मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को मोदी कैबिनेट में बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। शिवराज को देश का नया कृषि मंत्री बनाया गया है। इसके साथ ही शिवराज को किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्रालय भी दिया गया है। अब मंत्रालय का प्रभार मिलने के कुछ ही देर बाद शिवराज सिंह चौहान एक्शन मोड में आ गए हैं। शिवराज ने सोमवार की शाम देश के कृषि अधिकारियों की बैठक बुलाई और आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
अधिकारियों के साथ बैठक
जानकारी के मुताबिक केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री चौहान ने एमपी भवन में विभागों के प्रमुख अधिकारियों के साथ पहली अनौपचारिक बैठक की है। अधिकारियों को विभागों के प्रमुख विषयों पर सामान्य जानकारी लेकर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं। शिवराज सिंह चौहान कल मंगलवार को सुबह मंत्रालय जाकर पदभार ग्रहण करेंगे और बैठक लेंगे।
ये अधिकारी रहे शामिल
केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा अधिकारियों के साथ की गई पहली अनौपचारिक बैठक में कृषि मंत्रालय के सचिव मनोज आहूजा, ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव शैलेंद्र सिंह, भूमि संसाधन विभाग के सचिव मनोज जोशी और कृषि मंत्रालय के उपसचिव तेजस्वी नायक शामिल थे।
शिवराज के पास शासन का व्यापक अनुभव
मध्य प्रदेश के चार बार मुख्यमंत्री रह चुके शिवराज का शासन में व्यापक अनुभव और ग्रामीण आबादी के साथ गहरा जुड़ाव रहा है। केंद्रीय कृषि मंत्री के रूप में चौहान की नियुक्ति से कृषि क्षेत्र और कृषक समुदाय के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने में सरकार के प्रयासों को नई गति मिलने की उम्मीद है।
कैसा रहा राजनीतिक सफर?
पांच मार्च, 1959 को सीहोर जिले के जैत गांव में एक किसान परिवार में जन्मे चौहान की राजनीतिक यात्रा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से शुरू हुई, जब वह सिर्फ 13 वर्ष के थे। वह पहली बार वर्ष 1990 में बुधनी से मध्य प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए और बाद में 1991 में विदिशा से संसद सदस्य बने। वह वर्ष 1996, वर्ष 1998, वर्ष 1999 और वर्ष 2004 में उसी निर्वाचन क्षेत्र से फिर से चुने गए। शिवराज 4 बार एमपी के सीएम रहे। इस बार वह विदिशा के चुनाव जीतकर आए हैं।
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