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मोदी सरकार के खिलाफ दूसरी बार लाया गया अविश्वास प्रस्ताव, पिछली बार समर्थन में पड़े थे इतने वोट

केंद्र में सत्तारूढ़ मोदी सरकार के खिलाफ दूसरी बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है। इससे पहले 2018 में विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव लाया था

Edited By: Niraj Kumar
Published : Jul 26, 2023 21:37 IST, Updated : Jul 27, 2023 6:13 IST
लोकसभा की तस्वीर
Image Source : पीटीआई/फाइल लोकसभा की तस्वीर

नयी दिल्ली:  लोकसभा में प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने बुधवार को नरेन्द्र मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। पिछले नौ वर्षों में यह दूसरा अवसर होगा जब यह सरकार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करेगी। इससे पहले, जुलाई, 2018 में मोदी सरकार के खिलाफ कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाया था। इस अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में सिर्फ 126 वोट पड़े थे, जबकि इसके खिलाफ 325 सांसदों ने वोट दिया था। 

बीजेपी के पक्ष में संख्याबल 

इस बार भी अविश्वास प्रस्ताव का भविष्य पहले से तय है क्योंकि संख्याबल स्पष्ट रूप से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पक्ष में है और निचले सदन में विपक्षी दलों के 150 से कम सदस्य हैं। लेकिन उनकी दलील है कि वे चर्चा के दौरान मणिपुर मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए धारणा से जुड़ी लड़ाई में सरकार को मात देने में सफल रहेंगे। अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए जरूरी है कि उसे कम से कम 50 सदस्यों का समर्थन हासिल हो। अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की तिथि तय करने के संदर्भ में 10 दिनों के भीतर फैसला करना होता है। सदन की मंजूरी के बाद इस पर चर्चा और मतदान होता है। अगर सत्तापक्ष इस प्रस्ताव पर हुए मतदान में हार जाता है तो प्रधानमंत्री समेत पूरे मंत्रिपरिषद को इस्तीफा देना होता है।

 जवाहर लाल नेहरू के कार्यकाल में पहला अविश्वास प्रस्ताव

भारतीय संसदीय इतिहास में अविश्वास प्रस्ताव लाने का सिलसिला देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के समय ही शुरू हो गया था। नेहरू के खिलाफ 1963 में आचार्य कृपलानी अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए थे। इस प्रस्ताव के पक्ष में केवल 62 मत पड़े थे जबकि विरोध में 347 मत आए थे। इसके बाद लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, पी वी नरसिंह राव, अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह समेत कई प्रधानमंत्रियों को अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा था।

इंदिरा गांधी को सबसे अधिक 15 अविश्वास प्रस्ताव का करना पड़ा सामना

मोदी सरकार के खिलाफ दूसरी बार अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने से पहले कुल 27 बार अविश्वास प्रस्ताव लाए गए हैं और इनमें से किसी भी मौके पर सरकार नहीं गिरी, हालांकि विश्वास प्रस्ताव का सामना करते हुए तीन सरकार को जाना पड़ा। आखिरी बार 1999 में विश्वास प्रस्ताव का सामना करते हुए अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार गिरी थी। ‘पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च’ के अनुसार, इंदिरा गांधी को सबसे अधिक 15 बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा। लाल बहादुर शास्त्री के खिलाफ तीन अविश्वास प्रस्ताव, पी वी नरसिंह राव के खिलाफ तीन, मोरारजी देसाई के खिलाफ दो और राजीव गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी के खिलाफ एक-एक प्रस्ताव लाये गए थे। (भाषा)

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