नई दिल्ली: कांग्रेस ने गुरुवार को दावा किया कि लाल किले पर स्वतंत्रता दिवस समारोह में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को पीछे की पंक्ति में बैठाया गया था। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर कहा कि राहुल गांधी को पीछे बैठाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कुंठा का द्योतक है और यह दिखाता है कि सरकार को लोकतंत्र और लोकतांत्रिक परंपराओं की कोई परवाह नहीं है। पार्टी प्रवक्ता और सोशल मीडिया विभाग की प्रमुख सुप्रिया श्रीनेत ने यह भी कहा कि इससे राहुल गांधी को कोई फर्क नहीं पड़ता है।
‘वरीयता तालिका के अनुसार हुई थी व्यवस्था’
दूसरी तरफ, सरकारी सूत्रों ने कहा कि बैठने की सभी व्यवस्थाएं वरीयता तालिका के अनुसार की गईं थीं और इस साल यह निर्णय लिया गया कि पेरिस ओलंपिक के पदक विजेताओं को स्वतंत्रता दिवस समारोह में विशेष अतिथि के रूप में सम्मानित किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक यही वजह है कि ओलंपिक पदक विजेताओं को आगे बैठाया गया था। सुप्रिया श्रीनेत ने एक बयान में दावा किया, ‘छोटे मन के लोगों से बड़ी चीजों की उम्मीद करना बेमानी है। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को स्वतंत्रता दिवस के समारोह में पांचवीं लाइन में बिठा कर नरेन्द्र मोदी ने अपनी कुंठा जरूर दिखाई, लेकिन इससे राहुल गांधी को कोई फर्क नहीं पड़ता है।’
‘नेता प्रतिपक्ष का दर्जा कैबिनेट मंत्री का होता है’
सुप्रिया श्रीनेत ने आगे कहा, ‘नेता प्रतिपक्ष का दर्जा कैबिनेट मंत्री का होता है, सरकार के मंत्री पहली पंक्ति में बैठे थे तो इन छुद्र मानसिकता वालों को लोकतंत्र और लोकतांत्रिक परंपराओं की भी कोई परवाह नहीं है।’ उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्रालय का बयान सरकार को बेनकाब कर रहा है। सुप्रिया ने कहा, ‘सच यह है कि राहुल गांधी से मोदी और उनके मंत्री आंखें चुराते हैं, और असहज हो जाते हैं। राहुल गांधी पांचवीं पंक्ति में बैठें या पचासवीं, वो जननायक ही रहेंगे। लेकिन आपलोग इस तरह की गलीच हरकतें करना कब बंद करेंगे?’
कांग्रेस नेता विवेक तन्खा ने भी उठाए थे सवाल
बता दें कि इससे पहले कांग्रेस नेता विवेक तन्खा ने स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम में राहुल गांधी के बैठने की तस्वीर साझा करते हुए ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘रक्षा मंत्रालय इतना तुच्छ व्यवहार क्यों कर रहा है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी चौथी पंक्ति में बैठे। नेता प्रतिपक्ष किसी भी कैबिनेट मंत्री से ऊपर है। लोकसभा में वह प्रधानमंत्री के बाद हैं। राजनाथ सिंह जी, आप रक्षा मंत्रालय के राष्ट्रीय कार्यक्रमों का राजनीतिकरण नहीं होने दे सकते। आपसे ऐसी उम्मीद नहीं थी, राजनाथ जी।’