Highlights
- उद्धव ठाकरे की सत्ता गई अब पार्टी पर खतरा
- शिंदे गुट चुनाव चिन्ह पर ठोक सकता है दावा
- शिवसेना बचाने के लिए उद्धव ठाकरे हुए अलर्ट
Maharashtra: उद्धव ठाकरे के हाथ से महाराष्ट्र की सत्ता कुछ ऐसे गई जैसे तेज बारिश के बाद घर के नीचे भूस्खलन हुआ हो। जो एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) कभी शिवसेना में डिप्टी की हैसियत रखते थे, वो अब राज्य के चीफ बन गए हैं। शिंदे ने उद्धव ठाकरे को कुर्सी से तो उतारा ही है अब शिवसेना (Shiv Sena) को भी हाईजैक कर सकते हैं। यही कारण है कि राज्य की सत्ता हाथ से जाने के बाद उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray)अब पार्टी बचाने के लिए पूरजोर कोशिश कर रहे हैं।
शिवसेना के सभी नेताओं से मांगा प्रमाणपत्र
ऐसी खबर है कि एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) अब अलग गुट स्थापित कर शिवसेना के चुनाव चिन्ह और पार्टी पर दावा ठोक सकतें है। इस आशंका के मद्देनजर शिवसेना सावधान हो गई है। शिवसेना (Shiv Sena) सूत्रों ने इंडिया टीवी को बताया कि शिवसेना के सभी सांसद, विधायक, पार्षद, जिला प्रमुख, विभाग प्रमुख और अन्य सभी संगठनों के प्रमुखों को आदेश दिया गया है कि वो पार्टी के प्रति निष्ठावान होने का प्रमाणपत्र लिखित में दें।
पार्टी ने प्रमाणपत्र में क्या लिखकर मांगा
सभी शिवसेना (Shiv Sena) के नेता और पदाधिकारियों को आदेश दिया गया कि इस प्रमाणपत्र में लिखें, शिवसेना पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के नेतृत्व पर मेरा अटल विश्वास है और बिनाशर्त उन्हें मेरा समर्थन है। सभी नेताओं को ये प्रमाणपत्र पार्टी मुख्यालय सेनाभवन में देना है। शिवसेना सूत्रों का कहना है कि ये कदम अहतियात के तौर पर उठाया गया है। जब भी शिंदे ग्रुप (Eknath Shinde)पार्टी पर दावा करेगा तब हम इन प्रमाणपत्रों को सबूत के तौर पर पेश करेंगे कि शिवसेना (Shiv Sena) के सभी नेता, संगठन और विभाग प्रमुख उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के साथ हैं।
शिंदे के संपर्क में शिवसेना के अधिकतर सांसद
जानकारी है कि शिवसेना (Shiv Sena) के कुल 19 लोकसभा सांसदों में से 12 से 14 सांसद एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) गुट के सपंर्क में हैं। शिंदे गुट का दावा है कि ज्यादातर सांसद एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) का ही साथ देंगे। माना जा रहा है कि शिंदे और उद्धव (Uddhav Thackeray) की लड़ाई अदालत और चुनाव आयोग पहुंचेगी जिससे कई अभी वेट एंड वॉच की भूमिका में। कई सांसदों को लगता है कि लोकसभा में पीएम मोदी और बीजेपी के साथ रहने से ही जीत होगी।