Friday, November 22, 2024
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'देश संविधान से चलेगा न कि राजा के डंडा से...' सेंगोल को संसद से हटाने की क्यों उठ रही मांग? जानें पूरी वजह

संसद सत्र में विपक्ष के पास सरकार को घेरने के कई मुद्दें हैं। विपक्ष उन मुद्दों को छोड़कर 77 साल पहले सेंगोल के मुद्दे पर सरकार को घेरने में लगा हुआ है। इसमें खास तौर पर समाजवादी पार्टी के नेता सरकार से मांग कर रहे हैं कि सेंगोल को संसद परिसर से हटाया जाए।

Written By: Dhyanendra Chauhan @dhyanendraj
Updated on: June 28, 2024 12:56 IST
सेंगोल को हटाने की उठी मांग- India TV Hindi
Image Source : PTI सेंगोल को हटाने की उठी मांग

18वीं लोकसभा के पहले संसदीय सत्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने हैं। NEET पेपर लीक मामले में विपक्ष के नेता सरकार को घेरने में लगे हुए हैं। इसी बीच, 77 साल पुराने सेंगोल का मुद्दा एक बार फिर संसद भवन में उठ गया है। समाजवादी पार्टी के नेता सेंगोल को संसद भवन से हटाए जाने की मांग उठा रहे हैं। असल में गुरुवार को जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करने पहुंची तो हाउस में प्रवेश करते समय और बाहर निकलते वक्त सबसे आगे सेंगोल था। जैसे ही राष्ट्रपति का अभिभाषण खत्म हुआ तो समाजवादी पार्टी के सांसदों ने संसद में सेंगोल को हटाकर संविधान की कॉपी रखने की मांग उठा दी। 

सेंगोल की लोकतंत्र के मंदिर में कोई जगह नहीं

समाजवादी पार्टी के सांसदों ने कहना शुरू कर दिया कि देश में संविधान सर्वोपरि है, तो फिर लोकसभा में राजतंत्र के प्रतीक सेंगोल को रखने की क्या जरूरत है? इसको लेकर उत्तर प्रदेश की मोहनलालगंज सीट से समाजवादी पार्टी के सांसद आरके चौधरी ने लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला को पत्र भी लिखा है। इसमें उन्होंने कहा कि राजतंत्र के प्रतीक सेंगोल की लोकतंत्र के मंदिर में कोई जगह नहीं होनी चाहिए। इसे म्यूजियम में रखा जाना चाहिए। 

सपा सांसद ने सेंगोल का बताया मतलब

सपा सांसद आरके चौधरी ने कहा कि सेंगोल तमिल भाषा का शब्द है। इसका हिंदी में मतलब राजदंड होता है। राजदंड का दूसरा मतलब राजा की छड़ी भी होता है। इसका दूसरा अर्थ राजा का डंडा भी होता है। जब कभी राजा अपने दरबान में बैठता था, तो फैसला करता था और एक डंडा/छड़ी पीटता था। 

सपा सांसद आरके चौधरी

Image Source : INDIA TV
सपा सांसद आरके चौधरी

देश संविधान से चलेगा न कि राजा के डंडा से

सपा नेता ने कहा कि अब इस देश में 555 राजाओं को सरेंडर करके ये देश आजाद हुआ है। देश का हर वो व्यक्ति, चाहे वो महिला हो या पुरुष हो। अगर वह बालिग है और वोट का अधिकार रखता है तो उसके एक-एक वोट ले इस देश में शासन-प्रशासन चलेगा। ये तय हो गया है। इसके साथ ही सपा सांसद आरके चौधरी ने कहा कि देश संविधान से चलेगा न कि राजा के डंडा से चलेगा। इसलिए समाजवादी पार्टी की मांग है कि अगर लोकतंत्र को बचाना है तो संसद भवन से सिंगोल को हटाना होगा। 

आजादी की एक रात पहले नेहरू को मिला था सेंगोल

बता दें कि सेंगोल का इतिहास भारत की आजादी से जुड़ा हुआ है। आज से करीब 77 साल पहले 14 अगस्त 1947 की रात पंडित जवाहर लाल नेहरू ने दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य से आए विद्वानों से इस सेंगोल को स्वीकार किया था। नेहरू ने इसे अंग्रेजों से भारत को सत्ता प्राप्त करने के प्रतीक के रूप में पूरे विधि-विधान के साथ स्वीकार किया था। नेहरू ने उस रात कई नेताओं की मौजूदगी में इस सेंगोल को स्वीकार कर के सत्ता के हस्तांतरण की प्रक्रिया को पूरा किया था।

पिछले साल पीएम मोदी ने संसद में सेंगोल को किया था स्थापित

इसके बाद इसी सेंगोल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 मई 2023 को संसद के नए भवन में स्थापित किया था। जब इस सेंगोल को नए संसद परिसर में स्थापित किया गया था, तब भी विपक्षी पार्टियों ने इसका जमकर विरोध किया था। सदन से वॉकआउट भी किया था। इस पूरे कार्यक्रम में विपक्ष के नेताओं ने हिस्सा नहीं लिया था।

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