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President Election: उद्धव ने NDA उम्मीदवार मुर्मू को अपना समर्थन देने का किया ऐलान, क्या भाजपा से सुलह करना चाहते हैं ठाकरे

President Election: राष्ट्रपति पद के लिए NDA की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के समर्थन से एकनाथ शिंदे गुट के साथ-साथ पूर्व सहयोगी भाजपा के साथ सुलह समझौते की संभावना पैदा हो गई है।

Written By: Pankaj Yadav
Published : Jul 13, 2022 22:06 IST, Updated : Jul 13, 2022 22:08 IST
Uddhav Thackeray and Draupadi Murmu
Uddhav Thackeray and Draupadi Murmu

Highlights

  • उद्धव ने NDA उम्मीदवार मुर्मू को अपना समर्थन दिया
  • उद्धव ने भाजपा के साथ सुलह के संकेत दिए
  • MVA को पूरी तरह से छोड़ सकते हैं उद्धव ठाकरे

President Election: राष्ट्रपति पद के लिए NDA की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने समर्थन देने के लिए हामी भर दी है। बता दें कि उद्धव खेमे के सांसदों ने द्रौपदी मुर्मू को अपना समर्थन देने के लिए उद्धव से अपील किया था। गौरतलब है कि सोमवार को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरें ने एक बैठक बुलाई थी जिसमें 7 सांसद बैठक में नहीं शामिल हुए। इसके पीछे की वजह द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने को लेकर था। वहीं बैठक में शामिल हुए उद्धव की शिवसेना के कई सांसद NDA उम्मीदवार को अपना समर्थन देने के पक्ष में थे। NDA उम्मीदवार को समर्थन करके ये सांसद भाजपा से बिगड़े संबंधों को भी सुधारने की दिशा में एक संकेत भी देना चाहते हैं। 

क्या भाजपा से सुलह करना चाहते हैं उद्धव ठाकरे

NDA उम्मीदवार को अपना समर्थन देने के बाद उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट के साथ-साथ पूर्व सहयोगी भाजपा के साथ सुलह समझौते की संभावना पैदा हो गई है। राजनीतिज्ञों का कहना है कि महा विकास आघाड़ी (MVA) के अपने सहयोगियों से अलग जाकर ठाकरे ने दिखाया है कि वह MVA को पूरी तरह से छोड़ सकते हैं। मुर्मू को समर्थन किये जाने से भविष्य में मेल-मिलाप और के लिए दरवाजे खुले रह सकते है। वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद को लेकर ठाकरे का भारतीय जनता पार्टी (BJP) से मतभेद हो गया था। जब शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के ज्यादातर विधायकों ने पिछले महीने ठाकरे के नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह किया था, तो उन्होंने दावा किया था कि वे भाजपा के साथ ‘‘स्वाभाविक गठबंधन’’ को फिर से बनाना चाहते हैं। 

उद्धव ठाकरे की सरकार गिरने और शिंदे के भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बनने के बाद, राहुल शेवाले जैसे शिवसेना सांसदों ने खुले तौर पर ठाकरे से राष्ट्रपति चुनाव में NDA उम्मीदवार का समर्थन करने का आग्रह किया था। 

एक अन्य राजनीतिक पर्यवेक्षक ने कहा, ‘‘ठाकरे के फैसले के ज्यादा मतलब नहीं निकाले जाने चाहिए। शिवसेना ने कई बार एक अलग रुख अपनाया था, तब भी जब वह भाजपा की सहयोगी थी।’’ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) अध्यक्ष शरद पवार ने रविवार को कहा था कि वह चाहते हैं कि तीन एमवीए सहयोगी - ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना, NCP और कांग्रेस - सभी चुनाव एक साथ मिलकर लड़ें, लेकिन बुधवार को उन्होंने कहा कि राकांपा मुंबई निकाय चुनाव सक्रियता से लड़ेगी और उन्होंने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से शहर में राकांपा को मजबूत करने का आह्वान किया। 

महाराष्ट्र से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रत्नाकर महाजन ने कहा कि वह शिवसेना के फैसले से हैरान नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘‘शिवसेना भाजपा के साथ प्रतिस्पर्धा कर रही है कि कौन अधिक हिंदुत्ववादी पार्टी है। शिवसेना को यह साबित करना होगा कि वह अपना राजनीतिक आधार बनाए रखने के लिए भाजपा से आगे है।’’ महाजन ने कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसियों की धमकी एक और कारक है। उन्होंने कहा, ‘‘एमवीए का गठन एक राजनीतिक और वैचारिक गलती थी और इसकी सरकार पूरे कार्यकाल तक नहीं चल पाती। मैंने पहले भी पार्टी मंचों पर यह बात कही थी।

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