नई दिल्ली: मोदी विरोधी मोर्चे ने अपनी रणनीति में धार देना शुरु कर दिया है। अब मोदी विरोधी मोर्चे की बैठक शिमला में नहीं बल्कि 13 से 14 जुलाई के बीच बेंगलुरु में होगी। इसका एलान खुद एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने किया है। एक तरफ विरोधी मोदी को रोकने का प्लान बना रहे हैं, तो दूसरी तरफ प्रधानमंत्री इनकी एक-एक चाल पर नजर रखे हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ कई मीटिंग की हैं। उन्होंने आरएसएस के नेताओं और कार्यकर्ताओं से भी एक-एक सांसद और मंत्री का फीडबैक लिया है।
मंत्रिमंडल और संगठन में कई खामियों का पता चला
पार्टी और संघ दोनों के सर्वे में मोदी को मंत्रिमंडल और संगठन में कई खामियों का पता चला है, जिसके आधार पर वह आने वाले दिनों में कई चौंकाने वाले फैसले भी ले सकते हैं। मोदी पार्टी के अंदर और बाहर एक ऐसा चक्रव्यूह तैयार कर देना चाहते हैं जिससे विरोधियों को जवाब भी मिल जाए और आने वाले विधानसभा चुनावों और 2024 के लोकसभा चुनावों में जीत का रास्ता भी तय हो जाए। रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रधानमंत्री आने वाले विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव को लेकर बहुत सीरियस है और किसी भी सूरत में कर्नाटक जैसी चूक नहीं होने देना चाहते।
कर्नाटक के नतीजों के बाद बैकफुट पर आई बीजेपी
बीजेपी को कर्नाटक चुनावों से वैसे नतीजों की उम्मीद नहीं थी जैसे इलेक्शन के बाद सामने आए। बीजेपी ने कर्नाटक में रणनीतिक तौर पर पूरी ताकत लगाई लेकिन सफलता नहीं मिली। कर्नाटक से ही बीजेपी दक्षिण भारत में घुसने का बीजेपी प्लान बना रही थी, लेकिन नतीजों के बाद बैकफुट पर आ गई। दूसरी तरफ इन नतीजों ने विपक्ष के भीतर मोदी से लड़ने की ताकत भर दी है, और उनके लिए चुनौती भी खड़ी कर दी है। 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना के विधानसभा चुनाव है। बीजेपी हर हाल में इनमें से कम से कम 3 विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करना चाहती है।
सर्वे में बताई गई बदलाव की जरूरत
बीजेपी के इंटरनल सर्वे और फीडबैक से जो रिपोर्ट मिली है.उसके हिसाब से बड़े बदलाव की जरूरत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी सिलसिले में लगातार बैठकें कर रहे हैं। 28 जून को देर रात पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री आवास पर गृहमंत्री अमित शाह, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ बैठक की। इसी महीने अमित शाह ने जेपी नड्डा, बीएल संतोष और आरएसएस के एक शीर्ष पदाधिकारी अरुण कुमार के साथ कम से कम 5 मैराथन बैठकें कीं। 5 जून, 6 जून और 7 जून को इन नेताओं ने बीजेपी मुख्यालय पर लंबी बैठक कर पार्टी में बदलाव की रूपरेखा तैयार की थी। सारी बैठकें 3 से 5 घंटे चली है और एक बैठक के अलावा बाकी सभी बीजेपी की एक्सटेंसन बिल्डिंग में हुई हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी आने वाले दिनों में 3 बड़े बदलाव कर सकते हैं:
1: मंत्रिमंडल में बदलाव - सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर मंत्रिमंडल में बदलाव की जरूरत ही क्या है? दरअसल, पीएम मोदी ने संगठन को फीडबैक का टास्क दिया था। इसमें पार्टी और आरएसएस दोनों की तरफ से पब्लिक के फीडबैक के लिए कहा गया था। फीडबैक में जिन मंत्रियों की परफॉर्मेंस अच्छी नहीं है, उनको हटाया जा सकता है और सियासी समीकरणों के हिसाब से कुछ नए लोगों की एंट्री हो सकती है। इसके तहत शिंदे गठबंधन से किसी को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है तो यूपी के मंत्रियों को भी मोदी चौंका सकते हैं। बंगाल में किसी परिवर्तन की संभावना नहीं है जबकि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ को देखते हुए बड़ा फैसला लिया जा सकता है।
2: संगठन में बदलाव - सिर्फ मंत्रिमंडल ही नहीं, कर्नाटक चुनाव हारने के बाद बीजेपी को अपने इंटर्नल सर्वे में संगठन में भी बहुत सारी कमियां दिखीं। पार्टी और आरएसएस ने जो इनपुट दिया है, उसका विश्लेषण करने के बाद संगठन में भी बड़े बदलाव की जरूरत समझी जा रही है। कहा तो यह जा रहा है कि विधानसभा चुनाव और 2024 के चुनाव के लिए प्रधानमंत्री कुछ बड़ा फैसला कर सकते हैं। पीएम मोदी और अध्यक्ष जेपी नड्डा को जो फीडबैक मिला है, उसी के हिसाब से पार्टी रणनीति बना रही है। बीजेपी को पता है कि पीएम मोदी के खिलाफ एंटीइनकम्बैंसी नहीं है, जो कुछ है वह सांसद और मंत्रियों के खिलाफ है। यही वजह है कि संगठन में बड़ा बदलाव हो सकता है।
3: गठबंधन की नई रणनीति - तीसरा एजेंडा गठबंधन की नई रणनीति का है जिस पर पीएम मोदी बड़ा फैसला ले सकते हैं। उदाहरण के तौर पर बिहार को लेकर प्रधानमंत्री की रणनीति काफी आक्रामक है। नीतीश कुमार ने पटना से ही मोदी के खिलाफ बिगुल फूंका है इसीलिए बिहार पर मोदी की खास नजर है। इस सूबे में जीतन राम मांझी के साथ समझौते के साथ-साथ LJP के दोनों खेमों को भी एक पेज पर लाने की कोशिश हो सकती है। उपेंद्र कुशवाहा की बीजेपी से नजदीकी की खबरें किसी छिपी नहीं हैं। साथ ही दक्षिण में टीडीपी, पंजाब में अकाली दल और यूपी में ओमप्रकाश राजभर से बात हो ही रही है।
बदल सकता है कई नेताओं का भाग्य
पार्टी और संगठन में बदलाव की सूरत में कई नेताओं का भाग्य बदल सकता है। केंद्रीय मंत्रियों अनुराग ठाकुर, धर्मेंद्र प्रधान और भूपेंद्र यादव की जिम्मेदारियां बढ़ सकती हैं। बिहार में बढ़ी राजनीतिक सक्रियता को देखते हुए राज्य के कुछ नेताओं को संगठन में अहम भूमिकाएं सौंपी जा सकती है। तेलंगाना में पार्टी अध्यक्ष बंडी संजय कुमार को लेकर कार्यकर्ताओं में काफी रोष था, इसलिए वहां पर भी कुछ बदलाव कर चुनावी समीकरण साधने की कोशिश की जा सकती है। पार्टी में और भी कई बड़े बदलाव हो सकते हैं जो काफी लोगों को चौंका सकते हैं और इन बदलावों में अब ज्यादा वक्त नहीं रह गया है।