्री किरेन रिजीजू का करारा पलटवार

रिजीजू ने कहा कि अगर कोई एक पार्टी है जो स्वतंत्रता, लोकतंत्र और संस्थानों के सम्मान की विरोधी है, तो वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस है।

Written by: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Updated on: May 11, 2022 18:11 IST
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Image Source : PTI FILE Law Minister Kiren Rijiju and Congress leader Rahul Gandhi.

Highlights

  • देश में संविधान का पहला संशोधन पंडित जवाहरलाल नेहरू लेकर आए थे: किरेन रिजीजू
  • रिजीजू ने कहा कि कांग्रेस हमेशा से भारत को तोड़ने वाली ताकतों के साथ खड़ी रही है।
  • नेहरू ने केरल में लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार को भी बर्खास्त कर दिया था: रिजीजू

नई दिल्ली: केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजीजू ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के एक ट्वीट पर पलटवार करते हुए उनकी पार्टी पर भारत को बांटने का कोई मौका न छोड़ने का आरोप लगाया है। किरेन रिजीजू ने राहुल के एक ट्वीट के जवाब में सिलसिलेवार ट्वीट करते हुए कहा कि देश में संविधान का पहला संशोधन पंडित जवाहरलाल नेहरू लेकर आए थे। दरअसल, राहुल ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा बुधवार को देशद्रोह के मामलों में सभी कार्यवाहियों रोक लगाने की खबर को ट्वीट करते हुए ट्वीट में कहा था, ‘सच बोलना देशभक्ति है, देशद्रोह नहीं। सच कहना देश प्रेम है, देशद्रोह नहीं। सच सुनना राजधर्म है, सच कुचलना राजहठ है। डरो मत!’

‘कांग्रेस पार्टी हमेशा से भारत को तोड़ने वाली ताकतों के साथ खड़ी रही है’

राहुल को जवाब देते हुए रिजीजू ने ट्वीट किया, ‘@RahulGandhi की हवा-हवाई बातें। अगर कोई एक पार्टी है जो स्वतंत्रता, लोकतंत्र और संस्थानों के सम्मान की विरोधी है, तो वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस है। यह पार्टी हमेशा से भारत को तोड़ने वाली ताकतों के साथ खड़ी रही है और इसने भारत को बांटने का कोई मौका नहीं छोड़ा है। और...पहला संशोधन कौन लेकर आया? यह और कोई नहीं बल्कि पंडित जवाहरलाल नेहरू थे! उस समय श्यामा प्रसाद मुखर्जी और जनसंघ ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कम करने के उद्देश्य से लाए गए इस उपाय का विरोध किया था। नेहरू जी ने केरल में लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार को भी बर्खास्त कर दिया था।’
https://twitter.com/kirenrijiju/status/1524344853479686145
‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचलने की गोल्ड मेडल विजेता हैं इंदिरा’
रिजीजू ने ट्वीट में आगे लिखा, ‘और जब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचलने की बात आती है, तो श्रीमती इंदिरा गांधी जी इसमें गोल्ड मेडल विनर हैं! आपातकाल के बारे में तो हम सभी जानते हैं लेकिन क्या आप यह भी जानते हैं कि उन्होंने 50 से ज्यादा बार अनुच्छेद 356 लगाया था! वह हमारे तीसरे स्तंभ न्यायपालिका को कमजोर करने के लिए 'प्रतिबद्ध न्यायपालिका' के विचार के साथ आई थीं! और..इंदिरा गांधी की सरकार ने ही भारत के इतिहास में पहली बार धारा 124ए को संज्ञेय अपराध बनाया था। यह नई दंड प्रक्रिया संहिता 1973 में हुआ, जो 1974 में लागू हुई। क्या कांग्रेस ने कभी अपनी पिछली करतूतों के बारे में सोचा है?’

‘देशद्रोह के मामले दर्ज करने में कांग्रेस का ट्रैक रिकॉर्ड सबसे खराब’
रिजीजू ने कहा, ‘और...यूपीए सरकार का देशद्रोह के मामले दर्ज करने का सबसे खराब ट्रैक रिकॉर्ड है। 2012 में 'रिकाउंटिंग मिनिस्टर' पी. चिदंबरम की निगेहबानी में हजारों लोगों के खिलाफ देशद्रोह के मामले दर्ज किए गए थे।’ बता दें कि इससे पहले कानून मंत्री किरेन रिजीजू ने सोमवार को कहा था कि देशद्रोह कानून के प्रावधानों पर पुनर्विचार संबंधी निर्देश सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से आये हैं और सरकार देशद्रोह के कानून पर हितधारकों के विचारों का उचित तरीके से संज्ञान लेगी और सुनिश्चित करेगी कि कानून पर पुनर्विचार करते समय देश की संप्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रहे।

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