Highlights
- पाठ्यक्रम में सिख और मराठा इतिहास का हिस्सा और विस्तृत रूप में जोड़ने पर जोर।
- समिति ने ये भी सिफारिश की है कि स्कूल पाठ्यक्रम को पक्षपात मुक्त किया जाना चाहिए।
नई दिल्ली: बीजेपी सांसद विनय सहस्रबुद्धे की अगुआई वाली संसदीय समिति ने सिफारिश की है कि स्कूल की किताबों में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के जिक्र की समीक्षा किए जाने की जरूरत है। साथ ही इस समिति का कहना है कि वेदों के प्राचीन ज्ञान को बच्चों के स्कूल पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। समिति ने इस बात पर भी जोर दिया है कि पाठ्यक्रम में सिख और मराठा इतिहास का हिस्सा और विस्तृत रूप में जोड़े जाने की जरूरत है।
राज्यसभा में मंगलवार को रखी गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि शीर्ष इतिहासकारों के निगरानी में इस बात की समीक्षा किए जाने की जरूरत है कि देश के विभिन्न हिस्सों के ताल्लुक रखने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को पाठ्यक्रम में कितनी जगह मिली है। इससे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को लेकर और ज्यादा तर्कसंगत और न्यायपूर्ण नजरिया बच्चों के सामने पेश किया जा सकेगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस समीक्षा से उन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को भी इतिहास में जगह मिल सकेगी जिनके नाम अब तक गुमनाम रहे हैं। समिति ने ये भी सिफारिश की है कि स्कूल पाठ्यक्रम को ‘पक्षपात मुक्त’ किया जाना चाहिए। विनय सहस्त्रबुद्धे शिक्षा, महिलाओं, बच्चे, युवा और खेल से संबंधित संसदीय समिति के अध्यक्ष है।
इस कमेटी में दस राज्यसभा सांसद शामिल थे जिनमें 4 बीजेपी के हैं। इसके अलावा तृणमूल (सुष्मिता देब), सीपीएम (बिकास रंजन भट्टाचार्य), डीएमके से आरएस भारती, एआईएडीएमके से एम थंबीदुरई, समाजवादी पार्टी से विश्वंभर निषाद और कांग्रेस से अखिलेश प्रताप सिंह शामिल हैं। वहीं कमेटी के 21 लोकसभा सदस्यों में 12 बीजेपी के हैं। दो कांग्रेस के हैं और तृणमूल, सीपीएम, जेडीयू, शिवसेना, वाईएसआर कांग्रेस, डीएमके और बीजेपी से एक-एक सांसद हैं।