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ममता बनर्जी ने नीति आयोग को खत्म करने की मांग की, शनिवार को बैठक में होंगी शामिल

ममता बनर्जी ने कहा कि 2014 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद यह पहला मौका है जब उन्होंने अपने दम पर सरकार नहीं बनाई है। उन्होंने नीति आयोग को खत्म कर योजना आयोग को बहाल करने की मांग की।

Edited By: Niraj Kumar @nirajkavikumar1
Published on: July 26, 2024 23:25 IST
Mamata Banerjee- India TV Hindi
Image Source : FILE ममता बनर्जी

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नीति आयोग को खत्म कर योजना आयोग को बहाल करने की बात कही है।  वे नीति आयोग की 27 जुलाई को होने वाली बैठक में भाग लेने के लिए दिल्ली पहुंच चुकी है। ममता बनर्जी ने बीजेपी को ‘‘टुकड़े-टुकड़े मंच’’ करार दिया और कहा कि वह अपने राज्य को विभाजित नहीं होने देंगी। पड़ोसी देश बांग्लादेश में आरक्षण विरोधी आंदोलन के कारण उत्पन्न स्थिति के बारे में पूछे जाने पर बनर्जी ने कहा कि वह पड़ोसी देशों के मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकतीं, लेकिन संयुक्त राष्ट्र संधि के अनुसार यदि शरणार्थी सीमा पर आते हैं तो उनके राज्य को उन्हें आश्रय देना होगा। 

बीजेपी के पास जनादेश नहीं-ममता

 तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख बनर्जी ने कहा, ‘‘उन्होंने (भाजपा ने) सरकार तो बना ली है, लेकिन उनके पास जनादेश नहीं है। 2014 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद यह पहला मौका है जब उन्होंने एकल पार्टी की सरकार नहीं बनाई है।’’ बनर्जी ने कहा कि अपनी ‘‘मजबूरियों’’ के कारण, भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने ‘‘राजनीतिक रूप से बहुत पक्षपाती बजट’’ पेश किया है, जिसने विपक्षी दलों के शासन वाले राज्यों को उनके अधिकारों से ‘‘वंचित’’ कर दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगा कि कम से कम एक साझा मंच पर इस आवाज को उठाना मेरा कर्तव्य है, हालांकि मुझे पता है कि नीति आयोग के पास कोई वित्तीय शक्तियां नहीं हैं।’’ बनर्जी ने कहा, ‘‘जब से नीति आयोग की योजना बनी, मैंने एक भी काम होते नहीं देखा है, क्योंकि उसके पास कोई शक्ति नहीं है। पहले योजना आयोग था। एक मुख्यमंत्री के तौर पर उस समय मैंने देखा कि एक व्यवस्था थी।’’ 

अब कोई उम्मीद नहीं-ममता

उन्होंने कहा कि योजना आयोग के तहत राज्य सरकारों को अपने मुद्दों पर चर्चा करने का अधिकार था और यह विभिन्न क्षेत्रों में राज्यों का ख्याल रखने के लिहाज से बहुत अच्छा था। बनर्जी ने कहा, ‘‘लेकिन अब कोई उम्मीद नहीं है, कोई गुंजाइश नहीं है।’’ बनर्जी ने कहा कि नीति आयोग को खत्म कर देना चाहिए। बनर्जी ने कहा, ‘‘मैं नीति आयोग को खत्म करने के लिए आवाज उठाऊंगी। इसके पास कोई वित्तीय शक्ति नहीं है। वे कुछ नहीं कर सकते, केवल अपना चेहरा दिखाने के लिए साल में एक बार बैठक करते हैं। कृपया योजना आयोग को फिर से वापस लाएं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह नेताजी सुभाष चंद्र बोस की योजना थी और आजादी के बाद से योजना आयोग ने देश के लिए बहुत काम किया।’’ 

अभिषेक बनर्जी ने बैठक में शामिल होने के लिए मनाया

ममता बनर्जी ने यह भी कहा कि उन्होंने भी ‘इंडिया’ गठबंधन के अन्य सदस्यों की तरह बैठक में शामिल नहीं होने पर विचार किया था, लेकिन पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने उन्हें बैठक में शामिल होने के लिए मना लिया। ममता बनर्जी ने कहा, ‘‘मुझसे बैठक से सात दिन पहले अपना लिखित भाषण भेजने के लिए कहा गया था, जो मैंने भेज दिया। यह केंद्रीय बजट पेश होने से पहले की बात है।’’ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार के बंगाल के उत्तरी हिस्से को उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास (डोनर) मंत्रालय के तहत लाने संबंधी बयान का जिक्र करते हुए बनर्जी ने कहा कि यह राज्य को बांटने का प्रयास है और वह ऐसा नहीं होने देंगी। 

 बीजेपी ‘टुकड़े-टुकड़े मंच’’ है-ममता

बनर्जी ने कहा, ‘‘वे बंगाल को बांटने की बात कर रहे हैं। भाजपा के किसी नेता ने कहा कि असम को बांटो, किसी ने कहा कि बिहार को बांटो। वे देश को ही बांटना चाहते हैं।’’ उन्होंने कहा कि वह भाजपा के लिए ‘‘गैंग’’ शब्द का इस्तेमाल नहीं करेंगी क्योंकि यह असंसदीय शब्द है, बल्कि वह उन्हें ‘‘टुकड़े-टुकड़े मंच’’ कहेंगी। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘वे टुकड़े-टुकड़े मंच हैं। वे देश को बांटने की कोशिश कर रहे हैं।’’ जब बनर्जी से राजग सरकार के अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाने संबंधी उनके बयान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि गठबंधन के भीतर दरार पैदा होगी। उन्होंने कहा, ‘‘यह मेरा अनुमान है, लेकिन मैं गलत भी हो सकती हूं लेकिन जब आप सत्ता में होते हैं, तो आपको लोगों के कल्याण के लिए काम करना चाहिए।’’ 

27 जुलाई को नीति आयोग की बैठक

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 27 जुलाई को नीति आयोग की नौवीं शासी परिषद की बैठक की अध्यक्षता करेंगे, जिसमें 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। गैर भाजपा शासित कुछ राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने केंद्रीय बजट के विरोध स्वरूप बैठक में शामिल नहीं होने की घोषणा की है। उनका आरोप है कि बजट में उनके राज्यों से भेदभाव किया गया है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन (द्रमुक), केरल के मुख्यमंत्री और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता पिनराई विजयन, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान (आम आदमी पार्टी) और कांग्रेस शासित राज्यों कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने बैठक में शामिल नहीं होने की घोषणा की है। (भाषा)

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