Mallikarjun Kharge: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) खड़गे 26 अक्टूबर को कांग्रेस अध्यक्ष पद का पदभार संभालेंगे। वे सोनिया गांधी की जगह लेंगे। जो इस समय कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष हैं। खड़गे बुधवार (19 अक्टूबर) को शशि थरूर को हराकर पार्टी के नए अध्यक्ष निर्वाचित हुए। इस तरह से 24 साल बाद गांधी परिवार के बाहर का कोई नेता देश की सबसे पुरानी पार्टी का अध्यक्ष बना है। खड़गे ने अपने प्रतिद्वंद्वी शशि थरूर को 6,825 मतों के अंतर से हराया। खड़गे को 7,897 वोट मिले और थरूर को 1,072 वोट हासिल हुए।
खड़गे के लिए कम नहीं रहेंगी चुनौतियां
हालांकि खड़गे के सामने चुनौतियां भी कम नहीं रहेंगी। कांग्रेस के नवनिर्वाचित अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को 2024 के आम चुनाव से पहले पार्टी को मजबूत करने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। कांग्रेस अध्यक्ष पद चुनाव के बुधवार को घोषित परिणाम में 24 साल से अधिक समय बाद गांधी परिवार के बाहर का कोई व्यक्ति पार्टी का प्रमुख चुना गया। गुजरात और हिमाचल प्रदेश चुनाव में पार्टी के बेहतर करने की उम्मीदें काफी कम ही हैं, वहीं राजस्थान व कर्नाटक में पार्टी के भीतर जारी संघर्ष ने परेशानी और बढ़ा दी है। ऐसे में 2024 के आम चुनाव से पहले पार्टी को एकजुट करना खरगे के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। हालांकि शशि थरूर को मात देकर पार्टी के शीर्ष पद पर काबिज होने वाले खड़गे के पक्ष में भी कुछ चीजें नजर आ रही हैं।
हिमाचल और गुजरात के चुनाव पहली चुनौती
खड़गे को सबको साथ लेकर चलने के लिए पहचाना जाता है और उनकी यह खूबी यहां से आगे का सफर तय करने में उनके लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकती है। कर्नाटक के दलित परिवार से नाता रखने वाले खरगे (80) ने ऐतिहासिक चुनाव में अपने प्रतिद्वंद्वी थरूर (66) को मात दी। पार्टी के 137 साल के इतिहास में छठी बार अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ था। वह 26 अक्टूबर को आधिकारिक तौर पर पार्टी अध्यक्ष पद का कार्यभार संभालेंगे। कार्यभार संभालने के कुछ सप्ताह बाद ही हिमाचल प्रदेश और गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव उनकी पहली चुनौती होंगे, जहां सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मजबूत पकड़ है।
अगले सा 9 राज्यों में होने हैं चुनाव
इस समय केवल दो राज्यों राजस्थान और छत्तीसगढ़ में ही कांग्रेस की सरकार है। इस परीक्षा के बाद 2023 में नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं जिसमें उनका गृह राज्य कर्नाटक भी शामिल है। पार्टी में पीढ़ीगत विभाजन भी एक चुनौती है और उन्हें अनुभवी व युवाओं के बीच संतुलन बनाए रखना होगा। भाजपा ने खड़गे को गांधी परिवार के लिए काम करने वाला और ‘रिमोट’ संचालित अध्यक्ष बताकर उन पर निशाना साधा है और अब वक्त के साथ खरगे के लिए फैसले ही इन अलोचकों को चुप करवा पाएंगे।