पटना : अगले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को केंद्र की सत्ता से बाहर करने के उद्देश्य से विपक्षी दलों के नेता पटना में गोलबंद होने लगे हैं। प्रमुख विपक्षी दलों के शीर्ष नेताओं की बैठक शुक्रवार को होगी। ममता बनर्जी पटना पहुंच चुकी हैं और वो आज लालू प्रसाद से मुलाकात करेंगी। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी कल चार्टड प्लेन से पटना पहुंचेंगे। विपक्षी दलों की इस बैठक में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ एक मजबूत विपक्षी मोर्चा बनाने पर मंथन होगा। सूत्रों के मुताबिक इस मंथन के दौरान नेतृत्व संबंधी सवालों को दरकिनार कर साझा मुकाबले की रणनीति पर ध्यान केंद्रित की जाएगी।
विपक्ष के तमाम बड़े नेता बैठक में होंगे शामिल
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पार्टी के नेता राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार के विपक्षी दलों की होने वाली इस पहली उच्च स्तरीय बैठक में भाग लेने की उम्मीद है। बैठक की मेजबानी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव कर रहे हैं।
सीटों के बंटवारे पर नहीं होगी बात
सूत्रों ने बताया कि इस बैठक को नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार का मुकाबला करने के लिए विपक्षी एकजुटता की शुरुआत के रूप में देखा जा सकता है और इसमें इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए एक आधारभूत रूपरेखा पर विचार-विमर्श किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि हालांकि इस दौरान फिलहाल के लिए सीटों के बंटवारे और नेतृत्व संबंधी सवालों को नजरअंदाज किया जाएगा।
नेतृत्व और सीट बंटवारे पर चर्चा होने की संभावना कम
विपक्ष के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘यह तो बस शुरुआत है। विचारों का मिलना महत्वपूर्ण है। इस वक्त चुनावी रणनीति, नेतृत्व संबंधी सवाल और सीटों के बंटवारे पर चर्चा होने की संभावना नहीं है।’ उन्होंने कहा कि भाजपा को घेरने के लिए विपक्षी दल जिन मुद्दों को उठाएंगे, वे इस बैठक का शीर्ष एजेंडा होंगे और इस संदर्भ में मणिपुर हिंसा तथा इसमें केंद्र की कथित नाकामी पर चर्चा किए जाने की संभावना है।
केजरीवाल ने दिल्ली के अध्यादेश पर चर्चा की बात कही
बैठक में केजरीवाल के राष्ट्रीय राजधानी में प्रशासनिक सेवाओं के नियंत्रण पर केंद्र के अध्यादेश पर चर्चा के लिए जोर देने पर निगाहें टिकी होगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है। कांग्रेस ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं कि वह केंद्र सरकार द्वारा इस अध्यादेश को संसद में पेश किए जाने पर ‘आप’ का समर्थन करेगी या नहीं। केजरीवाल ने मंगलवार को उम्मीद जतायी थी कि कांग्रेस 23 जून को होने वाली बैठक में केंद्र के अध्यादेश पर अपना रुख स्पष्ट करेगी।
आपसी मनमुटाव की खबरें
विपक्षी दलों की यह बैठक ऐसे वक्त में हो रही है जब उनके आपसी मनमुटाव की खबरें भी सामने आई हैं। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी पश्चिम बंगाल में कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर कथित तौर पर हमला करने वाले सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए मुर्शिदाबाद जिले में ब्लॉक कार्यालय के बाहर धरने पर बैठे हैं। भाजपा विपक्षी दलों में मतभेदों को लेकर उन पर निशाने साध रही है और बार-बार नेतृत्व का सवाल उठा रही है कि विपक्ष का प्रधानमंत्री पद का चेहरा कौन होगा।
पीएम का फैसला बीजेपी को हराने के बाद
बिहार कांग्रेस के प्रमुख अखिलेश प्रसाद सिंह ने भाजपा की आलोचना पर पलटवार करते हुए कहा कि विपक्षी गठबंधन के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार का सवाल महत्वपूर्ण नहीं है क्योंकि 2024 के आम चुनावों में भाजपा को हराने के बाद नेतृत्व के सवाल को मिलकर हल किया जा सकता है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के नेता डी राजा ने विपक्षी नेताओं की पटना में होने जा रही बैठक को ‘सही दिशा में’ आगे बढ़ाया एक कदम बताया। वह भी इस बैठक में शामिल होंगे। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने भी बैठक में भाग लेने की सहमति जतायी है। तेलंगाना की भारत राष्ट्र समिति, ओडिशा की बीजू जनता दल, बहुजन समाज पार्टी और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी उन गैर-भाजपा दलों में शामिल हैं जिनके इस बैठक में भाग लेने की संभावना नहीं है। (इनपुट-भाषा)