भारत से हजारों किलोमीटर दूर जारी इजरायल-हमास के बीच जंग का असर देश में भी दिखने लगा है। एक ओर भारत के पीएम नरेंद्र मोदी ने इजरायल को समर्थन जताया है तो वहीं, कई विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर फिलिस्तीन का खुलकर समर्थन किया है। इसी क्रम में सोमवार को कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर, सांसद दानिश अली समेत कई दलों के नेताओं ने फिलिस्तीनी राजदूत अदनान अबू अलहैजा से मुलाकात कर के उन्हें अपना समर्थन दिया है।
बमबारी की कड़ी निंदा
फिलिस्तीनी राजदूत से मिलने पहुंचे मणिशंकर अय्यर, दानिश अली, मोहम्मद अदीब, डी राजा, शाहिद सिद्दीकी, के सी त्यागी और मोहम्मद जावेद ने उन्हें अपना समर्थन दिया है। नेताओं ने कहा कि हम गाजा में चल रहे संकट और फिलिस्तीनी लोगों की पीड़ा के बारे में अपनी गहरी चिंता व्यक्त करते हैं। हम फ़िलिस्तीनियों पर अंधाधुंध बमबारी की कड़ी निंदा करते हैं, यह नरसंहार का प्रयास है।
महात्मा गांधी का जिक्र
फिलिस्तीनी राजदूत से मिलने पहुंचे नेताओं ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन करने और फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों और सम्मान का सम्मान करने के लिए फैसला लेने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि हम महात्मा गांधी के उस कथन पर विश्वास करते हैं कि फिलिस्तीन अरबों का उसी अर्थ में है जैसे इंग्लैंड अंग्रेजों का है या फ्रांस फ्रांसीसियों का है। नेताओं ने शांतिपूर्ण समाधान लाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा तेज प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया है।
दुर्दशा समाप्त करने का समय
फिलिस्तीनी राजदूत से मिलने गए विपक्षी नेताओं ने कहा कि फिलिस्तीनी लोगों ने 75 वर्षों से अधिक समय तक अपार पीड़ा सहन की है। अब उनकी दुर्दशा को समाप्त करने का समय आ गया है। नेताओं ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के अनुसार 1967 की सीमाओं पर एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना को मान्यता देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष का उचित और स्थायी समाधान सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उससे फिलिस्तीनी लोगों को अपनी नियति निर्धारित करने और शांति और सुरक्षा में रहने का अवसर मिलेगा।
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