मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीति में फिर हलचल तेज हो गई है। उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री अजीत पवार के एक बयान के बाद अफवाहों का दौर शुरू हो चुका है। अनुमान लगाया जा रहा है कि आगामी दिनों में महाराष्ट्र सरकार में कुछ फेरबदल देखने को मिल सकता है। दरअसल अजित पवार ने बारामती में कहा, ''ठीक है आज मैं सरकार में हूं, मंत्रिमंडल में हूं, मेरे हाथ में वित्त विभाग है इसलिए उसका फायदा हमें होता है लेकिन कल ये रहेगा या नहीं, पता नहीं कल किसने देखा है।''
अब उनके इस बयान पर छगन भुजबल ने कहा है कि हम कोई अमर पत्र लेकर नहीं आए हैं। हमारे पास कुर्सी आजीवन नहीं रहेगी। जब तक जनता चाहेगी, तब तक हम सरकार में रहेंगे। इसलिए यह कहना कि हम हमेशा ही सरकार में बने रहेंगे, यह गलत है। उन्होंने कहा कि कोई बेचैनी नहीं है। सब कुछ ठीक चल रहा है। हम दोनों लोग सुबह आठ बजे जाकर जनता से मिलते हैं। उन्होंने कहा कि सत्ता और पॉवर कितने दिन किसके साथ रहेगी, यह कोई नहीं बता सकता है।
सरकार में शामिल होना चाहते थे जयंत पातिक- भुजबल
वहीं उन्होंने शरद पवार गुट के नेता जयंत पाटिल के बारे में बोलते हुए कहा कि पुराने प्रकरण के बारे में जयंत पाटिल से बातचीत हुई थी। कौन नेता कहां बैठेगा, यह भी तय हो गया था। उन्होंने कहा कि जयंत पाटिल सरकार में शामिल होना चाहते थे लेकिन बाद में वह पलट गए। भुजबल ने कहा कि वह अभी भी हमारे साथ आ सकते हैं और उनके लिए मंत्रालय और कुर्सी खाली है।
क्या कहा था अजीत पवार ने
वहीं इससे पहले बारामती में अजीत पवार ने जनता को संबोधित करते हुए कहा, ''ठीक है आज मैं सरकार में हूं, मंत्रिमंडल में हूं, मेरे हाथ में वित्त विभाग है इसलिए उसका फायदा हमें होता है लेकिन कल ये रहेगा या नहीं, पता नहीं कल किसने देखा है।'' उन्होंने कहा, मैगनेट नाम की एक योजना थी उस वक्त मैं उद्धव ठाकरे की सरकार में वित्त मंत्री था। मेरे सामने जब फाइल आती है तो मैं यह देखता हूं कि उसमें बारामती का कोई गांव है या नहीं फिर फाईल पर साइन करता हूं।''
क्या ये अजीत पवार की सियासी बेचैनी है?
बता दें कि अजीत पवार के सरकार में शामिल होने के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके सहकारियों की नाराजगी किसी से छुपी नहीं है। सीएम शिंदे हो या उनके सहकारी मंत्री और विधायक साफ तौर पर नाराजगी व्यक्त करते नजर आए हैं। महाराष्ट्र सरकार की शिवसेना-बीजेपी सरकार में शामिल हुए उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के इस बयान से उनकी बेचैनी साफ दिखायी पड़ रही है। क्या सरकार में शामिल होने के बाद भी अजित पवार को मनचाहा काम करने का या फिर जो वादे किए गए थे वो पूरे ना हो पाने की वजह से यह बेचैनी सामने आ रही है।