Friday, November 22, 2024
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'NDA' का क्या है नया मतलब, संसदीय दल की बैठक में नरेंद्र मोदी ने बताया

तीसरी बार सरकार बनने से पहले आज एनडीए दल की बैठक हुई। इस बैठक में एनडीए दलों के सभी सांसद शामिल हुए। वहीं पीएम मोदी भी इस बैठक में शामिल हुए।

Edited By: Amar Deep
Updated on: June 07, 2024 14:13 IST
एनडीए की संसदीय दल की बैठक में पीएम मोदी।- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV एनडीए की संसदीय दल की बैठक में पीएम मोदी।

नई दिल्ली: पुरानी संसद के सेंट्रल हॉल में आज एनडीए के घटक दलों की बैठक हुई। इस बीच नरेंद्र मोदी भी बैठक शामिल हुए। पीएम मोदी के इस बैठक में पहुंचते ही वंदे मातरम् और मोदी-मोदी के नारे लगाए गए। बैठक में नरेंद्र मोदी को एनडीए दल का नेता चुना गया। इसके बाद शाम को एनडीए के नेता अपनी सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे। वहीं इससे पहले एनडीए दल की बैठक में पीएम मोदी ने नेताओं को संबोधित किया। पीएम मोदी ने एनडीए का मतलब बताते हुए कहा कि 'New India, Developed India, Aspirational India'। पीएम मोदी ने कहा कि मैं सबसे पहले इस सदन में मौजूद सभी लोगों को हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। मेरे लिए खुशी की बात है कि इतने बड़े समूह का स्वागत करने का अवसर मिला है। जो साथी विजयी होकर आए हैं, वो अभिनंदन के आभारी है। लेकिन जिन लाखों कार्यकर्ताओं ने परिश्रम किया है, मैं आज संविधान सदन के इस सेंट्रल हॉल से सिर झुकार उनको प्रणाम करता हूं।

'विश्वास' पर दिया जोर

मेरा सौभाग्य है कि एनडीए के नेता के रूप में आप सब साथियों ने सर्वसम्मति से चुन करके मुझे नया दायित्व दिया है। इसके लिए मैं आप सबका बहुत-बहुत आभारी है। व्यक्तिगत जीवन में जब मैं एक जवाबदारी का एहसास करता हूं। जब 2019 में मैं सदन में बोल रहा था तब मैंने एक बात पर बल दिया था- विश्वास। आज जब एक बार फिर से मुझे आप ये दायित्व देते हैं तो इसका मतलब है कि आपस में विश्वास का सेतू मजबूत है। ये अटूट रिश्ता विश्वास की मजबूत धरातल पर है और ये सबसे बड़ी पूंजी होता है। इसलिए ये पल मेरे लिए भावुक करने वाला भी है और आप सबके प्रति जितना धन्यवाद करूं उतना कम है। 

आदिवासी राज्यों में सेवा दे रहा एनडीए

बहुत कम लोग इन बातों की चर्चा करते हैं, हिंदूस्तान के इतने महान लोकतंत्र की ताकत देखिए कि 22 राज्यों में लोगों ने उनको सरकार बनाने का मौका दिया है। भारत की जड़ों में जो रचा-बसा है उसका एक प्रतिबिंब है। मैं इसलिए कह रहा हूं कि थोड़ी नजर डालें तो हमारे देश में 10 ऐसे राज्य जहां आदिवासी बंधुओं की संख्या प्रभावी रूप से है। जहां आदिवासियों की आबादी ज्यादा है, ऐसे 10 राज्यों में से 7 राज्यों में एनडीए सेवा कर रहा है। जहां इसाइ भाई-बहन हैं वहां भी हमें सेवा का असवर मिल रहा है। हिंदूस्तान की राजनीति के गठबंधन के इतिहास में प्रीपोल अलायंस इतना सफल कभी नहीं हुआ है जितना कि एनडीए हुआ है। ये गठबधन का विजय, हमने बहुमत हासिल किया है और मैं कई बार कह चुका हूं कि सरकार चलाने के लिए बहुमत आवश्यक है, लोकतंत्र का वही एक सिद्धांत है, लेकिन देश चलाने के लिए सर्वमत बहुत जरूरी होता है। मैं देशवासियों को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि आपने जिस तरह से बहुमत देकर सरकार चलाने का दातियत्व दिया है, उससे हम सर्वमत से देश को आगे ले जाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।

सबसे सफल अलायंस रहा है एनडीए

एनडीए को करीब तीन दशक हो चुके हैं। ये सामान्य घटना नहीं है। ये तीन दशक की यात्रा एक बहुत बड़ी मजबूती का संदेश देती है। मैं बहुत गर्व के साथ कहता हूं कि एक समय मैं संगठन के कार्यकर्ता के रूप में इस अलायंस का हिस्सा था। मेरा भी नाता इससे तीन सालों का रहा है। मैं कह सकता हूं कि ये सबसे सफल अलायंस है। हम गर्व से कह सकते हैं कि पांच साल का टर्म होता है। इस अलायंस ने तीन साल में से 5-5 साल के तीन टर्म सफलतापूर्वक पार किए हैं और अलायंस चौथे टर्म में प्रवेश कर रहा हैं। इस बात को जो राजनीति के विशेषज्ञ हैं अगर मुक्त मन से सोचेंगे तो पाएंगे कि एनडीए ये सत्ता प्राप्त करने का या सरकार चलाने का कुछ दलों का जमावड़ा नहीं है। ये राष्ट्र प्रथम की मूल भावना से नेशन फर्स्ट के प्रति कमिटेड समूह है। तीन साल का लंबा काल खंड शुरू में असेंबल हुआ होगा लेकिन आज भारत की राजनीतिक व्यवस्था में एक आर्गेनिक अलायंस है। ये मूल्य श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी, बाला साहेब ठाकरे, शरद यादव जैसे अनगिनत लोगों ने जो बीज बोया था, आज भारत के जनता ने इस बीज को वट वृक्ष बना दिया है। 

एनडीए का पर्याय है गुड गवर्नेंस

बीते 10 सालों में हमने एनडीए की इसी विरासत को लेकर निरंतर आगे बढ़ने का प्रयास किया है। एनडीए का जो लोग देखते हैं उसमें कामन चीज नजर आती है वो है गुड गवर्नेंस। सभी ने जब-जब सेवा का मौका मिला है वहां इस देश को गुड गवर्नेंस दिया है। इस प्रकार से एनडीए कहते ही गुड गवर्नेंस अपने आप पर्यायवाची बन जाता है। हम सभी लोगों के कार्यकाल में गरीब का कल्याण केंद्रस्थ रहा है। देश ने एनडीए के, गरीब कल्याण के, गुड गवर्नेंस के 10 सालों को देखा है, देश ने इसे जीया है। जनता जनार्दन ने सरकार क्या होती है, सरकार क्यों होती है, सरकार किसके लिए होती है, सरकार कैसे काम करती है, इसको पहली बार अनुभव किया है। पहले जनता और सरकारों के बीच में खाई की व्यवस्था बनी थी, हमनें उसे पाट दिया। हमने सबका प्रयास का मंत्र देश को नई उचाई पर ले जाने के लिए चरितार्थ करके देखा है।

सदन में सभी लोग बराबर

एनडीए सरकार में हम अगले 10 साल में गर्वनेंस, विकास, क्वालिटी ऑफ लाइफ और सामान्य मानव के जीवन में से सरकार की दखल जितनी कम हो उतनी लोकतंत्र की मजबूती हो। आज के युग में बहुत आसानी से हम इसे कर सकते हैं। हम बदलाव चाहते हैं। हम विकास का नया अध्याय लिखेंगे। सब मिल करके विकसित भारत के सपने को साकार करके रहेंगे। सदन में किसी भी दल का कोई भी जनप्रतिनिधि मेरे लिए सब बराबर हैं। जब मैं सबका प्रयास की बात करता हूं तो सदन में भी हमारे लिए सब बराबर हैं। यही एक भाव है जिसके कारण तीस सालों से एनडीए अलायंस मजबूती के साथ आगे बढ़ रहा है। 

टीम भावना से किया काम

हमने 2024 में जिस टीम भावना से काम किया है और ग्रास रूट पर काम किया है। उसी ने हमें ऑर्गेनिक अलायंस का सामर्थ्य दिया है। एक-दूसरे का सहयोग किया है। हर किसी ने यही सोचा जहां कम वहां हम। ये हर कार्यकर्ता ने जीकर दिखाया है। दक्षिण भारत में एनडीए ने एक नई राजनीति की नींव मजबूत की है। ये साफ-साफ संदेश दे रहा है कि कल में क्या लिखा हुआ है। आने वाले 25 साल महाप्रभु जगन्नाथ जी की कृपा से ओडिशा देश की विकास यात्रा की इंजन का ग्रोथ होगा। 

ईवीएम पर बोलने वालों के मुंह पर लगा ताला

4 जून के नतीजे आ रहे थे तो मैं अपने काम में व्यस्त था। मैंने पूछा कि ये बताओं की ईवीएम जिंदा है कि मर गया। क्योंकि जो लोग तय करके बैठे थे कि भारत के लोकतंत्र और लोकतांत्रित प्रक्रिया पर से भरोसा ही उठ गया था। लेकिन 4 जून की शाम को उनको ताले लग गए और ईवीएम ने उनको चुप कर दिया। ये ताकत है भारत के लोकतंत्र है, चुनाव आयोग की, लोकतांत्रिक प्रक्रिया की। मैं आशा करता हूं पांच सालों तक ईवीएम का नहीं सुनाई देगा लेकिन जब हम 2029 में जाएंगे तो ये फिर से ईवीएम पर रोना शुरू कर देंगे। ये लोग सुप्रीम कोर्ट का उपयोग करते हुए कैसे रुकावट डालें इसका प्रयास करते रहे। कितनी निराशा लेकर ये लोग मैदान में आए थे कि पूरा हमला उसी प्रक्रिया पर लगा लो कि चुनाव के दौरान हम भारत के लोकतंत्र पर आरोप लगा सकें।

हम विजय को पचाना जानते हैं

इंडी गठबंधन वाले जब ईवीएम के दुरुपयोग की बात करते हैं तो मुझे लगता है कि ये पिछड़ी सोच वाले लोग हैं। ये टेक्नोलॉजी को स्वीकार करने को तैयार नहीं है। मैं मानता हूं की 2024 चुनाव के जो नतीजे आए हैं दुनिया ये मानेगी कि ये एनडीए का महाविजय है। आपने देखा कि दो दिन कैसा चला जैसे कि हम हार चुके हैं। अपने कार्यकर्ताओं को मोरल हाई करने के लिए ये करना पड़ रहा है। गठबंधन के इतिहास में अगर आंकड़ों के हिसाब से देखें तो ये सबसे मजबूत गठबंधन की सरकार है। लेकिन कोशिश ये की गई कि इस विजय को स्वीकार ना करना और पराजय की छाया में रखना। देशवासी जानते हैं कि ना हम हारे थे और ना हम हारे हैं। 4 तारीख के बाद हमारा जो व्यवहार रहा है वो हमारी पहचान बताता है कि हम विजय को पचाना जानते हैं। हमारे संस्कार ऐसे हैं कि विजय की गोद में उंमाद पैदा नहीं होता है और ना ही पराजित लोगों के प्रति उपहास करने के हमारे संस्कार हैं। आप किसी से पूछों कि लोकसभा चुनाव से पहले किसकी सरकार थी तो एनडीए, चुनाव के बाद किसी सरकार बनेगी तो एनडीए। फिर हारे कहां से हैं भाई।

तीन बार के आंकड़े भी हमारे बराबर नहीं

आप सोचिए कि 10 साल बाद भी कांग्रेस 100 के आंकड़े को नहीं छू पाई। अगर मैं 2014, 2019 और 2024 के तीन चुनावों को जोड़कर बताऊं तो इन तीनों चुनावों में जोड़कर जितनी सीटें मिली हैं, उससे अधिक सीटें इस बार हमें मिली हैं। ये तेज गति से गर्त में जाने वाले हैं। इंडी अलायंस वाले देश के सामान्य नागरिकों के सामर्थ्य को समझ नहीं पाए। भारत के सामान्य व्यक्ति की भी एक समझ है। जो जमीन से जुड़ा रहता है वो इस समझ को जानता है। चार तारीख के बाद इनका जो व्यवहार रहा है, शायद ये लोकतंत्र का सम्मान कर पाएं ऐसे संस्कार आए। ये वो लोग हैं जो खुद के पार्टी के प्रधानमंत्री का सम्मान करना नहीं जानते हैं। 

लोकतंत्र में सबका सम्मान

लोकतंत्र हमें सबका सम्मान करना सिखाती है, विपक्ष में भी जो सांसद जीत करके आए हैं मैं उनको भी बधाई देता हूं। मैं आशा करता हूं कि नए सदन में राष्ट्रहित की नीयत के साथ हमारे विपक्ष के साथी सदन में आएंगे। मैं आशा करता हूं कि वो राष्ट्रहित की भावना के साथ सदन में आएंगे और अपना योगदान देंगे। 2024 का जनादेश एक बात को बार-बार मजबूती दे रहा है कि देश को आज के वातावरण में सिर्फ और सिर्फ एनडीए पर ही भरोसा है। जब इतना अटूट विश्वास है तो स्वाभाविक है कि देश की अपेक्षाएं भी बढ़ेंगी। इन अपेक्षाओं को पूरा करने में रत्ती भर भी विलंब नहीं करना है। आज के वातावरण में देश को सिर्फ और सिर्फ एनडीए पर ही भरोसा है और जब इतना अटूट विश्वास और भरोसा है तो स्वाभाविक है कि देश की अपेक्षाएं भी बढ़ेंगी और मैं इसे अच्छा मानता हूं। मैंने पहले भी कहा था कि पिछले 10 साल का कार्य तो सिर्फ ट्रेलर है। और ये मेरा कमिटमेंट है... हमें और तेजी से, और विश्वास से, और विस्तार से... देश की आकांक्षाओं को पूर्ण करने में रत्तीभर भी विलंब नहीं करना है।

यहां देखें पीएम मोदी का पूरा संबोधन-

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