नई दिल्ली: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चुनावी वर्ष में बड़ा दांव चला है। उन्होंने बुधवार देर रात को ऐलान करते हुए कहा कि 100 यूनिट तक की बिजली का बिल अब शून्य आएगा। यह ऐलान राजस्थान विधानसभा चुनाव में बड़ा दांव माना जा रहा है। इस ऐलान के बाद राजस्थान की सियासत में हलचल मच चुकी है। इस ऐलान पर पहला हमला बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने बोला है।
'यह घोषणाएं पांच साल पहले ही होनी चाहिए थी'
मायावती ने कहा कि राजस्थान में विधानसभा आमचुनाव के नजदीक अब वहां की कांग्रेस सरकार द्वारा 500 रूपए में रसोई गैस व 100 यूनिट फ्री बिजली देने आदि की घोषणा स्पष्टतः चुनावी छलावा नहीं तब और क्या है? जबकि बढ़ती महंगाई के मद्देनजर इनको ये कार्य सरकार बनने के प्रारंभ में पांच साल पहले कर देना चाहिए था।
'राजस्थान, एमपी, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना सरकार से जनता ऊब चुकी'
इसके साथ ही उन्होंने भारतीय जनता पार्टी और बीआरएस पार्टी को भी घेरे में लिया है। मायावती ने कहा कि राजस्थान की तरह ही जनहित व जनकल्याण कार्यों में विफल रही छत्तीसगढ़ की कांग्रेस, मध्य प्रदेश की बीजेपी व तेलंगाना की बीआरएस सरकार विधानसभा चुनाव के नजदीक अपनी सरकार को बचाने हेतु अनेकों प्रलोभनों व भ्रामक विज्ञापनों आदि के छलावे का सहारा ले रही हैं जबकि जनता इनसे ऊब चुकी है।
इन सरकारों ने जनता के हित की अनदेखी की - मायावती
उन्होंने कहा कि राजस्थान, छतीसगढ़, मध्य प्रदेश और तेलंगाना की जनता ने इन पार्टियों की सरकार को, चुनावी वादे के मुताबिक, महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, पिछड़ापन आदि दूर करने एवं राज्य का आपेक्षित विकास करने का भरपूर मौका दिया, लेकिन इन पार्टियों की सरकारों ने जनता के हित की अनदेखी की व उनके साथ विश्वासघात किया है।