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"अध्यादेश फाड़ना कांग्रेस की ताबूत में आखिरी कील," राहुल गांधी को लेकर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी ने किताब में बहुत कुछ लिखा

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपनी किताब ‘प्रणब, माई फादर: ए डॉटर रिमेम्बर्स’ में कहा है कि राहुल को खुद के गांधी-नेहरू परिवार का होने का घमंड है और उनके द्वारा अध्यादेश फाड़ना कांग्रेस की ताबूत में आखिरी कील साबित हुआ।

Edited By: Swayam Prakash @swayamniranjan_
Published on: December 07, 2023 8:16 IST
Pranab mukherjee rahul gandhi- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO राहुल गांधी को लेकर प्रणब मुखर्जी की बेटी ने किबात में किए कई खुलासे

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी पर लिखी गई एक किताब में कहा गया है कि साल 2013 में राहुल गांधी द्वारा एक अध्यादेश की कॉपी फाड़े जाने की घटना से वह स्तब्ध रह गए थे। साथ ही, कहा था कि उन्हें (राहुल के) खुद के गांधी-नेहरू परिवार का होने का ‘‘घमंड’’ है। इस किताब में दावा किया गया है कि यह घटनाक्रम 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए ‘‘ताबूत में आखिरी कील’’ साबित हुआ। प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपनी किताब ‘प्रणब, माई फादर: ए डॉटर रिमेम्बर्स’ में कहा है कि उनके पिता प्रणब मुखर्जी ने उनसे यह भी कहा था कि ‘‘राजनीति में आने का निर्णय शायद उनका नहीं था’’ और उनमें ‘‘करिश्मे और राजनीतिक समझ की कमी’’ एक समस्या पैदा कर रही है। 

जब राहुल नें प्रेस कॉन्फ्रेंस कर फाड़ा था अध्यादेश

गौरतलब है कि पूर्व कैबिनेट मंत्री और पार्टी के संचार विभाग के प्रमुख अजय माकन द्वारा 27 सितंबर, 2013 को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी पहुंचे थे और उन्होंने प्रस्तावित सरकारी अध्यादेश को ‘‘पूरी तरह से बकवास’’ बताते हुए कहा था कि इसे फाड़ दिया जाना चाहिए। इसके बाद उन्होंने सभी को हैरान करते हुए अध्यादेश की कॉपी फाड़ दी थी। उस अध्यादेश का उद्देश्य दोषी सांसदों और विधायकों को तत्काल अयोग्य ठहराने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दरकिनार करना था, और इसके बजाय यह प्रस्तावित किया गया था कि वे हाई कोर्ट में अपील लंबित रहने तक संसद और विधानमंडल सदस्य बने रह सकते हैं। 

जब गुस्से से लाल हो गए थे पूर्व राष्ट्रपति...

दिवंगत प्रणब मुखर्जी भारत के वित्त मंत्री रहे थे और बाद में विदेश, रक्षा, वित्त और वाणिज्य मंत्री बने। वह भारत के 13वें राष्ट्रपति (2012 से 2017) थे। प्रणब मुखर्जी का 31 अगस्त, 2020 को 84 साल की उम्र में निधन हो गया। अपनी किताब में शर्मिष्ठा का कहना है कि हालांकि उनके पिता खुद इस अध्यादेश के खिलाफ थे और सैद्धांतिक तौर पर राहुल से सहमत थे। उन्होंने पुस्तक में लिखा है, ‘‘लेकिन राहुल के इस व्यवहार से वह आश्चर्यचकित थे। मैं ही वह व्यक्ति थी जिसने सबसे पहले उन्हें यह खबर दी थी। बहुत दिनों के बाद मैंने अपने पिता को इतना क्रोधित होते देखा! उनका चेहरा लाल हो गया था और उन्होंने कहा था, ‘‘वह (राहुल) खुद को क्या समझते हैं। वह कैबिनेट के सदस्य नहीं हैं। कैबिनेट के फैसले को सार्वजनिक रूप से खारिज करने वाले वह कौन होते हैं।’’ 

"उन्हें खुद के गांधी-नेहरू परिवार का होने का घमंड"

मुखर्जी ने अपनी बेटी से कहा, ‘‘प्रधानमंत्री विदेश में हैं। क्या उन्हें (राहुल को) अपने व्यवहार के परिणाम और इसका प्रधानमंत्री और सरकार पर पड़ने वाले प्रभाव का एहसास भी है? उन्हें प्रधानमंत्री को इस तरह अपमानित करने का क्या अधिकार है?’’ मुखर्जी ने इस घटना के बारे में अपनी डायरी में भी लिखा, ‘‘यह पूरी तरह से अनावश्यक है। उन्हें खुद के गांधी-नेहरू परिवार का होने का घमंड है।’’ नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सत्ता में आने के साथ-साथ कांग्रेस लोकसभा में 44 सीट की अपनी सर्वकालिक न्यूनतम संख्या पर आ गई थी। रुपा प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक में कहा गया है, ‘‘उन्होंने मुझसे कहा था कि राहुल का यह व्यवहार कांग्रेस के लिए ताबूत में आखिरी कील है। पार्टी के (तत्कालीन) उपाध्यक्ष (राहुल) ने सार्वजनिक तौर पर अपनी ही सरकार के प्रति ऐसी उपेक्षा दिखाई थी तो लोग आपको (पार्टी को) फिर से वोट क्यों देते।’’

प्रणब मुखर्जी ने राहुल को दी थी सलाह

कांग्रेस की पूर्व प्रवक्ता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने 2021 में राजनीति छोड़ दी थी। प्रणब मुखर्जी के हवाले से पुस्तक में कहा गया है, ‘‘उन्होंने (मुखर्जी ने) राहुल को अपनी टीम में नए और पुराने, दोनों नेताओं को शामिल करने की सलाह दी।’’ पुस्तक में एक घटना का जिक्र करते हुए कहा गया, ‘‘एक सुबह, मुगल गार्डन (अब अमृत उद्यान) में प्रणब सुबह की सैर कर रहे थे, तभी राहुल उनसे मिलने आये। प्रणब को सुबह की सैर और पूजा के दौरान किसी भी तरह का व्यवधान पसंद नहीं था। फिर भी उन्होंने उनसे मिलने का फैसला किया।’’ 

राहुल पर कसा था तंज

पुस्तक के अनुसार, ‘‘पता चला कि राहुल असल में शाम को प्रणब से मिलने वाले थे, लेकिन उनके (राहुल के) कार्यालय ने गलती से उन्हें सूचित कर दिया कि बैठक सुबह है।’’ मैंने जब अपने पिता से पूछा, तो उन्होंने व्यंग्यात्मक टिप्पणी की, ‘अगर राहुल का कार्यालय ‘ए.एम’ और ‘पी.एम’ के बीच अंतर नहीं कर सकता है तो वह भविष्य में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को संचालित करने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं।’’ 

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