Friday, November 22, 2024
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President Election: वंचितों के लिए द्रौपदी मुर्मू से ज्यादा काम किया; वाजपेयी की BJP का सदस्य था, इस पर गर्व है- यशवंत सिन्हा

यशवंत सिन्हा ने कहा कि आज की भाजपा वाजपेयी की भाजपा से अलग है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में लोकतांत्रिक मूल्य खतरे में हैं। 84 वर्षीय सिन्हा ने कहा कि इस बार राष्ट्रपति चुनाव पहचान की नहीं बल्कि विचारधारा की लड़ाई है।

Edited by: Khushbu Rawal @khushburawal2
Updated on: June 24, 2022 7:02 IST
Yashwant Sinha- India TV Hindi
Image Source : PTI Yashwant Sinha

Highlights

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में लोकतांत्रिक मूल्य खतरे में हैं- सिन्हा
  • मुर्मू आदिवासी समुदाय से आती हैं लेकिन उन्होंने क्या किया है?- सिन्हा
  • मुकाबला खुला है, मैं मैदान में हूं और हम अच्छा मुकाबला करेंगे- सिन्हा

President Election: राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने गुरुवार को कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री के रूप में उन्होंने अनुसूचित जनजातियों और अन्य वंचित वर्गों के लिए राजग की इस शीर्ष पद की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू से ‘बहुत ज्यादा’ काम किया है। सिन्हा ने झारखंड की राज्यपाल समेत अनेक पदों पर रहते हुए मुर्मू के कल्याणकारी कार्यों के रिकॉर्ड पर सवाल भी उठाया। वर्ष 2018 से पहले लंबे समय तक भाजपा में रहने के बावजूद सिन्हा के साथ विपक्ष के समर्थन को लेकर कुछ हलकों में उठ रहे सवालों के बारे में पूछे जाने पर पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई वाली पार्टी का सदस्य रहने के दौरान अपने रिकॉर्ड पर गर्व है।

'आज की भाजपा वाजपेयी की भाजपा से अलग'

उन्होंने कहा कि आज की भाजपा वाजपेयी की भाजपा से अलग है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में लोकतांत्रिक मूल्य खतरे में हैं। 84 वर्षीय सिन्हा ने कहा कि इस बार राष्ट्रपति चुनाव पहचान की नहीं बल्कि विचारधारा की लड़ाई है। उन्होंने कहा, ‘‘यह पहचान का प्रश्न नहीं है कि कौन मुर्मू हैं या कौन सिन्हा हैं। यह प्रश्न है कि वह हमारे राजतंत्र में किस विचारधारा का प्रतिनिधित्व करती हैं और मैं किस विचारधारा का प्रतिनिधित्व करता हूं।’’ सिन्हा ने कहा कि वह भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों के संरक्षण के लिए खड़े हुए हैं।

'मुर्मू आदिवासी समुदाय से आती हैं लेकिन उन्होंने क्या किया है?'
सत्तारूढ़ गठबंधन के अनेक नेताओं द्वारा मुर्मू की साधारण पृष्ठभूमि और आदिवासी पहचान का जगह-जगह उल्लेख किए जाने और उनकी प्रशंसा किए जाने के संदर्भ में सिन्हा ने कहा, ‘‘वह आदिवासी समुदाय से आती हैं लेकिन उन्होंने क्या किया है? वह झारखंड की राज्यपाल रहीं। उन्होंने आदिवासियों की हालत सुधारने के लिए क्या कदम उठाये? किसी समुदाय में जन्म लेने भर से आप खुद ब खुद समुदाय के पैरोकार नहीं बन जाते।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं वित्त मंत्री था तब लगातार 5 साल में पेश किए गए बजटों को देखिए। हर बजट में अनसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और महिलाओं समेत कमजोर वर्गों के लिए विशेष प्रावधान थे। यह उस सरकार की नीति थी जिसमें मैं काम कर रहा था। मैं आज दावा कर सकता हूं कि मैंने वंचितों और आदिवासियों के लिए उनसे ज्यादा काम किया है। बस मैं आदिवासी समुदाय में नहीं जन्मा।’’

'मैं मैदान में हूं और हम अच्छा मुकाबला करेंगे'
सिन्हा ने आरोप लगाया कि भाजपा पहचान की राजनीति पर आश्रित है जबकि विपक्ष वैचारिक संदेश दे रहा है। राष्ट्रपति चुनाव में निर्वाचक मंडल की संख्या मुर्मू के पक्ष में मजबूती से दिखाई दे रही है, लेकिन नौकरशाही से राजनीति में आए सिन्हा ने कहा कि वह जीतने के पूरे दृढ़संकल्प के साथ चुनाव में उतरे हैं। उन्होंने दावा किया, ‘‘मैं जानता हूं कि अनेक हलकों से संकेत मिल रहे हैं कि बीच में जो दल हैं वे हमसे ज्यादा भाजपा की ओर ज्यादा झुकाव रखते हैं। ये शुरुआती दिन हैं। आगे जाकर चीजें बदलेंगी।’’

सिन्हा ने कहा कि वह 27 जून को अपना नामांकन दाखिल करने के बाद हर पार्टी के सदस्यों से समर्थन के लिए बात करेंगे और देशभर की यात्रा करेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘जब हमने चुनाव प्रचार शुरू किया था तो भाजपा बहुमत से पीछे थी। मुकाबला खुला है। मैं मैदान में हूं और हम अच्छा मुकाबला करेंगे।’’ सिन्हा ने कहा कि राष्ट्रपति का आधारभूत काम संविधान की रक्षा और संरक्षण करना है और जब भी वह देखे कि कार्यपालिका सीमारेखा पार कर रही है तो उसे अनुशासित करना भी राष्ट्रपति की जिम्मेदारी होती है।

'वाजपेयी के समय जो भाजपा थी, आज अस्तित्व में नहीं है'
उन्होंने कहा कि यदि राष्ट्रपति भवन में ऐसा व्यक्ति बैठा है जो बोलने का साहस नहीं करता तो कार्यपालिका नियंत्रण में नहीं रहेगी। भाजपा के साथ अपने करीब ढाई दशक के साथ के बारे में पूछे गये सवाल पर सिन्हा ने कहा कि आज अनेक राजनीतिक दल हैं जो वाजपेयी नीत सरकार का समर्थन कर रहे थे। उन्होंने दावा किया कि उस समय जो भाजपा थी, आज अस्तित्व में नहीं है।

गौरतलब है कि इस समय भाजपा की धुर विरोधी दो पार्टियां- तृणमूल कांग्रेस और द्रमुक अलग-अलग समय पर वाजपेयी सरकार में शामिल रही थीं। सिन्हा ने कहा कि वाजपेयी महान सांसद थे, लोकतंत्र और आम-सहमति से काम करने वाले बड़े नेता थे। उन्होंने इराक युद्ध और पाकिस्तान पर तत्कालीन वाजपेयी सरकार की नीतियों का जिक्र करते हुए कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अपने गठबंधन सहयोगियों के साथ ही विपक्षी सदस्यों से भी महत्वपूर्ण विषयों पर बात करते थे। सिन्हा ने आरोप लगाया, ‘‘यह (मोदी) सरकार आम-सहमति में भरोसा नहीं रखती। यह उस भाजपा तथा इस भाजपा में बुनियादी अंतर है। यह भाजपा अलग है।’’ मौजूदा सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि अदालतों समेत लोकतांत्रिक संस्थाओं का ‘अवमूल्यन’ हुआ है।

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