लोकसभा चुनाव 2024 से पहले पटना में विपक्षी दलों की कल बैठक होने वाली है। ऐसे में नीतीश कुमार व अन्य विपक्षी पार्टियां लोकसभा चुनाव से पहले महागठबंधन को मजबूती देने में जुट चुकी हैं। वहीं सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर भाजपा को लोकसभा चुनाव में किन पार्टियों का साथ मिल सकता है। संसद भवन के उद्घाटन समारोह में इसकी एक झलक देखने को मिली थी। इस दौरान संसद भवन उद्घाटन समारोह में 25 पार्टियां शामिल हुई थीं। जबकि अन्य 21 दलों ने इसका बहिष्कार किया था। आंकड़ों के आधार पर देखें तो समारोह का समर्थन करने वाले पार्टियों की संख्या लोकसभा में 376 है और राज्यसभा में यह संख्या 131 है। वहीं बहिष्कार करने वाली पार्टियों की लोकसभा में संख्या 168 और राज्यसभा में 104 है।
भाजपा को किसका मिलेगा साथ
हालांकि संसद भवन के उद्घाटन समारोह में अगर 25 पार्टियों ने भाग लिया इसका यह मतलब नहीं कि लोकसभा चुनाव में इन 25 पार्टियों का कुल समर्थन भाजपा को मिल जाए। ऐसे में दिलचस्प होगा यह जानना कि आखिर भाजपा किन संभावनाओं पर काम कर रही है और कौन-कौन सी पार्टियां भाजपा के साथ लोकसभा चुनाव में कदमताल मिला सकती हैं। इन पार्टियों की लिस्ट में पहला नंबर कर्नाटक की पार्टी जेडीएस है। एचडी देवगौड़ा की पार्टी जेडीएसी का वर्तमान स्थिति है कि वह अपना असतित्व बचाने में लगी हुई है। ऐसे में जेडीएस भाजपा को समर्थन दे सकती है। इससे पहले भी दोनों पार्टियां साथ रह चुकी हैं।
साल 2018 तक चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी एनडीए का हिस्सा रही है। ऐसे में संभावना है कि टीडीपी का साथ भाजपा को मिल सकता है। वहीं पवन कल्याण की पार्टी जनसेना को भी भाजपा साथ करने में जुटी हुई है। पंजाब में अकाली दल का साथ भाजपा को मिल सकता है क्योंकि अकाली और भाजपा दोनों पहले भी साथ रह चुके हैं। वहीं बिहार में जीतनराम मांझी पहले ही एनडीए में जाने की बात कह चुके हैं। हीं भाजपा, जदयू और लोजपा पहले भी एक साथ चुनाव लड़ चुकी हैं। ऐसे में जीतनराम मांझी से लेकर मुकेश साहननी और उपेंद्र कुशवाहा का साथ भाजपा को मिल सकता है।
मायावाती और गुलामनबी आजाद का मत
वही अन्य पार्टियों की बात करें तो नवीन पटनायक की पार्टी का साथ भी भाजपा को मिल सकता है क्योंकि इन्होंने संसद भवन के उद्घाटन के बहिष्कार कार्यक्रम से दूरी बनाई थी। वहीं सुभासपा अध्यक्ष ओपी राजभर भी एनडीए में जा सकते हैं। निषाद पार्टी का समर्थन पहले ही भाजपा के साथ है। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से लेकर तेलंगाना के सीएम वाईएसआर, मायावती, गुलाम नबी आजाद तक संकेत दे चुके हैं कि लोकसभा चुनाव में वो भाजपा की मदद कर सकते हैं।