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गहलोत मुखर हैं और पायलट चुप... कांग्रेस के नए अध्यक्ष को सबसे पहले सुलझाना होगा राजस्थान सीएम का पेंच

कांग्रेस के नया अध्यक्ष जो भी बने, उसके सामने सबसे पहले राजस्थान में नेतृत्व की समस्या मुंह बाए खड़ी है। जहां एक ओर अशोगक गहलोत कांग्रेस आलाकमान की नजरों पर चढ़ चुकें हैं तो वहीं दूसरी ओर सचिन पायलट सब चुपचाप देख रहे हैं।

Edited By: Swayam Prakash @swayamniranjan_
Published : Oct 18, 2022 23:18 IST, Updated : Oct 18, 2022 23:18 IST
Rajasthan CM Ashok Gehlot and former Deputy CM Sachin Pilot
Image Source : FILE PHOTO Rajasthan CM Ashok Gehlot and former Deputy CM Sachin Pilot

Highlights

  • कांग्रेस को बुधवार को मिलेगा नया अध्यक्ष
  • खड़गे और शशि थरूर के बीच था मुकाबला
  • सबसे पहले सुलझाना होगा राजस्थान का मसला

कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए 17 अक्टूबर को मतदान हो चुका है। अब कल यानी 19 अक्टूबर को पार्टी के अध्यक्ष का नाम सामने आ जाएगा। इस मुकाबले में चाहे मल्लिकार्जुन खड़गे जीतें या शशि थरूर, नए अध्यक्ष को सबसे पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री को लेकर जारी खींचतान सुलझानी होगी। सीएम पद को लेकर वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट दोनों ही जोर दे रहे हैं। जहां एक ओर सचिन पायलट चुप हैं तो दूसरी ओर अशोक  गहलोत कांग्रेस संस्कृति के विपरीत अधिक मुखर हैं। 

नया अध्यक्ष बनने तक ठंडे बस्ते में सीएम का मुद्दा 

गौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के नतीजे बुधवार को घोषित किए जाएंगे, और दो दावेदारों में मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर, पहले राजस्थान के वरिष्ठ पर्यवेक्षक थे, जब विधायकों का एक वर्ग सीएलपी बैठक का बहिष्कार करके आभासी विद्रोह में लगा हुआ था। हालांकि, गांधी परिवार विद्रोह जैसी स्थिति से परेशान था, लेकिन इस सबके बाद गहलोत ने आकर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से माफी मांगी और यह तय किया गया कि नए अध्यक्ष के चुने जाने तक नेतृत्व के मुद्दे को ठंडे बस्ते में रखा जाएगा। 

गहलोत बोले- युवा नेता अपनी बारी का इंतजार करें
अशोक गहलोत ने कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव में मतदान के बाद जयपुर में प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि अनुभव सबसे ज्यादा मायने रखता है और युवा नेताओं को अपनी बारी का इंतजार करना चाहिए। पायलट पर अप्रत्यक्ष हमले में गहलोत ने कहा- युवा कड़ी मेहनत कर सकता है, लेकिन अनुभव का कोई विकल्प नहीं हो सकता है। गांव, शहर या पार्टी हो, सब कुछ अनुभव पर आधारित है। 

"...वो आज माफी मांग रहे हैं"
हालांकि, गहलोत के विचारों का पायलट खेमे के नेता राजेंद्र गुढ़ा ने दृढ़ता से विरोध किया। उन्होंने कहा कि जैसे कोई अनुभव को दरकिनार नहीं कर सकता, वैसे ही युवाओं को भी दरकिनार नहीं किया जा सकता है। गुढ़ा ने कहा, पायलट मुख्यमंत्री बनेंगे। कांग्रेस के अध्यक्ष पद चुनाव के बाद पायलट का समय आएगा। जो नेता पहले कह रहे थे कि वह पार्टी आलाकमान का पालन नहीं करेंगे, आज माफी मांग रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि गहलोत को पहली बार 1998 में राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था, जब वह 47 वर्ष के थे, जबकि पायलट अभी 45 वर्ष के हैं।

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