Thursday, November 21, 2024
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जिस संसद भवन में भगत सिंह ने फेंका था बम, आज वहां हो रही सांसदों की आखिरी बैठक

आज पुरानी संसद भवन में आखिरी बैठक हो रही है। मंगलवार 19 सितंबर को नए संसद भवन में सत्र शुरू हो जाएगा। पुराने संसद भवन का निर्माण साल 1921 में शुरू हुआ था और यह 1927 में बनकर तैयार हो गया था।

Written By: Sudhanshu Gaur @SudhanshuGaur24
Updated on: September 18, 2023 18:10 IST
पुराने संसद भवन में...- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV पुराने संसद भवन में सांसदों की आखिरी बैठक

नई दिल्ली: देश के लोकतंत्र का पिछले 75 वर्षों से अधिक समय का साक्षी रहा संसद भवन आज के बाद इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाएगा। मंगलवार को नए संसद भवन में बैठकें होंगी। वहीं से देश के कानून बनाए जाएंगे। आज सोमवार को पुराने संसद भवन में आखिरी बैठक हो रही है। कल से सभी सांसद नए भवन में शिफ्ट हो जाएंगे। पुराना संसद भवन देश की आजादी से लेकर 1975 में आपातकाल और 2001 में हुए आतंकी हमले का गवाह रहा है। इस भवन ने भारतीय राजनीति की कई उठापटक देखी हैं। 

1927 में बनकर तैयार हो गया था भवन 

पुरानी संसद भवनका निर्माण साल 1921 में ब्रिटिश सरकार के द्वारा शुरू कराया गया था और 1927 में यह बनकर तैयार हो गया था। इसके निर्माण में 2500 से भी ज्यादा राजमिस्त्री लगाए गए थे। इसे बनवाने में लगभग 83 लाख रुपए की लगत आई थी। इसका उद्घाटन उस समय के वायसराय लॉर्ड इरविन ने किया था। इस भवन की रुपरेखा उस समय के जाने-माने वास्तुकार एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकार ने बनाई थी।

उद्घाटन के 2 साल बाद आजादी के दीवाने शहीदे आजम भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने इसी भवन में बम फेंका था। दरअसल उस समय सरकार के जुल्म बढ़ते ही जा रहे थे। सरकार अपनी मनमानी चला रही थी और इसी बहरी सरकार के कान खोलने के लिए भगत सिंह ने यहां बम फेंका था और अपनी गिरफ्तारी दे दी थी। हालांकि इस धमाके में किसी की जान नहीं गई थी और क्रांतिकारियों को ऐसा मकसद भी नहीं था। यह बम केवल आवाज करने वाले थे।

Parliament House

Image Source : FILE
पुराने संसद भवन में सांसदों की आखिरी बैठक

इसी संसद भवन में देश का कानून बना था और संविधान सभा की बैठकें होती थीं। 14 अगस्त 1947 कि रात 11 बजे संसद भवन में संविधान सभा का विशेष सत्र बुलाया गया था। इस बैठक की अध्यक्षता राजेंद्र प्रसाद ने की थी। कार्रवाई की शुरुआत वंदे मातरम गाकर की गई थी, जिसे सुचेता कृपलानी ने गया था। इसके बाद जवाहर लाल नेहरु ने 'ट्रिस्ट विद डेस्टिनी' वाला मशहूर भाषण दिया था।

सन 1975 में यहीं से हुआ था इमरजेंसी का ऐलान 

इसी संसद भवन ने 21 जुलाई 1975 का काला दिन भी देखा था, जब लोकसभा में उप गृहमंत्री ने राष्ट्रपति के द्वारा लगाई गई इमरजेंसी का ऐलान किया था। इसके बाद विपक्ष के कई नेताओं को जेल में डाल दिया गया। इसी पुराने भवन ने 13 दिसंबर 2001 में अपने ऊपर आतंकी हमला भी देखा, जब पांच आतंकियों ने संसद भवन में हमला कर दिया था। इस दौरान कई घंटों तक गोलीबारी चली थी और इसमें 6 सुरक्षाकर्मियों समेत 9 लोगों की मौत हो गई थी।

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