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कांग्रेस अध्यक्ष पद संभालने के बाद क्या इन चुनौतियों का हल निकाल पाएंगे मल्लिकार्जुन खड़गे?

मल्लिकार्जुन खड़गे बुधवार सुबह सोनिया गांधी, राहुल गांधी और पार्टी के अन्य नेताओं की मौजूदगी में पार्टी अध्यक्ष का पदभार संभालेंगे। खड़गे को 2024 के आम चुनाव से पहले पार्टी को मजबूत करने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Oct 25, 2022 20:56 IST, Updated : Oct 26, 2022 9:12 IST
मल्लिकार्जुन खड़गे
Image Source : FILE मल्लिकार्जुन खड़गे

नई दिल्ली: कांग्रेस के नवनिर्वाचित अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) बुधवार को पदभार संभालेंगे। वह सोनिया गांधी की जगह लेंगे जो इस समय कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष हैं। 19 अक्टूबर को हुए कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में शशि थरूर को हराकर खड़गे पार्टी के नए अध्यक्ष निर्वाचित हुए। उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी शशि थरूर को 6,825 मतों के अंतर से हराया। खड़गे को 7,897 वोट मिले और थरूर को 1,072 वोट हासिल हुए।

खड़गे के सामने ये हैं चुनौतियां

बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी खड़गे के सामने चुनौतियों का पहाड़ लेकर आने वाली है। उनके सामने एक तरफ राजस्थान का सियासी संकट तत्काल चुनौती बनकर खड़ा है, तो अगले कुछ हफ्तों में होने जा रहे गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव भी बड़ी चुनौती हैं। वहीं, 2024 का लोकसभा चुनाव उनके लिए सबसे बड़ी अग्निपरीक्षा होगी।

24 साल बाद गांधी परिवार से बाहर का कोई व्यक्ति कांग्रेस का अध्यक्ष
खड़गे बुधवार सुबह सोनिया गांधी, राहुल गांधी और पार्टी के अन्य नेताओं की मौजूदगी में पार्टी अध्यक्ष का पदभार संभालेंगे। कर्नाटक के दलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाले 80 वर्षीय खड़गे ने 17 अक्टूबर को हुए ऐतिहासिक चुनाव में अपने प्रतिद्वंद्वी 66 वर्षीय शशि थरूर को मात दी थी। पार्टी के 137 साल के इतिहास में छठी बार अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ था। 24 साल बाद गांधी परिवार से बाहर का कोई व्यक्ति कांग्रेस का अध्यक्ष बना है।

पार्टी को एकजुट करना खड़गे के लिए एक बड़ी चुनौती
खड़गे को 2024 के आम चुनाव से पहले पार्टी को मजबूत करने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। गुजरात और हिमाचल प्रदेश चुनाव में कांग्रेस के बेहतर करने की उम्मीदें बड़ी चुनौती है, वहीं राजस्थान व कर्नाटक में पार्टी के भीतर जारी रस्साकशी ने पार्टी की परेशानी और बढ़ा दी है। ऐसे में 2024 के आम चुनाव से पहले पार्टी को एकजुट करना खड़गे के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। शशि थरूर को मात देकर पार्टी के शीर्ष पद पर काबिज होने वाले खड़गे के पक्ष में भी कुछ चीजें नजर आ रही हैं।

2023 होगा इम्तिहान, 9 राज्यों में होने हैं चुनाव
खड़गे की छवि सबको साथ लेकर चलने की रही है और उनकी यह खूबी यहां से आगे का सफर तय करने में उनके लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकती है। खड़गे के कार्यभार संभालने के कुछ हफ्ते बाद ही हिमाचल प्रदेश और गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव उनके सामने पहली चुनौती होंगे, जहां सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) की मजबूत पकड़ है। इस समय केवल दो राज्यों राजस्थान और छत्तीसगढ़ में ही कांग्रेस की सरकार है। इस परीक्षा के बाद 2023 में 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसमें उनका गृह राज्य कर्नाटक भी शामिल है।

गांधी परिवार के ‘रिमोट कंट्रोल’ से चलने की धारणा को गलत साबित करने की चुनौती
पार्टी में पीढ़ीगत आधार पर विभाजन भी एक चुनौती है और उन्हें अनुभवी नेताओं व युवाओं के बीच संतुलन बनाए रखना होगा। यही नहीं, उन्हें गांधी परिवार के ‘रिमोट कंट्रोल’ से चलने की धारणा को भी गलत साबित करने की चुनौती का सामना करना होगा। उनके सामने एक चुनौती ‘उदयपुर नवसंकल्प’ को लागू करने और अपनी नई टीम में सभी समीकरणों को साधते हुए किसी को नाराज नहीं करने की भी होगी।

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