Highlights
- आर्थिक संकट और कर्ज के जाल में फंस बुरी तरह फंस गया है पंजाब
- पंजाब के वित्त मंत्री ने श्वेत पत्र जारी कर गहरा चिंता जताया
- पंजाब के इस हालत के जिम्मेदार पहले की सरकारें हैं
Punjab White Paper: पंजाब विधानसभा में शनिवार को राज्य की वित्तीय स्थिति पर श्वेत पत्र जारी किया गया। जारी हुए श्वेत पत्र में सामने आया है कि पंजाब आर्थिक संकट और कर्ज के जाल में फंस गया है। पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने यह दस्तावेज प्रस्तुत किया और इससे पहले की सरकारों को राजकोषीय गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार ठहराया।
पिछली सरकारों ने राजकोषीय वित्त में लापरवाही बरती
सदन में राज्य का बजट पेश होने से दो दिन पहले प्रस्तुत दस्तावेज के मुताबिक, ‘‘आज पंजाब आर्थिक संकट और कर्ज के जाल में फंसा है।’’ दस्तावेज में कहा गया कि पिछली सरकारें, आवश्यक सुधारों को लागू करने के बजाय, राजकोषीय लापरवाही करती रही। अनुत्पादक राजस्व व्यय में अनियंत्रित वृद्धि, अनुपयोगी-सब्सिडी, संभावित कर, गैर कर राजस्वों में कमी से यह पता चलता है कि पहले की सरकारों ने कितनी बड़ी लापरवाही की है।
पंजाब पर कुल 2.63 लाख करोड़ रुपए का कर्ज
यह श्वेत पत्र कुल 73 पन्नों का है और इसमें कहा गया है कि इस श्वेत पत्र को आर्थिक क्षेत्र में पंजाब सरकार द्वारा सामना किए जा रहे जटिल मुद्दों को सरल बनाने के लिए जारी किया गया है। दस्तावेज में कहा गया है कि पंजाब का मौजूदा प्रभावी बकाया कर्ज 2.63 लाख करोड़ रुपए है, जो कि एसजीडीपी (राज्य का सकल घरेलू उत्पाद) का 45.88 फीसदी है।
इसके आलावा दस्तावेज में यह भी कहा गया है कि देश में सबसे ज्यादा कर्ज के संकेत पंजाब राज्य के उपर ही हैं। राज्य इस कर्ज के जाल में फंसकर जमीन में धंसता ही चला जा रहा है।
श्वेत पत्र में राज्य पर साल दर साल बढ़ते कर्ज का आंकड़ा
वर्ष | कर्ज |
1980-81 | 1,009 करोड़ रुपए |
2011-12 | 83,099 करोड़ रुपए (30 साल बाद 82000 करोड़ रुपए का कर्ज बढ़ा) |
2021-22 | 2,63,265 करोड़ रुपए (बीते 10 साल के अंदर पंजाब पर कर्ज लगभग तीन गुना तेजी से बढ़ा और 1 लाख 80 हजार 166 करोड़ का कर्जदार हो चुका है पंजाब) |
श्वेत पत्र में पंजाब का पुराना वैभव वापस लाने के उपाय
पंजाब, जो लंबे समय तक पूरे देश में प्रति व्यक्ति आय में नंबर एक हुआ करता था, अब यह कई अन्य राज्यों से पीछे है और शीर्ष से 11वें स्थान पर आ गया है। श्वेत पत्र के अनुसार, छठा पंजाब वेतन आयोग, जो जनवरी 2016 से देय था, राज्य विधानसभा चुनाव से सिर्फ छह महीने पहले काफी देरी से और जल्दबाजी में जुलाई 2021 में लागू किया गया। दस्तावेज में कहा गया, ‘‘पिछली सरकार छठे पंजाब वेतन आयोग के लागू होने के मद्देनजर एक जनवरी 2016 से 30 जून 2021 तक संशोधित वेतन के बकाया का भुगतान नहीं कर सकी। अकेले इस मद में बकाया देनदारी लगभग 13,759 करोड़ रुपए होने की संभावना है।’’ श्वेत पत्र में कहा गया कि पंजाब को उसका पुराना वैभव वापस लाने के लिए प्रत्यक्ष राजस्व वृद्धि उपायों के साथ-साथ व्यय प्रतिबद्धताओं पर गंभीरता से पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।