नई दिल्ली: आज कांग्रेस पार्टी में दो शो हुए। वायनाड में राहुल गांधी का रोड शो हुआ लेकिन उसे कोई खास तवज्जो नहीं मिली। जयपुर में राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट का शो हुआ वो खूब छाया रहा। सीएम अशोक गहलोत के विरोध में सचिन पायलट आज इस हद तक चले गए कि अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ, अपने ही मुख्यमंत्री के खिलाफ अनशन पर बैठ गए। आलाकमान समझाता रहा, प्रदेश अध्यक्ष इसे पार्टी विरोधी कदम बताता रहे, पायलट पर तरह तरह से दवाब बनाया गया लेकिन वो टस से मस नहीं हुए। खबर है कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने मामले को संभालने के लिए सचिन पायलट को फोन किया था फिर भी, उन्होंने अपने ‘अनशन’ का कार्यक्रम स्थगित नहीं किया।
पायलट ने प्रसाद खाकर तोड़ा अनशन
सचिन पायलट ने आज शाम प्रसाद खाकर अनशन तोड़ा। हालांकि उन्होंने जो दांव चला है वो भी बहुत सटीक है। पायलट कह रहे हैं कि मैं सरकार के खिलाफ तो हूं ही नहीं, मैं तो भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन कर रहा हूं। पिछली बार में हम वसुंधरा राजे के करप्शन की जांच के मुद्दे पर चुनाव जीते थे थे। 6-7 महीने बाद फिर चुनाव हैं और अबतक कोई कार्रवाई नहीं हुई है, अब हम किस मुंह से जनता के बीच जाएंगे। मुख्यमंत्री पर ये आरोप लगेंगे कि उनकी वसुंधरा राजे के साथ मिलीभगत है। मैं तो कांग्रेस के भले के लिए अनशन कर रहा हूं।
भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष जारी रहेगा- पायलट
पायलट ने जयपुर में शहीद स्मारक पर पूर्वाह्न 11 बजे से शाम चार बजे तक पांच घंटे अनशन किया। इसके बाद पायलट ने संवाददाताओं से कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष जारी रहेगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई होगी। पायलट ने कहा, ‘‘राजस्थान की पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल में जो तमाम भ्रष्टाचार हुए उसके विरोध में मैंने आज एक दिन का अनशन रखा। इस मुद्दे को मैं बहुत लंबे समय से उठा रहा था। यह वही मुद्दा है जिसको लेकर राहुल गांधी ने संसद के अंदर, संसद के बाहर अपनी आवाज उठाई, कांग्रेस व विपक्षी दलों ने संयुक्त संसदीय समिति की मांग रखी। क्योंकि भाजपा शासन में जो व्यापक भ्रष्टाचार हुआ और जो हो रहा है, उसके विरोध में हम अपनी आवाज उठाना चाहते हैं।’’
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हाईकमान के कंट्रोल की ताकत पर सवाल
वहीं, कांग्रेस के अंदर की इस गुटबाजी के बाद हाईकमान के कंट्रोल की ताकत पर सीधे सवाल खड़े हो रहे हैं। राहुल गांधी, सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे, ना तो पहले गहलोत को रोक पाए और ना इस बार पायलट को। पूरे देश में राहुल गांधी के विपक्षी एकता का चेहरा बनने की हवा बनाई जा रही है लेकिन वो अपनी ही पार्टी में एकता नहीं बना पा रहे।