संविधान हत्या दिवस को लेकर राजनीति गरमा रही है। नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली बीजेपी सरकार ने 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया है। इंदिरा गांधी ने इसी दिन देश में आपातकाल लगाया था। सरकार के इस फैसले पर विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया भी सामने आई है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि पिछले 10 साल से सरकार हर रोद संविधान हत्या दिवस मनता है। वहीं, समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने कहा कि 30 जनवरी को लोकतंत्र हत्या दिवस मनाया जाना चाहिए।
25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने के सरकार के फैसले पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने लिखा"पिछले 10 सालों में आपकी सरकार ने हर दिन संविधान हत्या दिवस मनाया है। भाजपा-आरएसएस संविधान को खत्म कर मनुस्मृति को लागू करना चाहते हैं। ताकि दलितों, आदिवासियों और पिछड़े वर्गों के अधिकारों पर हमला किया जा सके! इसीलिए भाजपा-आरएसएस पवित्र शब्द संविधान के साथ हत्या शब्द जोड़कर बाबा साहेब आंबेडकर का अपमान कर रहे हैं।"
अखिलेश यादव ने लिखा "30 जनवरी को ‘बापू हत्या दिवस’ व ‘लोकतंत्र हत्या दिवस’ के संयुक्त दिवस के रूप में मनाना चाहिए क्योंकि इसी दिन चंडीगढ़ में भाजपा ने मेयर चुनाव में धांधली की थी।" इसके साथ ही अखिलेश यादव ने बीजेपी सरकार पर हमला करते हुए कई सवाल पूछे।
अखिलेश ने लिखा- भाजपा बताए कि:
- मणिपुर में नारी के मान-अपमान हत्या दिवस
- हाथरस की बेटी हत्या दिवस
- लखीमपुर में किसान हत्या दिवस
- कानपुर देहात में माँ-बेटी हत्या दिवस
- तीन काले क़ानूनों से कृषि हत्या दिवस
- पेपर लीक करके हुए परीक्षा प्रणाली हत्या दिवस
- अग्निवीर से हुए सामान्य सैन्य भर्ती हत्या दिवस
- बेरोज़गारी से हुए युवा सपनों के हत्या दिवस
- बढ़ती महंगाई से हुए आम परिवारों के भविष्य के हत्या दिवस
- नोटबंदी व जीएसटी लागू करने से हुए व्यापार हत्या दिवस
- यश भारती जैसे पुरस्कार बंद करने से हुए हुनर-सम्मान हत्या दिवस
- जनसंख्या में आनुपातिक प्रतिनिधित्व न देकर सामाजिक न्याय का हत्या दिवस
- सरकारी नौकरी के अवसर ख़त्म करके आरक्षण के हत्या दिवस
- पुरानी पेंशन के हत्या दिवस
- संदेहास्पद हो गये ईवीएम न हटाकर बैलेट पेपर हत्या दिवस
जैसे भाजपा राज में आए अनेक काले दिनों के लिए कौन सी तिथि चुनी जाए?