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President Election: कैसे होता है राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति चुनाव, क्या हैं उनकी शक्तियां, जानिए सब कुछ

President Election: दोनों पदों के लिए चुनाव का शंखनाद हो चुका है। मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो रहा है। 18 जुलाई को राष्ट्रपति पद के लिए मतदान होगा।

Written By: Niraj Kumar
Published : Jul 09, 2022 20:24 IST, Updated : Jul 09, 2022 20:24 IST
President and vice President Election
Image Source : INDIA TV President and vice President Election

Highlights

  • राष्ट्रपति पद के लिए 18 जुलाई को मतदान
  • उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए 6 अगस्त को वोटिंग

President Election: देश में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव (Vice President election) के लिए नामांकन की प्रक्रिया जारी है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि राष्ट्रपति (President) को देश का प्रथम नागरिक कहा जाता है। यह देश का सबसे बड़ा संवैधानिक पद है। भारतीय संघ की कार्यपालिका की सभी शक्ति राष्ट्रपति में निहित है। वहीं उप राष्ट्रपति का पद राष्ट्रपति के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद होता है। इन दोनों पदों के लिए चुनाव का शंखनाद हो चुका है। मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो रहा है। 18 जुलाई को राष्ट्रपति पद के लिए मतदान होगा। एनडीए की ओर से द्रौपदी मूर्मु को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया जबकि विपक्ष की ओर से पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा चुनाव मैदान में हैं। वहीं उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए 6 अगस्त को वोटिंग होगी। 19 जुलाई तक नामांकन का आखिरी तारीख है। मौजूदा उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त को खत्म हो रहा है। इस लेख में हम राष्ट्रपति- उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया, उनके कार्य और शक्तियों के बारे विस्तार से जानेंगे। 

राष्ट्रपति का चुनाव 

सबसे पहले हम यह जानेंगे कि राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है। इस चुनाव में जनता की सीधी भागीदारी नहीं होती है बल्कि जनता का प्रतिनिधित्व करने वाले यानी सांसद और विधायक वोटिंग करते हैं। इन सांसदों और विधायकों में भी जो नॉमिनेटेड सांसद या विधायक हैं वे मतदान नहीं कर सकते, क्योंकि वे सीधे जनता द्वारा चुनकर सदन में नहीं आते हैं। 

राष्ट्रपति पद के लिए योग्यता

  1. भारत का नागरिक होना अनिवार्य
  2. उम्र  35 वर्ष से कम नहीं 
  3. किसी लाभ के पद पर आसीन नहीं होना चाहिए

कैसे होता है राष्ट्रपति चुनाव

  1. इलेक्टोरल कॉलेज के जरिए होता है राष्ट्रपति चुनाव
  2. लोकसभा-राज्यसभा के कुल 776 सदस्य करते हैं वोटिंग
  3. राज्य विधानसभाओं के 4,809 विधायक भी करते हैं मतदान
  4. लोकसभा और राज्यसभा के वोटों का मू्ल्य समान होता है 
  5. विधायकों के वोटों का मूल्य (वेटेज) अलग-अलग होता है
  6. राज्य की जनसंख्या के आधार पर तय होता है वेटेज

इलेक्टोरल कॉलेज के जरिए होता है राष्ट्रपति चुनाव

राष्ट्रपति का चुनाव इलेक्टोरल कॉलेज के जरिए होता है। इसमें लोकसभा और राज्यसभा कुल 776 सदस्य और विधानसभाओं के 4,809 सदस्य शामिल होते हैं। इन सभी के वोटों का मूल्य या वेटेज अलग-अलग होता है। लोकसभा और राज्यसभा के वोटों का वेटेज एक होता है जबकि विधानसभा के सदस्यों का अलग वेटेज होता है। दो राज्यों के विधायकों का वेटेज भी अलग-अलग होता है। इसे अनुपातिक प्रतिनिधित्व व्यवस्था कहते हैं। 

विधायकों के वोट का मूल्य 

विधायकों का मूल्य ( वेटेज ) राज्य की जनसंख्या के आधार पर तय होता है। राज्य की जनसंख्या को चुने हुए विधायक की संख्या से बांटा जाता है और फिर उसे एक हजार से भाग दिया जाता है। इसके बाद जो अंक मिलता है वह उस राज्य के एक विधायक के वोट का वेटेज होता है। एक हजार से भाग देने पर अगर शेष 500 से ज्यादा हो तो वेजेट में एक जोड़ दिया जाता है। 

सांसदों के वोट का मूल्य

सांसदों के वोटों के वेटेज का अलग हिसाब है। सबसे पहले सभी राज्यों की विधानसभाओं निर्वाचित सदस्यों के वोटों का वेटेज जोड़ा जाता है। अब इस सामूहिक वेटेज को राज्यसभा और लोकसभा के निर्वाचित सदस्यों की कुल संख्या से भाग दिया जाता है। इस तरह जो नंबर मिलता है, वह एक सांसद के वोट का वेटेज होता है। अगर इस तरह भाग देने पर शेष 0.5 से ज्यादा बचता हो तो वेटेज में एक का इजाफा हो जाता है।

वोटिंग के लिए खास पेन

मतदान के दौरान बैलेट पेपर पर सभी उम्‍मीदवारों के नाम होते हैं और मतदाता को अपनी वरीयता को 1 या 2 अंक के रूप में उम्‍मीदवार के नाम के सामने लिखना होता है। यह नंबर लिखने के लिए के लिए चुनाव आयोग एक विशेष पेन उपलब्‍ध कराता है। यदि यह नंबर किसी अन्‍य पेन से लिख दिए जाएं तो वह वोट अमान्‍य हो जाता है। 

कुल वेटेज का आधा से ज्यादा वोट प्राप्त करना जरूरी

राष्ट्रपति चुनाव से जुड़ी दिलचस्प बात यह है कि इस चुनाव में सबसे ज्यादा वोट प्राप्त करने वाले उम्मीदवार को विजेता नहीं घोषित किया जाता है बल्कि विजेता वह होता है जो सांसदों और विधायकों के वोटों के कुल वेटेज का आधा से ज्यादा वोट प्राप्त कर लेता है। राष्ट्रपति चुनाव में पहले से ही यह तय होता है कि जीतने के लिए कितने वोटों की जरूरत होगी। इस बार राष्ट्रपति चुनाव के लिए जो इलेक्टोरल कॉलेज है, उसके सदस्यों के वोटों का कुल वेटेज 10,98,882 है। तो जीत के लिए उम्मीदवार को कुल 5,49,442 वोट हासिल करने होंगे । जो प्रत्याशी वेटेज हासिल कर लेता है वह राष्ट्रपति चुन लिया जाता है। 

राष्ट्रपति की शक्तियां 

  1. कार्यपालिका की पूरी शक्तियां राष्ट्रपति के हाथ में होती है।
  2. राष्ट्रपति इन शक्तियों का प्रत्यक्ष तौर पर खुद या फिर अपने अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से इस्तेमाल कर सकते हैं।
  3. राष्ट्रपति का प्रमुख दायित्व प्रधानमंत्री की नियुक्ति और संविधान का संरक्षण करना है।
  4. इन कामों के लिए कई बार वो अपने विवेक का इस्तेमाल करते हैं। 
  5. कोई भी अधिनियम राष्ट्रपति की मंजूरी के बिना पारित नहीं हो सकता।
  6. मनी बिल को छोड़कर किसी भी बिल को पुनर्विचार के लिए वापस कर सकते हैं।

राष्ट्रपति तक पहुंचा सकते हैं आप भी अपनी बात 

वर्ष 2007 में लोगों के लिए राष्ट्रपति सचिवालय से संपर्क करने के लिए एक ऑनलाइन सेवा की शुरुआत की गई थी। इस सेवा के माध्यम से लोग अपनी राष्ट्रपति तक पहुंचा सकते हैं। इसके लिए राष्ट्रपति सचिवालय में आपको अपना रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। 

उपराष्ट्रपति का चुनाव

उपराष्ट्रपति का चुनाव भी राष्ट्रपति चुनाव की तह इलेक्टोरल कॉलेज के जरिए होता है। इस पद पर निर्वाचित शख्स जनप्रतिनिधियों की पसंद होता है। राष्ट्रपति चुनाव में मनोनीत सांसद वोट नहीं डाल सकते हैं, लेकिन उपराष्ट्रपति चुनाव में ऐसा नहीं है। उपराष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के मननीत सदस्य भी वोट कर सकते हैं। इस तरह से उपराष्ट्रपति चुनाव में दोनों सदनों के 790 सदस्य वोटिंग में हिस्सा लेते हैं।  

उपराष्ट्रपति के लिए योग्यता

  1. भारत का नागरिक होना चाहिए
  2. उम्र 35 साल से कम नहीं होना चाहिए
  3. राज्यसभा का सदस्य निर्वाचित होने योग्य हो
  4. केंद्र या राज्य के अधीन किसी लाभ के पद पर न हो

20 मतदाताओं का प्रस्तावक का होना जरूरी

उपराष्ट्रपति के लिए मतदान गोपनीय होता है। हर सदस्य केवल एक वोट ही डाल सकता है। राष्ट्रपति चुनाव में निर्वाचित सांसदों के साथ-साथ विधायक भी मतदान करते हैं लेकिन उपराष्ट्रपति चुनाव में केवल लोकसभा और राज्यसभा के सांसद ही वोट डाल सकते है। उपराष्ट्रपति पद के लिए अभ्यर्थी का नाम 20 मतादाताओं द्वारा प्रस्तावित किया जाना जरूरी है साथ ही उसे  20 मतदाताओं का समर्थन भी हासिल होना चाहिए। साथ ही उम्मीदवार 15 हजार रुपये की जमानत राशि भी जमा करना जरूरी होता है। प्रत्याशी अगर चाहे तो निर्वाचन अधिकारी को लिखित नोटिस देकर नाम वापस भी ले सकता है।

अनुपातिक प्रतिनिधि पद्धति

उपराष्ट्रपति के लिए चुनाव अनुपातिक प्रतिनिधि पद्धति के तहत किया जाता है। इसमें वोटिंग के लिए एक खास प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाता है जिसे सिंगल ट्रांसफ़रेबल वोट सिस्टम कहते है। इसके तहत वोटर को एक वोट ही देना होता है लेकिन उसे अपनी प्राथमिकता तय करनी होती है। बैलेट पेपर पर उम्मीदवारों की लिस्ट में पहली पसंद को एक और दूसरी दो इस तरह से उसे प्राथमिकता तय करनी होती है।

वोटों की गिनती

उपराष्ट्रपति पद के लिए मतगणना में यह देखा जाता है कि सभी उम्मीदवार को पहली प्राथमिकता वाले वोट कितने मिले हैं। फिर सभी उम्मीदवारों को मिले पहली प्राथमिकता वाले वोटों को गिना जाता है। इसके बाद कुल संख्या को 2 से भाग जाता है और भागफल में 1 जोड़ दिया जाता है। इसके बाद जो संख्या मिलती है उसे वह कोटा माना जाता है, जो किसी उम्मीदवार को काउंटिंग में बने रहने के लिए जरूरी है। अगर कोई उम्मीदवार पहली काउंटिंग में जीत के लिए जरूरी कोटे के बराबर या उससे ज्यादा वोट हासिल कर लेता है तो उसे विजेता  घोषित कर दिया जाता है।अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर प्राथमिकता के आधार पर वोट गिने जाते हैं और पहले उस उम्मीदवार को बाहर किया जाता है जिसे पहली गिनती में सबसे कम वोट मिले। लेकिन उसे प्राप्त वोटों से यह देखा जाता है कि उसकी दूसरी पसंद के कितने वोट किस उम्मीदवार को मिले हैं। 

कैसे होते हैं उम्मीदवार बाहर

दूसरी वरीयता के वोट ट्रांसफर होने के बाद सबसे कम वोट वाले उम्मीदवार को बाहर करने की नौबत आने पर अगर दो उम्मीदवारों को सबसे कम वोट मिले हों तो बाहर उसे किया जाता है जिसके पहली प्राथमिकता वाले वोट कम हों।

कौन बना रहता है दौड़ में

अगर अंत तक किसी को तय कोटा न मिले तो भी इस सिलसिले में उम्मीदवार बारी-बारी से बाहर होते रहते हैं और आखिर में जिसे भी सबसे ज्यादा वोट मिलता है वह विजयी होता है।

उपराष्ट्रपति की भूमिका और शक्तियां

  1. राष्ट्रपति के बाद दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद उपराष्ट्पति का है
  2. उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति होते हैं
  3. राष्ट्रपति की गैरहाजिरी में उपराष्ट्रपति ही राष्ट्रपति का कामकाज देखते हैं

राष्ट्रपति की ही तरह उपराष्ट्रपति के पास आवेदन देने या फिर मिलने के लिए उपराष्ट्रपति के दफ्तर में ऑनलाइन संपर्क किया जा सकता है। आपको बता दें कि उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पांच वर्ष का होता है। लेकिन वह इस समय सीमा के खत्म हो जाने पर भी अपने उत्तराधिकारी के पद ग्रहण करने तक पद पर बने रह सकते हैं।

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