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सदन ने आपातकाल का जिक्र, राहुल गांधी ने ओम बिरला से कहा- इससे बचा जा सकता था

राहुल गांधी ने गुरुवार को सदन में ओम बिरला से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने सदन के भीतर आपातकाल का उल्लेख किए जाने को लेकर आपत्ति दर्ज कराई और कहा कि यह कदम राजनीतिक था। इससे बचा जा सकता था।

Edited By: Avinash Rai @RaisahabUp61
Published on: June 27, 2024 16:01 IST
Rahul Gandhi meet with om birla said emergency topic can be avoided in parliament- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO ओम बिरला

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने बृहस्पतिवार को सदन के अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात की और उनके द्वारा सदन के भीतर आपातकाल का उल्लेख किए जाने को लेकर यह कहते हुए आपत्ति दर्ज कराई कि यह कदम राजनीतिक था और इससे बचा जा सकता था। कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने संसद भवन में बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि यह एक शिष्टाचार मुलाकात थी, जिस दौरान गांधी ने सदन में अध्यक्ष द्वारा आपातकाल का उल्लेख किए जाने का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा, ‘‘यह एक शिष्टाचार मुलाकात थी। 

राहुल गांधी ने ओम बिरला से की मुलाकात

लोकसभा अध्यक्ष ने राहुल गांधी को विपक्ष का नेता घोषित किया। उसके बाद राहुल गांधी गठबंधन के सहयोगी नेताओं के साथ अध्यक्ष से मिले।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या राहुल गांधी ने सदन में आपातकाल की निंदा करते हुए प्रस्ताव लाए जाने के मुद्दे पर चर्चा की, वेणुगोपाल ने कहा, ‘‘हमने संसद के कामकाज के बारे में कई चीजों पर चर्चा की। निश्चित तौर पर यह मुद्दा भी उठा।’’ कांग्रेस नेता ने बताया, ‘‘राहुल जी ने विपक्ष के नेता के रूप में अध्यक्ष को इस मुद्दे के बारे में सूचित किया और कहा कि अध्यक्ष की तरफ से इसे टाला जा सकता था। यह स्पष्ट रूप से एक राजनीतिक संदर्भ था, इसे टाला जा सकता था।’’ 

सदन में हंगामा और नारेबाजी

लोकसभा में विपक्ष के नेता के रूप में कार्यभार संभालने के बाद गांधी की अध्यक्ष के साथ यह पहली बैठक थी। उनके साथ सपा के धर्मेंद्र यादव, द्रमुक की कनिमोझी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) की सुप्रिया सुले और तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी के अलावा कुछ अन्य लोग भी थे। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के फिर से अध्यक्ष बनने के कुछ देर बाद बुधवार को सदन में उस वक्त हंगामा देखने को मिला जब बिरला ने 1975 में कांग्रेस सरकार द्वारा लगाए गए आपातकाल की निंदा करते हुए बुधवार को एक प्रस्ताव पढ़ा और कहा कि वह कालखंड काले अध्याय के रूप में दर्ज है ‘‘जब देश में तानाशाही थोप दी गई थी, लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचला गया था और अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंट दिया गया था।’’ इस दौरान सदन में कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने हंगामा और नारेबाजी की। 

(इनपुट-भाषा)

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