Thursday, September 19, 2024
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'वन नेशन वन इलेक्शन' पर क्या है विपक्ष का रिएक्शन? जानें ओवैसी से लेकर खरगे तक की राय

मोदी कैबिनेट में वन नेशन वन इलेक्शन के प्रस्ताव को पास कर दिया है। वहीं इस पर विपक्ष के नेताओं को भी रिएक्शन सामने आए हैं। मल्लिकार्जुन खरगे ने इसे व्यवहारिक नहीं बताया है।

Edited By: Niraj Kumar @nirajkavikumar1
Updated on: September 18, 2024 20:56 IST
Owaisi, Kharge- India TV Hindi
Image Source : FILE असदुद्दीन ओवैसी, मल्लिकार्जुन खरगे

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 'वन नेशन वन इलेक्शन' पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित समिति की रिपोर्ट को मंजूर कर लिया है। कैबिनेट की बैठक में इस संबंध में प्रस्ताव पास कर दिया गया है। अब देश भर में इसके बारे में लोगों से राय ली जाएगी और फिर इसे लागू किया जाएगा। इस बीच विपक्ष की ओर से भी इस पर प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि 'वन नेशन वन इलेक्शन' प्रैक्टिकल नहीं है, यह चलनेवाला नहीं है। जब चुनाव आते हैं तो वो ये सब बातें करते हैं। लेकिन देश को लोग भी इसे माननेवाले नहीं है। 

ओवैसी ने किया विरोध

वहीं एआईएमआईएम के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, मैंने लगातार 'वन नेशन वन इलेक्शन' का विरोध किया है। यह संघवाद को नष्ट करता है और लोकतंत्र से समझौता करता है, जो संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह को छोड़कर किसी के लिए भी कई चुनाव कोई समस्या नहीं हैं। सिर्फ इसलिए कि उन्हें नगरपालिका और स्थानीय निकाय चुनावों में भी प्रचार करने की बहुत जरूरत है। लगातार और समय-समय पर चुनाव लोकतांत्रिक जवाबदेही में सुधार करते हैं।

बीएसपी ने अपनाया सकारात्मक रुख

वहीं बीएसपी प्रमुख मायावती ने वन नेशन वन इलेक्शन पर सकारात्मक रुख अपनाया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा-'एक देश, एक चुनाव’ की व्यवस्था के तहत देश में लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय का चुनाव एक साथ कराने वाले प्रस्ताव को केन्द्रीय कैबिनेट द्वारा आज दी गयी मंजूरी पर हमारी पार्टी का स्टैण्ड सकारात्मक है, लेकिन इसका उद्देश्य देश व जनहित में होना ज़रूरी।'

ये एक जुमला साबित होगा

वहीं आम आदमी पार्टी के नेता संदीप पाठक ने कहा, 'हमारा ये मानना है कि ये बीजेपी और मोदी जी का एक और जुमला है। जिन 4 राज्यों में एक साथ चुनाव होने वाला था वो तो करवा नहीं नहीं पाए और वन नेशन वन इलेक्शनकी बात करते हैं। पहले ये महाराष्ट्र, झारखंड और दिल्ली का चुनाव एक साथ करा लें। वन नेशन वन इलेक्शनअगर  लागू करते हैं तो किसी राज्य के चुनाव में अगर 1 साल का वक्त रह गया हो तो क्या वहां राष्ट्रपति शासन लगाकर अपनी मर्जी चलाएंगे क्या? ये सिर्फ एक जुमला साबित होगा।

ध्यान भटकाने की कोशिश

राजद नेता मनोज कुमार झा ने कहा, "इस देश में वन नेशन वन इलेक्शन था, मोदी जी कोई नायाब हीरा नहीं ला रहे हैं। 1962 के बाद वह क्यों हटा क्योंकि एकल पार्टी का प्रभुत्व खत्म होने लगे... मैं पहले इसका मसौदा देखूंगा। मान लीजिए- चुनाव होते हैं, उत्तर प्रदेश में बनी हुई सरकार गिर जाती है तो फिर क्या होगा? क्या आप राष्ट्रपति शासन लगाएंगे? क्या राज्यपाल के माध्यम से अगले चुनाव तक व्यवस्था होगी या फिर से चुनाव होंगे?... ये(भाजपा) लोग ध्यान भटकाने में माहिर हो गए हैं कि कैसे मौलिक चीज़ों से ध्यान हटाया जाए। आज देश को रोजगार चाहिए... क्या वन नेशन वन इलेक्शन रोजगार की करोड़ों संभावनाएं बना देगा?... आप खत्म हो जाएंगे लेकिन विविधता बरकरार रहेगी।"

BJP चुनाव से डरती है: आदित्य ठाकरे

शिवसेना उद्धव गुट के नेता आदित्य ठाकरे ने कहा कि बीजेपी चुनाव से डरती है इसलिए अब वन नेशन वन इलेक्शन की बात कर रही है। उन्होंने कहा, 'जम्मू कश्मीर और महाराष्ट्र का चुनाव एक साथ नहीं हो पा रहा है, जम्मू कश्मीर में कई फेज में चुनाव हो रहा है वो भी सुरक्षा का हवाला देकर। महाराष्ट्र में कई महापालिका के चुनाव अब तक नही हो रहे हैं और अब ये लोग वन नेशन वन इलेक्शन की बात कर रहे हैं। ऐसे आइडिया कई आते हैं। BJP चुनाव से डरती है। हमारी पार्टी का कहना है कि कैबिनेट में सिफारिश रखने से पहले इन लोगों ( कमिटी) ने किससे चर्चा की?'आदित्य ठाकरे ने कहा कि चुनाव आयोग एक मजाक हैं।

 

 

 

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