Highlights
- मार्च-अप्रैल 2021 में हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस को बड़ी जीत मिली थी।
- ममता बनर्जी अपने पुराने सिपहसालार शुभेंदु अधिकारी के हाथों खुद चुनाव हारने के बावजूद विजेता बनकर उभरीं।
- TMC नेताओं के हालिया बयानों पर नजर दौड़ाने से साफ पता चलता है कि 2021 में पार्टी 2024 के सपने देख रही है।
नई दिल्ली: भारत के सियासी परिदृश्य की बात करें तो 2014 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की करारी हार के बाद से एक सवाल समय-समय पर तैरता हुआ नजर आता है- विपक्षा का नेता कौन? कई बार ऐसा हुआ कि विपक्ष के तमाम राजनीतिक दल एक झंडे के नीचे आते नजर आए लेकिन मामला अंत में ढाक के तीन पात ही रहा। आमतौर पर माना जाता रहा कि कांग्रेस नेता ही विपक्ष का नेतृत्व करेंगे, लेकिन समय-समय पर शरद पवार, मायावती, चंद्रबाबू नायडू और एक समय नीतीश कुमार का नाम उछलता रहा। 2021 में उसी लिस्ट में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का नाम भी जुड़ गया है।
बंगाल चुनावों में बड़ी जीत ने दिखाया ख्वाब
मार्च-अप्रैल 2021 में हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस को बड़ी जीत मिली थी। चुनावों से पहले माना जा रहा था कि भारतीय जनता पार्टी से तृणमूल को कड़ी चुनौती मिल सकती है, लेकिन नतीजे कुछ और ही कहानी बयां कर रहे थे। यह सही है कि 2016 में हुए पिछले विधानसभा चुनावों में 3 सीटें जीतने वाली बीजेपी 2021 में 77 पर पहुंच गई थी, लेकिन वह तृणमूल के लिए चुनौती बनने में नाकाम रही। ममता बनर्जी अपने पुराने सिपहसालार शुभेंदु अधिकारी के हाथों खुद चुनाव हारने के बावजूद विजेता बनकर उभरीं। इस जीत के बाद राष्ट्रीय स्तर पर भी उनके कद को बढ़ा हुआ महसूस किया गया। बंगाल की ‘दीदी’ के सामने कद्दावर नेताओं से भरी बीजेपी की एक न चल पाई।
ममता बनर्जी ने खोल दिए अश्वमेध के घोड़े
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में ताकतवर बीजेपी को पटखनी देने के बाद ममता बनर्जी ने सियासी अश्वमेध के घोड़ों को खोल दिया। तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने धीरे-धीरे कांग्रेस और राहुल गांधी पर भी निशाना साधना शुरू कर दिया, यह जानते हुए भी कि इसके नतीजे क्या हो सकते हैं। तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के हालिया बयानों पर नजर दौड़ाने से साफ पता चलता है कि 2021 में पार्टी 2024 के सपने देख रही है, और अपने ख्वाबों को पूरा करने के लिए कोशिश भी कर रही है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि तृणमूल की इस नई कवायद के पीछे कहीं न कहीं चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का भी दिमाग है।
मेघालय और गोवा में कांग्रेस को दी चोट
2021 में तृणमूल ने कांग्रेस को सबसे बड़ी चोट मेघालय में दी। इस सूबे में पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा समेत कांग्रेस के 12 विधायकों ने पाला बदलते हुए तृणमूल का दामन थाम लिया और इस तरह एक ही झटके में ममता की पार्टी सूबे में मुख्य विपक्षी दल बन गई। वहीं, गोवा विधानसभा चुनावों को जीतने का ख्वाब देख रही कांग्रेस को तब एक और झटका लगा जब तृणमूल ने भी राज्य में दावेदारी ठोक दी। सिर्फ इतना ही नहीं, तृणमूल ने कांग्रेस के विधायकों और बड़े नेताओं को भी अपने पाले में खींच लिया। तृणमूल और कांग्रेस के रिश्तों की तल्खी समय-समय पर उनके नेताओं के बयानों में भी नजर आती रही है।
2022 में नई उम्मीदों के साथ कदम रख रही TMC
2021 तृणमूल कांग्रेस और पार्टी की नेता ममता बनर्जी के लिए शानदार साल रहा है। पार्टी ने न सिर्फ पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में शानदार जीत दर्ज की, बल्कि ममता बनर्जी को भी राष्ट्रीय स्तर पर पहले से बड़ी पहचान मिली। अब शायद ममता का अगला ख्वाब दिल्ली है, और यदि उन्हें अपना ख्वाब पूरा करना है तो रास्ते में कांग्रेस आएगी ही। ऐसे में 2022 में तृणमूल कांग्रेस की कोशिश यही रहेगी कि एक पार्टी के तौर पर उसका प्रभाव कम से कम इतने राज्यों में पहुंच ही जाए कि वह राष्ट्रीय स्तर पर नजर आने लगे। अब 2022 ने अपने पास तृणमूल और ममता के लिए क्या छिपाकर रखा है, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।