Highlights
- मुलायम ने 82 साल की उम्र में गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में आखिरी सांस ली
- मुलायम सिंह 1 जून 1996 से 19 मार्च 1998 तक देश के रक्षा मंत्री रहे
- मुलायम के रक्षा मंत्री रहते ही भारत ने सुखोई-30 लड़ाकू विमान का सौदा किया था
Mulayam Singh Yadav News: समाजवादी पार्टी के संरक्षक और यूपी के पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव का आज सुबह निधन हो चुका है। उन्होंने 82 साल की उम्र में गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में आखिरी सांस ली। ऐसे में पूरे देश में शोक का माहौल है और हर जगह मुलायम से जुड़ी बातों को याद किया जा रहा है। यहां हम आपको मुलायम सिंह (Mulayam Singh Yadav) के उस फैसले के बारे में बताने जा रहे हैं, जो उन्होंने देश के रक्षा मंत्री रहते हुए किया था और इसी फैसले की वजह से शहीद जवानों का पार्थिव शरीर उनके घर तक पहुंचता है।
मुलायम ने रक्षा मंत्री रहते हुए किया था ये फैसला
मुलायम सिंह 1 जून 1996 से 19 मार्च 1998 तक देश के रक्षा मंत्री रहे थे। इस दौरान उन्होंने जो फैसला किया, उसका फायदा आज हर शहीद जवान के परिवार को होता है। दरअसल देश की आजादी के बाद से कई सालों तक जब कोई जवान बॉर्डर पर शहीद होता था, तो उसका पार्थिव शरीर घर नहीं पहुंचता था बल्कि उसकी टोपी को उसके घर पहुंचाया जाता था। लेकिन मुलायम सिंह (Mulayam Singh Yadav) ने अपने फैसले से इस रीति को बदला और उन्होंने ये कानून बनाया कि अगर कोई जवान शहीद होता है तो उसका पार्थिव शरीर राजकीय सम्मान के साथ उसके घर पर पहुंचाया जाए। इसके अलावा मुलायम के रक्षा मंत्री रहते ही भारत ने सुखोई-30 लड़ाकू विमान का सौदा किया था।
सैफई के किसान परिवार में हुआ था जन्म
मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) 3 बार उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री रहने के अलावा देश के रक्षा मंत्री भी रहे थे। उनके बेटे अखिलेश यादव भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवंबर 1939 को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सैफई गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। उस समय देश में ब्रिटिश शासन था और उत्तर प्रदेश को संयुक्त प्रांत या यूनाइटेड प्रॉविन्सेज के नाम से जाना जाता था। उनके पिता का नाम सुघर सिंह यादव और मां का नाम मूर्ति देवी था। मुलायम सिंह यादव के पास राजनीति शास्त्र में तीन डिग्रियां थीं जिनमें इटावा के कर्म क्षेत्र पोस्ट ग्रैजुएट कॉलेज से ली गई बीए की डिग्री, शिकोहाबाद के एके कॉलेज से बीटी की डिग्री और आगरा यूनिवर्सिटी के भीम राव आंबेडकर कॉलेज से एमए की डिग्री शामिल है।
कैसे हुई ‘नन्हे नेपोलियन’ की सियासत की शुरुआत
मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) ने राजनीति का ककहरा राम मनोहर लोहिया और राज नारायण जैसे कद्दावर नेताओं के सानिध्य में सीखा था। 1967 में महज 28 साल की उम्र में वह पहली बार उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुन गए और कई बार विधायक रहे। 1975 में इमरजेंसी के दौरान वह 19 महीने तक जेल में भी रहे। 1977 में वह पहली बार यूपी की सरकार में मंत्री बने। 1980 में लोकदल के अध्यक्ष चुने गए और 1982 में उन्हें उत्तर प्रदेश विधान परिषद में विपक्ष का नेता चुना गया। लोक दल पार्टी में विघटन के बाद उन्होंने क्रांतिकारी मोर्चा पार्टी बनाई थी। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह मुलायम को ‘नन्हा नेपोलियन’ कहकर बुलाते थे।
समाजवादी पार्टी बनाते ही चमकी किस्मत
मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) पहली बार 1989 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। हालांकि अप्रैल 1991 में कांग्रेस द्वारा समर्थन वापस लिए जाने के बाद उनकी सरकार गिर गई थी। 1992 में उन्होंने खुद की समाजवादी पार्टी का गठन किया और इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। 5 दिसंबर 1993 को वह दूसरी बार मुख्यमंत्री बने और 3 जून 1995 तक पद पर रहे। इसके बाद वह 29 अगस्त 2003 से 13 मई 2007 तक सीएम रहे। 1 जून 1996 से 19 मार्च 1998 तक वह देश के रक्षा मंत्री भी रहे थे।