Highlights
- 'मुझे किसी से सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं'
- 'कांग्रेस पार्टी और भारत के बीच समन्वय में दरार आ गई'
- पंजाब की आनंदपुर साहिब लोकसभा सीट से सांसद हैं मनीष तिवारी
Manish Tewari: देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी और प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के सितारे अभी शायद अच्छे नहीं चल रहे हैं। कल ही उसके कद्दावर नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद, पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद ने पार्टी के सभी पदों समेत प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। जिसके बाद पार्टी में हडकंप मचा हुआ है। वहीं इसी बीच एक और नाराज नेता लोकसभा सांसद मनीष तिवारी ने भी आलाकमान को तेवर दिखाए हैं।
'मैं पार्टी का किरायेदार नहीं, बल्कि एक सदस्य हूं'
पंजाब की आनंदपुर साहिब लोकसभा सीट से कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने अपनी पार्टी को फिर एकबार नसीहत दी है। उन्होंने कहा है कि जी-23 ने जो कांग्रेस सुप्रीमो को पार्टी की स्थिति को लेकर चिट्ठी लिखी थी, अगर उसपर ध्यान दिया गया होता तो आज ऐसी स्थिति नहीं आती। साथ ही उन्होंने कहा कि मैं इस पार्टी का किरायेदार नहीं, बल्कि एक सदस्य हूं।
उन्होंने कहा, ''2 साल पहले हम में से 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को एक पत्र लिखा था और कहा था कि पार्टी की स्थिति चिंताजनक है। इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। उस पत्र के बाद कांग्रेस सभी विधानसभा चुनाव हार गई। अगर कांग्रेस और भारत एक जैसे सोचते हैं तो लगता है कि दोनों में से किसी एक ने अलग सोचना शुरू कर दिया है।''
'कांग्रेस पार्टी और भारत के बीच समन्वय में दरार आ गई'
मनीष तिवारी ने कहा कि, ''ऐसा लगता है कि 1885 से मौजूद कांग्रेस पार्टी और भारत के बीच समन्वय में दरार आ गई है। आत्मनिरीक्षण की जरूरत थी। मुझे लगता है कि 20 दिसंबर 2020 को सोनिया गांधी के आवास पर हुई बैठक में सहमति बन गई होती तो यह स्थिति नहीं आती।'' कांग्रेस सांसद कहते हैं कि, "गुलाम नबी आजाद के पत्र के गुण-दोष में मैं नहीं जाना चाहता। वह इसके बारे में समझाने की सबसे अच्छी स्थिति में होंगे।''
'मुझे किसी से सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं'
मनीष तिवारी ने कहा,''जिस व्यक्ति की हैसियत एक वार्ड चुनाव लड़ने की भी नहीं है, जो व्यक्ति कभी कांग्रेस नेताओं का चपरासी हुआ करता था, वह जब पार्टी के बारे में ज्ञान देता है तो हंसी आती है।" साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें किसी से सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि, ''मैंने इस पार्टी को 42 साल दिए हैं। मैं यह पहले भी कह चुका हूं कि हम इस संस्था यानी कांग्रेस के किरायेदार नहीं हैं, हम पार्टी के सदस्य हैं। अब अगर आप हमें बाहर निकालने की कोशिश करेंगे तो यह दूसरी बात है। तब देखा जाएगा।''
गौरतलब है कि गुलाम नबी आजाद ने इस्तीफे के बाद जम्मू-कश्मीर में खुद की पार्टी बनाने की बात कही है। राज्य में उनके कई समर्थकों ने भी कॉन्ग्रेस से इस्तीफा दिया है। आने वाले दिनों में यह सिलसिला तेज होने के आसार हैं।