दिल्ली: मणिपुर मामले को लेकर विपक्ष के 31 सांसदों ने बुधवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की और उन्हें ज्ञापन सौंपा। विपक्षी सांसदों की मांग है कि मणिपुर मामले में पीएम मोदी संसद में सवालों के जवाब दें। इससे पहले बुधवार को उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति, जगदीप धनखड़ ने संसद भवन में अपने कक्ष में विपक्ष के नेता (राज्यसभा), मल्लिकार्जुन खरगे और वरिष्ठ नेता, शरद पवार के साथ बातचीत की।
मणिपुर हिंसा पर चर्चा कराने के लिए नियम 267 के तहत प्रस्तुत 60 नोटिसों को सभापति ने अस्वीकार कर दिया, जिसके बाद विपक्षी दलों ने राज्यसभा से वाकआउट कर दिया।सदन में पीएम की मौजूदगी की विपक्ष की मांग पर राज्यसभा सभापति का कहना है कि सभापति की ओर से कोई निर्देश जारी नहीं किया जाएगा - "मैं वह निर्देश नहीं दे सकता। मैं नहीं दूंगा..."
खरगे ने कहा-हमने राष्ट्रपति को हर बात से अवगत कराया
राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, "आज, भारत गठबंधन के 31 नेताओं ने मणिपुर की स्थिति पर राष्ट्रपति से मुलाकात की। हमने राष्ट्रपति को एक ज्ञापन सौंपा है।"
खरगे ने कहा-हमने राष्ट्रपति को बताया कि किस तरह से मणिपुर में लोगों के पास खाना नहीं है, पानी नहीं है, बीमार लोगो के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। हमने बताया कि वहां किस तरह की घटनाएं हो रही हैं। खास तौर पर महिलाओं पर हो रहे अत्याचार के बारे में राष्ट्रपति को बताया। राष्ट्रपति जी ने कहा कि वो इसे ज़रूर देखेंगी।
इस घटना पर सरकार चर्चा नहीं करना चाहती है। विपक्ष को संसद मे सम्मान नहीं दिया जा रहा। मेरा माइक कई बार बंद हुआ। यह दर्शाता है डेमोक्रेसी के तहत यह सरकार चलना नहीं चाहती। हमने नूह की घटना के बारे में भी राष्ट्रपति को बताया कि कहां से लोगों के पास हथियार आ रहे है? दिल्ली से नजदीक राज्य में ऐसा हो रहा है, जो चिंता का कारण है।
वहीं सत्तापक्ष के नेता और केंद्रीय मंत्री कौशल ने कहा “केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सदन में स्पष्ट रूप से कहा कि हम मणिपुर मुद्दे पर विस्तार से चर्चा करने के लिए तैयार हैं। हालांकि, विपक्ष संसद में चर्चा नहीं होने देना चाहता और हंगामा कर गुमराह करने की कोशिश कर रहा है.''